पूणे

मध्यस्थता वकील के रूप में कानूनी करियर बनाएं मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश डॉ. शालिनी फणसाळकर जोशी के विचार

मध्यस्थता वकील के रूप में कानूनी करियर बनाएं

मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश डॉ. शालिनी फणसाळकर जोशी के विचार

मध्यस्थता वकील के रूप में कानूनी करियर बनाएं
मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश डॉ. शालिनी फणसाळकर जोशी के विचार

अधिवक्ता अमन विजय दत्ता लिखित ‘ द हैंडबुक ऑन डोमेस्टिक आर्बिट्रेशन इन इंडिया’ का विमोचन

 

पुणे :”मध्यस्थता ने भारत और विश्व स्तर पर सर्वोत्तम कानूनी करियर के अवसर पैदा किए हैं. मध्यस्थता में करियर को सिविल, आपराधिक जैसे पारंपरिक कानूनी मामलों की तरह चुना जाना चाहिए. यह विचार मुंबई हाई कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश डॉ. शालिनी फणसाळकर जोशी ने व्यक्त किए.

हिंद लॉ हाऊस प्रकाशन द्वारा लेखक और मध्यस्थता अधिवक्ता सलाहकार अमन विजय दत्ता द्वारा लिखित पुस्तक ‘ द हैंडबुक ऑन डोमेस्टिक आर्बिट्रेशन इन इंडिया’ का विमोचन डॉ. शालिनी फणसलकर जोशी ने लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल पंडित सभागार में किया. उस वक्त बतौर मुख्य अतिथि के रूप में वे बोल रही थी.

इस अवसर पर जिला सत्र न्यायालय के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुनील वेदपाठक, वरिष्ठ सॉलिसिटर और मध्यस्थ अमित हरियाणी, मुंबई हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता निखिल साखरदंडे, सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर के पूर्व उप रजिस्ट्रार एड. गणेश चंद्रू और रमेश सेठी उपस्थित थे.

न्या. डॉ. शालिनी फणसाळकर ने कहा, मध्यस्थता घरेलू और वैश्विक स्तर पर कानूनी प्रणाली का एक हिस्सा बन गई है. इसलिए वैकल्पिक विवाद समाधान के क्षेत्र में कानूनी साहित्य और विशेषज्ञता की आवश्यकता हैं.

सुनील वेदपाठक ने कहा, यह पुस्तक मध्यस्थता के कानून का व्यापक अवलोकन प्रदान करती है. यह वर्तमान और भविष्य की अदालती कार्यवाही में भी मदद करेगी.

अमन विजय दत्ता ने कहा, यह भारत में घरेलू मध्यस्थता पर ध्यान केंद्रित करने वाली पहली पुस्तक है. इसे चिकित्सकों को शुरू से अंत तक घरेलू मध्यस्थता में मदद करने के लिए डिजाइन किया गया है.

अमित हरियानी ने कहा, यह मध्यस्थता के दावों को आगे बढाने के दौरान उत्पन्न होने वाले व्यावहारिक मुद्दों से निपटने के तरीके पर एक किताब है. इसमें केस स्टडीज से चिकित्सकों के लिए विवादों से निपटना आसान हो जाएगा.

निखिल साखरदंडे और सलाहकार गणेश चंद्रू ने अपने भाषण में पुस्तक की अनूठी प्रकृति की सराहना की और कहा कि न्यायिक बोझ को कम करने के लिए मध्यस्थता के बारे में जागरूकता पैदा करना आवश्यक है.

संचालन और आभार परवेज काजी और रमेश सेठी ने संचालन और आभार माना.

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