फिल्म जगत

साहिर की रचनाओं के लिए दावत,ओम भूतकर और पीआईएफ के तहत समूह द्वारा बहादुर प्रस्तुति

साहिर की रचनाओं के लिए दावत,ओम भूतकर और पीआईएफ के तहत समूह द्वारा बहादुर प्रस्तुति

पुणे,इस वर्ष के पुणे अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का विषय गीतकार साहिर लुधियानवी, सत्यजीत रे और पं। भीमसेन जोशी की जन्मशती के आधार पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया है। दर्शकों ने साहिर लुधियानवी के गीतों पर आधारित कार्यक्रम ‘साहिर’ का खूब लुत्फ उठाया। ओम भूतकर द्वारा निर्देशित इस कार्यक्रम में साहिर लुधियानवी की रचनाएँ थीं। रविवार को राष्ट्रीय फिल्म संग्रहालय (एनएफएआई) में आयोजित इस कार्यक्रम को दर्शकों ने खूब सराहा। इस दौरान पीआईएफ के निदेशक डॉ. पीआईएफ आयोजन समिति के जब्बार पटेल, सतीश अलेकर उपस्थित थे।

कार्यक्रम की शुरुआत ‘जाने वो कैसे लोग द जिन्के’ गाने से हुई। इस गाने को नचिकेत देवस्थली ने गाया था। उसके बाद मुक्ता जोशी ने ‘कभी खुद पे तो कभी हलत पे रोना आया’ गाना गाया। इसके बाद नचिकेत देवस्थली ने गजल ‘जश्ने गालिब’ की प्रस्तुति दी। इसके बाद ओम भूतकर ने ‘ताजमहल’ कविता की प्रस्तुति दी। गीत ‘ये महलो ये तख्तो ये ताजो की दुनिया’ को जयदीप वैद्य ने गाया था। कार्यक्रम का समापन ‘ना तो कारवां की तलाश है’ कविता की प्रस्तुति के साथ हुआ। एक घंटे तक चले इस कार्यक्रम में साहिर लुधियानवी के गीत, कविताएं और नजमा पेश किए गए। इस कार्यक्रम को दर्शकों ने खूब सराहा।

अभिनेता ओम भूतकर, अभिनेता नचिकेत देवस्थली के साथ गायक मुक्ता जोशी, गायक जयदीप वैद्य, गायक अभिजीत धेरे ने रचना की। उनके साथ देवेंद्र भोम (संवाददाता), केतन पवार (तबला), मंदार बागड़े (ढोलकी) भी थे। कार्यक्रम का संचालन खोट ने किया.

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