सावन में लगेगी बिहार में ‘सियासी आग’, अगर नीतीश बनेंगे संयोजक तो CM पद का क्या होगा?
सीतामढी से विशाल समाचार टीम की रिपोर्ट
Nitish Kumar News: शुक्रवार पटना में बीजेपी विरोधी दलों की बैठक हुई। मुख्यमंत्री आवास में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि नीतीश कुमार विपक्षी एकता का संयोजक बनाया जाएगा। हालांकि अभी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। संयोजयक वाली बात जब से सामने आयी है तब से सबके मन एक ही सवाल उठ रहा है कि अगर नीतीश कुमार संयोजक की भूमिका में आ गए तो उनके पास टाइम कहां बचेगा, सीएम पद का क्या होगा?
सियासी उथल-पुथल को बताता है। संभव हो इस बार भी कुछ ऐसा ही हो और इसके संकेत भी आषाढ़ में ही मिलने लगे हैं। दरअसल, शुक्रवार को बिहार की राजधानी पटना में बीजेपी विरोधी दलों की बैठक हुई। बैठक से जो खबर सामने आई है, उससे संकेत मिल रहा है कि नीतीश कुमार को संयोजक बनाया जाएगा। अगर नीतीश कुमार को संयोजक बनाया जाएगा तो सीएम पद को क्या होगा? क्या नीतीश कुमार सीएम पद से इस्तीफा देंगे? तेजस्वी यादव को बिहार का कमान सौंपकर 2024 चुनाव के लिए मैदान तैयार करेंगे? ये ऐसे सवाल हैं, जिसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।
सीएम नीतीश बनेंगे संयोजक
लोकसभा चुनाव को लेकर शुक्रवार को बिहार की राजधानी पटना में बीजेपी विरोधी 15 दलों की बैठक हुई। जानकारी मिली है कि 2024 में विपक्षी दलों को एक साथ लेकर चलने की जिम्मेदारी नीतीश कुमार को दी जाएगी। इसको लेकर शुक्रवार को हुई बैठक में सहमति भी बन गई है। हालांकि अभी ऐलान नहीं किया गया है। सूत्रों के अनुसार, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता का संयोजक बनाया जाएगा।
नीतीश पर ही दांव क्यों?
अब सवाल उठता है कि बीजेपी विरोधी दल नीतीश कुमार पर ही दांव क्यों लगाना चाहते हैं? इसके पीछे जो वजह बताई जा रही है, वह है निर्विवादित चेहरा। दरअसल, नीतीश कुमार आठ बार से बिहार के मुख्यमंत्री हैं। गठबंधन में रहने का बड़ा अनुभव है। लंबे समय तक एनडीए के साथ रहे हैं। केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। सबसे बड़ी वजह ये है कि उन पर परिवारवाद और भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है। यही कारण है कि बीजेपी विरोधी दल नीतीश कुमार को विपक्षी एकता का संयोजक बनाना चाहता है।
फिर सीएम पद का क्या होगा?
अगर नीतीश कुमार संयोजक बनते हैं तो सीएम पद का क्या होगा? फिलहाल इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। सियासी पंडित बता रहे हैं कि अगर नीतीश कुमार दिल्ली की सियासत शुरू करते है, तो वो बिहार का कमान किसी और को सौंप सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो तय है कि सावन के महीने में बिहार में एक बार फिर सियासी आग लगेगी। ऐसा इसलिए कि नीतीश कुमार को छोड़कर महगठबंधन में कोई ऐसा नेता नहीं है, जो सर्वमान्य हो और उसे सभी दलों के नेता स्वीकार कर लें।