कलेक्टर ने पहड़िया कचरा शोधन संयंत्र तथा विद्युत केन्द्र का किया निरीक्षण
कचरे से बिजली बनाने के संयंत्र का कार्य 15 जुलाई तक पूरा करें – कलेक्टर
कलेक्टर ने किया निरीक्षण – 36 नगरीय निकायों के कचरे से बनेगी 6 मेगावाट बिजली
रीवा एमपी: . रीवा में पहड़िया ग्राम में कचरा शोधन प्लांट स्थापित किया गया है। इसमें रीवा नगर निगम सहित 35 नगर पंचायतों से कचरे का संग्रहण किया गया है। इस कचरे से 6 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। कचरे से बिजली बनाने के संयंत्र का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल तथा आयुक्त नगर निगम श्रीमती संस्कृति जैन ने पहड़िया कचरा शोधन संयंत्र का निरीक्षण किया। कलेक्टर ने निर्माणाधीन बिजली बनाने के संयंत्र का कार्य 15 अगस्त तक पूरा करने के निर्देश दिए। निरीक्षण के समय कार्यपालन यंत्री एसके चतुर्वेदी तथा निर्माण एजेंसी के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
कलेक्टर ने कहा कि कचरे को संग्रहीत करने से लेकर उससे बिजली बनाने तक की प्रक्रिया पूरी तरह से मशीनीकृत करें। इसमें मानव श्रम का किसी भी तरह से उपयोग नहीं किया जाएगा। इसके लिए आवश्यक उपकरणों की तत्काल खरीदी करें। बिजली संयंत्र का निर्माण कार्य देरी से चल रहा है। इसके शेष बचे निर्माण कार्य को 15 जुलाई तक पूरा करके इसमें 15 अगस्त से बिजली का उत्पादन शुरू कराएं। निर्माण कार्य समय पर पूरा कराने के लिए अतिरिक्त मजदूर तैनात करें। बिजली बनाने के लिए प्रतिदिन 60 टन कचरे की आवश्यकता होगी। परिसर में वर्तमान में भण्डारित कचरे का सुरक्षित भण्डारण कराएं। शेष बचे कचरे के निष्पादन वैज्ञानिक तरीके से कराएं। बिजली संयंत्र से निकलने वाली कार्बनडाई ऑक्साइड तथा अन्य गैसों के सुरक्षित उत्सर्जन की व्यवस्था करें। कलेक्टर ने निर्माणाधीन बिजली संयंत्र, कचरा भण्डारण केन्द्र तथा कचरा शोधन केन्द्र का निरीक्षण किया।
कलेक्टर ने कहा कि कचरा संग्रहण करने वाली एजेंसी डंपिंग साइट में कचरे के तौल की व्यवस्था कराएं। इसे 15 दिवस की समय सीमा में पूरा न करने पर आयुक्त नगर निगम जुर्माने की कार्यवाही करें। संयंत्र से निकलने वाले पानी का समुचित उपचार करें। कलेक्टर ने अधीक्षण यंत्री विद्युत मण्डल को पहड़िया प्लांट में 33 केव्ही का कनेक्शन तत्काल देने के निर्देश दिए। निरीक्षण के समय उपस्थित निर्माण एजेंसी के प्रतिनिधि ने बताया कि पहड़िया प्लांट 45 एकड़ में बनाया गया है। इसमें कचरा वाहनों से अलग-अलग प्राप्त गीले और सूखे कचरे का शोधन किया जाता है। प्लास्टिक धातु तथा अन्य पदार्थ अलग करके कचरे को बिजली बनाने के संयंत्र में भेजा जाएगा। बिजली संयंत्र का केवल 10 प्रतिशत कार्य शेष है। इसे 15 जुलाई तक हर हाल में पूरा कर लिया जाएगा। संयंत्र से संबंधित सभी उपकरण स्थापित किए जा चुके हैं। केवल सिविल वर्क शेष है। वायलर, टरबाइन आदि लगाए जा चुके हैं।