६२ वा नैशनल मरिटाईम डे की अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन
पुणे : पुणे स्थित समुद्री क्षेत्र की संघटनाए कंपनी ऑफ मास्टर मरिनर्स (सीएमएमआय), इन्स्टिट्युट ऑफ मरिन इंजिनिअर्स इंडिया (आयएमईआय) ,इंडियन मरिटाईम फाऊंडेशन (आयएमएफ) और महाराष्ट्र मास्टर्स मरिनर्स असोसिएशन की ओर से ६२ वे नॅशनल मरिटाईम डे के अवसर पर शनिवार, ५ अप्रैल २०२५ को शाम ७ बजे पीवायसी पुणे में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इस कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के तौरपर पश्चिम नौदल के पूर्व प्रमुख वाईस ॲडमिरल (निवृत्त) विनोद पसरिचा उपस्थित रहेंगे.कॅप्टन आर. हजरनवीस, कॅप्टन उन्मेष अभ्यंकर, कॅप्टन विजय बर्वे, प्रमुख अभियन्ता आर.डी.भावे इन सभी समुद्री क्षेत्र में कार्यरत वरिष्ठ व्यावसायिकों का उन्होंने इस क्षेत्र में दिए योगदान के लिए मान्यवर अतिथियों के हाथो सत्कार किया जाएगा, यह जानकारी पत्रकार परिषद में इंडियन मरिटाईम फाऊंडेशन के अध्यक्ष कॅप्टन आनंद दीक्षित, इन्स्टिट्युट ऑफ मरिन इंजिनिअर्स इंडिया, पुणे के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्य अभियन्ता संजीव ओगले, कंपनी ऑफ मास्टर मरिनर्स (सीएमएमआय) के अध्यक्ष कॅप्टन मिलिंद फडणीस और सीएमएमआय के सचिव कॅप्टन किरण जोशी ने दी.
इंडियन मरिटाईम फाउंडेशन के अध्यक्ष कैप्टन आनंद दीक्षित ने कहा की, इस साल के आयएमओ की संकल्पना, अवर ओशन,अवर ऑब्लिगेशन,अवर अपॉर्च्युनिटी इस विषय पर केंद्रित है. इसी संकल्पना को लेकर पुणे में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. यह संकल्पना वैश्विक अर्थव्यवस्था में महासागर की महत्त्वपूर्ण भूमिका को प्रतिबिंबित करता है. दुनिया में ८० प्रतिशत से ज्यादा व्यापार समुद्री मार्ग से होता है और उस वजह से लाखो लोगों को रोजगार मिलता है. साथ ही समुद्र एक आहार का स्रोत,अनगिनत समुद्री प्रजातियों का घर और वैश्विक हवामान का नियामक है. ७५०० से भी ज्यादा लंबाई का समुद्री किनारा और १२ मुख्य बंदर प्राप्त भारत वैश्विक शिपिंग और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है.
इन्स्टिट्युट ऑफ मरिन इंजिनिअर्स इंडिया, पुणे के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्य अभियन्ता संजीव ओगले ने कहा की, पुणे का समुद्री क्षेत्र से बहुत पहले से गहरा संबंध है. तीन संघटना और चार प्रशिक्षण संस्था सहित पुणे में ५००० से भी ज्यादा समुद्री क्षेत्र के अभी कार्यरत और पूर्व व्यावसायिक है. उसमे लगभग १००० व्यावसायिक अभी कार्गो और यात्री जहाज पर कार्यरत है.
सीएमएमआय के संस्थापक सदस्य और इंडियन कोस्टल कॉन्फरन्स असोसिएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कॅप्टन सुधीर सुभेदार ने कहा की, बंदर की आधारभूत संरचना, शिपबिल्डींग एवं कोस्टल क्षेत्र का निवेश इसके अलावा समुद्री क्षेत्र के शाश्वत भविष्य के लिए, समुद्री संसाधन का संवर्धन करने के लिए और हवामान बदल संकट का सामना करने के लिए इस क्षेत्र में शाश्वतता उपक्रम जरुरी होंगे.
नैशनल मरिटाईम डे का महत्व
५ अप्रैल १९१९ के दिन एसएस लॉयल्टी यह सिंधिया स्टील नॅव्हीगेशन लि.के मालिकी की और वालचंद हिराचंद एवं नरोत्तम मोरारजी का समर्थन होने वाली जहाज का मुंबई से युनायटेड किंग्डम की ओर सफर शुरू हुआ. उस समय के ब्रिटिश राज्य के प्रतिकूल धोरण का सामना करते हुए यह उपक्रम शुरू किया गया था. सभी बाधाओं के बावजूद सिंधिया स्टीम नॅव्हीगेशन लि. यह आंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रतिष्ठित शिपिंग कंपनी बन गयी और भारत के शिपिंग उद्योग को सफलता मिली. शिपिंग उद्योग को अभी भी और प्रोत्साहन की जरुरत है जिस के लिए शिपबिल्डिंग, अधिक निवेश ,कम लॉजिस्टिक्स खर्चा ,कार्यक्षम उर्जा का इस्तेमाल और शाश्वत शिपिंग धोरण की आवश्यकता है.