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ईमानदार मुख्यमंत्री योगी की कब्र खोद रहा इटावा का कृषि विभाग

ईमानदार मुख्यमंत्री योगी की कब्र खोद रहा इटावा का कृषि विभाग

स्पेशल रिपोर्ट देवेन्द्र सिंह तोमर 
इटावा/उत्तर प्रदेश:उत्तर प्रदेश के जनपद इटावा में छोटी जोत के सैकड़ो किसने की सम्मान निधि की 6 से 7 किस्तें रुकी हुई हैं जबकि इनकी केबाईसी की प्रक्रिया पूरी होने बाद भी रूकी है जिसके लिए यह किसान बेचारे जनपद के उपनिदेशक कार्यालय में लगातार चक्कर काट रहे हैं और वहां इन्हें उपयुक्त जानकारी न देकर सिर्फ यह कहा जाता है की जाइए आप पोस्ट ऑफिस में अथवा इंटरनेशनल बैंक में दूसरा खाता खुलवाए सरकार ने नया सिस्टम लागू किया है अखबार में छपा है जानते नहीं हो क्या परंतु उन्हें उपयुक्त जानकारी न देकर उलूल जलूल भ्रामक जानकारी दी जाती है।

क्यों रुकी हैं इसकी जांच न कर किसानों को उपयुक्त जानकारी नहीं दी जा रही है जबकि 10 बीघा से 50 बीघा की काष्टकारी करने वाले किसानों की किस्त नहीं रुकी हैं किंतु दो से तीन बीघा अर्थात एक एकड़ से कम की जमीन वाले किसानों की किस्तें रुकी हैं जिनमें सैकड़ो किसान वर्षों से कृषि उपनिदेशक इटावा कार्यालय का चक्कर काट काट कर थक रहे हैं परंतु डबल इंजन की सरकार इनकी मदद करने के लिए आगे नहीं आ रही है और क्षेत्रीय प्रशासन उनकी सुनने के लिए तैयार नहीं है छोटी जोत के किसान मजदूर को प्रशासन उपेक्षा की दृष्टि से देखता है जिस पर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ को गंभीरता पूर्वक संज्ञान लेकर लापरवाह एवं उदासीन प्रशासन के विरुद्ध सख्त कदम उठाने चाहिए क्योंकि किसानों को धोखे में रखने वाले किसानों को परेशान करने वाले निकृष्ट लापरवाह अधिकारियों को सबक सिखाने के लिए ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जाने और माने जाते हैं इसके बावजूद भी इन किसानों का जो हाल है इनकी वह मात्र प्रशासनिक लापरवाही और कुंठा का ही परिचय है जो योगी सरकार में इस तरह से नकारात्मक रवैया अपना कर जनता को परेशान करने वाली नकारात्मक कार्यशैली के परिचय के सिवा और क्या हो सकता है और यह एक ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ एवं निष्ठावान तथा निर्भीक मुख्यमंत्री की छवि खराब करने के सिवा और क्या माना जाएगा अर्थात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ऐसे नकारा अधिकारियों को सबक सिखाने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे अन्यथा के स्थिति में विपक्ष को सशक्त करने वाले यह अधिकारी अपने मिशन में कामयाब हो जाएंगे जो योगी राज एवं किसानों का अपमान नहीं तो और क्या कहा जाए।

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