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एनपीसीआई ने डिजिटल भुगतान में उपभोक्ता सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ‘रुको, सोचो, फिर कदम उठाओ’ सिद्धांत को दोहराया

एनपीसीआई ने डिजिटल भुगतान में उपभोक्ता सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ‘रुको, सोचो, फिर कदम उठाओ’ सिद्धांत को दोहराया

 

 

 

पुणे– देश में डिजिटल भुगतान क्रांति को बढ़ावा देने वाले उपक्रम नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने उपभोक्ता सुरक्षा को और मजबूत करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। एनपीसीआई ने लोगों को सतर्क रहने और धोखाधड़ी से बचाव के लिए ‘रुको, सोचो, फिर कदम उठाओ’ के सिद्धांत को अपनाने की सलाह दी है। डिजिटल लेन-देन में वृद्धि को देखते हुए एनपीसीआई ने सभी उपयोगकर्ताओं से सावधान रहने और सुरक्षित लेन-देन सुनिश्चित करने की अपील की है।

यूपीआई का बढ़ता उपयोग और डिजिटल सुरक्षा की आवश्यकता

यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) भारत में डिजिटल लेन-देन का प्रमुख साधन बन गया है, जिसने वर्ष 2024 में कुल भुगतान में 83 प्रतिशत हिस्सा दर्ज किया। जनवरी 2025 में, यूपीआई ने 16.99 बिलियन लेन-देन प्रोसेस किए, जो वार्षिक आधार पर 39 प्रतिशत वृद्धि को दर्शाता है, जबकि लेन-देन मूल्य में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पिछले पांच वर्षों में, यूपीआई ने 74 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) हासिल की है, जिससे यह लेन-देन की मात्रा के लिहाज से भारत का सबसे बड़ा रिटेल पेमेंट सिस्टम बन गया है। लॉन्च होने के बाद से यूपीआई 460 मिलियन से अधिक यूनिक यूजर्स को जोड़ चुका है और विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान की सुविधा प्रदान कर रहा है।

एनपीसीआई की बहु-स्तरीय सुरक्षा प्रणाली

यूपीआई न केवल अपनी सुविधा के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी मजबूत सुरक्षा प्रणाली भी इसे विशेष बनाती है। एनपीसीआई उन्नत प्रोटोकॉल और सख्त सुरक्षा उपायों का उपयोग करता है, जैसे-

डिवाइस बाइंडिंग- यह फीचर उपयोगकर्ता के खाते को एक विशेष मोबाइल डिवाइस से जोड़ता है, जिससे कोई भी तीसरा पक्ष बिना पंजीकृत मोबाइल डिवाइस के खाते तक पहुंच नहीं बना सकता।

दो-कारक प्रमाणीकरण- किसी भी लेन-देन को अधिकृत करने से पहले, उपयोगकर्ता को अपने मोबाइल नंबर और यूपीआई पिन के माध्यम से अपनी पहचान सत्यापित करनी होती है।

उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षा सलाह- कैसे रहें सुरक्षित?

हालांकि यूपीआई में मजबूत सुरक्षा विशेषताएँ मौजूद हैं, फिर भी धोखेबाज सोशल इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग कर धोखाधड़ी करने की कोशिश करते हैं। ऐसी सूरत में उपभोक्ताओं का सतर्क रहना आवश्यक है।

एनपीसीआई सभी यूपीआई उपयोगकर्ताओं को ‘रुको, सोचो, फिर कदम उठाओ’ सिद्धांत अपनाने की सलाह देता है-

रुको – ऐसे किसी भी अनपेक्षित कॉल, संदेश, या ईमेल पर प्रतिक्रिया देने से पहले ठहरें, जो व्यक्तिगत या बैंकिंग जानकारी मांगते हैं।

सोचो – किसी भी अनुरोध को सत्यापित करें, आधिकारिक स्रोतों जैसे कंपनी की वेबसाइट या ग्राहक सेवा हेल्पलाइन से पुष्टि करें।

फिर कदम उठाओ – संदिग्ध अनुरोधों से बचें और किसी भी धोखाधड़ी के प्रयास की तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचना दें।

धोखाधड़ी की रिपोर्ट कैसे करें?

यदि किसी उपयोगकर्ता को धोखाधड़ी का संदेह होता है, तो उन्हें तुरंत रिपोर्ट करना चाहिए-

✅ राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन (1930) पर कॉल करें या ’’राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल’’ (https://cybercrime.gov.in) के माध्यम से शिकायत दर्ज करें।

 

✅ अपने बैंक को भी मामले की सूचना दें।

 

✅ संदेशों को सहेजें, स्क्रीनशॉट लें, और बातचीत को दस्तावेज़ के रूप में सुरक्षित करें, जिससे अधिकारी उचित कार्रवाई कर सकें।

 

यदि उपयोगकर्ता सतर्क और जागरूक रहेंगे, तो वे डिजिटल भुगतान की सुविधा का आनंद ले सकते हैं और अपने धन को सुरक्षित रख सकते हैं। एनपीसीआई सभी के लिए एक सुरक्षित और निर्बाध डिजिटल भुगतान अनुभव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

 

 

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