रीवा:प्रदेश में 3 हजार 500 गौ-शालाओं का काम चल रहा है मैं दिन का प्रारंभ गौ सेवा से करता हूँ गौ-संरक्षण के लिये हमने गौ-अभयारण्य भी बनाये हैं, हमारा काम गौशाला बनाना भी है और उनको स्वावलंबी बनाना भी आचार्य श्री भगवन राष्ट्रीय संत हैं प्रतिदिन मैं योग, प्राणायाम, पूजन के साथ संतों को भी प्रणाम करता हूँ हम सब को जैन बनने का प्रयास करना चाहिए मोह-माया में फंसे लोगों को बाहर निकालने का रास्ता आचार्य भगवन ने दिखाया शरद पूर्णिमा के दिन आचार्य श्री के दर्शन कर मैं धन्य हो गया मुख्यमंत्री श्री चौहान ने गौ सेवा एवं जीव दया के क्षेत्र में कार्य करने वालों को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आचार्य श्री भगवन केवल जैन धर्म के नहीं सब धर्मों के हैं। वे राष्ट्रीय संत हैं। आत्म-निर्भरता के प्रेरक हैं। आयुर्वेद के लिए समर्पित है। हमारा आयुर्वेद, हमारा योग दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है। जो इनके लिए काम करता है उनसे बड़ा शिक्षक कौन हो सकता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि हम सबको जैन बनने का प्रयास करना चाहिए। जो अपने आप को जीते वह महावीर, जो महावीर वह जितेंद्रिय, जो जितेंद्रिय वह जिन और जो जिन वह जैन। उन्होंने कहा कि गौ माता के संरक्षण के लिए जो कार्य आचार्य श्री कर रहे हैं वह अद्भुत है। हमने आचार्य श्री भगवान के नाम पर प्रदेश में “जीव दया पुरस्कार” प्रारंभ करने का फैसला लिया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सरकार गौ-संरक्षण की दिशा में कोई कसर नहीं छोड़ेगी, परंतु यह काम अकेले सरकार नहीं कर सकती है। सरकार के साथ समाज को आगे आना होगा। इस कार्य में अच्छे लोग जुट रहे हैं। गौ-शालाओं को आत्म-निर्भर बनाना होगा। यदि गाय की एक-एक चीज दूध, गोबर, गोमूत्र आदि का ढंग से उपयोग किया जाए तो गौशालाएँ स्वावलंबी हो सकती हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जब मैं पहली बार सीएम हाउस आया तो दो गाय लेकर आया था और जब वहाँ से गया तो उनकी संख्या 44 हो गई थी। वे सब गाय अब मेरे खेत पर हैं। मैं जब दोबारा मुख्यमंत्री निवास आया, तो फिर दो गाय लेकर आया। अब वे 5 हो गई हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रतिदिन प्रातः मैं सबसे पहले गौ-माता को रोटी खिलाता हूँ। उसके बाद एक पौधा लगाता हूँ, फिर अपने कार्य प्रारंभ करता हूँ। प्रतिदिन मैं योग, प्राणायाम, पूजन के साथ संतों को भी प्रणाम करता हूँ। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में 3 हजार 500 गौ-शालाओं पर काम चल रहा है। गौ-संरक्षण के लिये हमनें गौ-अभयारण्य भी बनाये हैं। हमारा काम गौ-शालाएँ बनाना भी है और उन्हें स्वावलंबी बनाना भी। गौ-संरक्षण के लिये हर व्यक्ति को अपने-अपने स्तर से प्रयास करने चाहिए।