पूणे

नोबल हॉस्पिटल ने मनाया मुदतपूर्व जन्मे बच्चे का पाँचवाँ जन्मदिन  

नोबल हॉस्पिटल ने मनाया मुदतपूर्व जन्मे बच्चे का पाँचवाँ जन्मदिन  

 

पुणे,: नोबल हॉस्पिटल ॲन्ड रिसर्च सेंटर ने मुदतपूर्व जन्मे बच्चे का पाँचवाँ जन्मदिन हालही में मनाया. दक्षिण पूर्व पुणे के सबसे समय से पहले जन्में बच्चों में से एक इस बच्चे का विकासात्मक रूप से सामान्य विकास और समग्र रूप से अच्छा स्वास्थ्य एक अनूठी विशेषता है.

 

नोबल हॉस्पिटल्स के एनआयसीयू के वरिष्ठ बालरोग तज्ञ डॉ.अनिल खामकर ने कहा की, इस बच्चे का जन्म 24 वे सप्ताह में हुआ था.इस स्थिती को बहुत मुदतपूर्व जन्म कहा जाता है. जन्म के समय उसका वजन मात्र 530 ग्राम था. हालाँकि चिकित्सा और उपचार में हुए प्रगति के कारण मुदतपूर्व जन्मे बच्चों के जीवित रहने के दर में वृद्धि हुई है, लेकिन इन शिशुओं को अक्सर कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इसके लिए स्पीच या ऑक्युपेशनल थेरपीज्‌‍ जैसे उपचारों की आवश्यकता होती है. इसके साथ ही आईवीएच (मस्तिष्क में रक्तस्राव) का भी खतरा रहता है।यह जोखिम इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चे का जन्म कितना मुदतपूर्व हुआ है, क्योंकि रक्त वाहिकाएं पूरी तरह से विकसित नहीं होती हैं और नाजुक होती हैं.

 

इस बच्चे में आईवीएच की स्थिती विकसित नहीं हुई थी, एनआईसीयू में रहने के दौरान उसे कोई संक्रमण नहीं हुआ था, और उसे किसी एंटीबायोटिक की आवश्यकता नहीं थी. उसके माता-पिता दोनों ही उसकी देखभाल (कंगारू केयर) करते थे. डॉ.खामकर ने कहा की, संक्रमण या किसी भी बीमारी से बचने के लिए नोबल हॉस्पिटल के एनआईसीयू के स्थापित कठोर मापदंडों का पालन किया गया. परिणामस्वरूप, एनआईसीयू में रहने के दौरान बच्चे को कोई संक्रमण नहीं हुआ.

 

नोबल हॉस्पिटल्स के बालरोग तज्ञ डॉ.पी.डी.पोटे ने कहा की, इस स्थिति में योग्य आहार भी सबसे महत्वपूर्ण पहलू है. अच्छा आहार और नर्सिंग से, एनआईसीयू के दौरान और उसके बाद भी बच्चा सामान्य रूप से बढ़ता रहा. शिशु जब मां का दूध पीने की स्थिति में नहीं था तब उसे टोटल पॅरेंटल न्युट्रिशन दिया गया. इसके बाद बच्चे को नोबल हॉस्पिटल्स के ह्यूमन मिल्क बैंक से दूध दिया गया, जिससे उसका वजन बढ़ा और स्वास्थ्य में सुधार हुआ.

 

एनआयसीयू के संचालक और प्रशासकीय प्रमुख डॉ.अभय महिंद्रे ने कहा की,बीमार या कमजोर शिशुओं को रक्तप्रवाह के माध्यम से पोषक घटक प्रदान करने की प्रक्रिया को टोटल पैरेंट्रल न्यूट्रिशन कहा जाता है.

 

डॉ.खामकर ने आगे कहा की , इस बच्चे की नाजुक हालत थी और वेंटिलेटर की जरूरत के बावजूद कोई संक्रमण या संबंधित बीमारी नहीं थी. उसका विकास अन्य बच्चों की तरह सामान्य हो गया. यह बात अनोखी है और हमें खुशी है कि हमारे कठोर मापदंड और विशेषज्ञ उपचार का इसमें योगदान हैं.

 

नोबल हॉस्पिटल ॲन्ड रिसर्च सेंटर के संचालक डॉ.दिविज माने इन्होने पूरी टीम को बधाई दी.उन्होंने कहा की, उपचार के दौरान उच्चतम गुणवत्ता मानकों को अपनाकर बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए एनआईसीयू के डॉक्टर्स , नर्स और सहायक कर्मचारियों की पूरी टीम के प्रयास सराहनीय हैं.

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button