संवाद जीवित रहने के लिए ‘गपशप कट्टा’ बहुत जरुरी
संजय आवटे की राय; ग़ज़ल गायक म. भा. चव्हाण के साथ’ नॉलेज कट्टा’ का हुआ उद्घाटन
पुणे :आजकल हर जगह कलह और नफरत फैलाने की होड़ मची हुई है। संचार के सभी साधनों को दूषित करने के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। मीडिया भी कलह की भूमिका निभा रहा है। किसी कट्टे पर बैठकर किया हुआ संवाद अधिक खुला और अभिव्यक्ति के रूप में होता है। इसलिए कलह के इस समय में संवाद जीवित रहने के लिए गपशप कट्टा बहुत जरुरी है,” ऐसी राय वरिष्ठ पत्रकार संजय आवटे ने व्यक्त की।
शुभ ॲडव्हर्टायझिंग एंड कम्युनिकेशन द्वारा शुरू किए गए ‘नॉलेज कट्टा’ उपक्रम का उद्घाटन संजय आवटे के हाथो हुआ. इस समय कट्टे के प्रथम अतिथि के रूप में वरिष्ठ ग़ज़ल गायक म. भा. चव्हाण उपस्थित थे। संचालक अमोल जगदाळे, प्रमोद जगदाळे आदी उपस्थित थे। इस कट्टा का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों के रचनात्मक लोगों के साथ अनौपचारिक बातचीत के लिए एक मंच के रूप में किया जाएगा।
संजय आवटे ने कहा, “संवाद समय की जरूरत है। हमें एक दूसरे के साथ अच्छेसे लड़ाई लड़ना आना चाहिए। आपको एक अच्छा मजाक करना भी आना चाहिए। लेकिन कितने भी लड़ाई हों, संवाद जारी रहना चाहिए। इस तरह के कट्टे की वजह से खुले विचारों वाला, अनौपचारिक संवाद स्थापित करने में मदद मिलेगी।”
वरिष्ठ ग़ज़ल गायक म. भा. चव्हाण की ग़ज़लों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। ‘एकटाच मी उदास आज आठवी तुला, कोणत्या पथी कळे न शोधलेस तू मला’, इस ग़ज़ल ने श्रोताओं को प्यार में डुबा दिया। इसके सिवा ‘या जगण्याचा शौक लागला, यातच आहे गोडी, दारूड्यांनी मला पाजली दुनिया थोडीथोडी’ इस ग़ज़ल के माध्यम से मभा ने जीवन का एक नया आयाम दिखाया। अमोल जगदाले ने प्रस्ताविक किया। प्रमोद जगदाळे, वेद जोशी, पूजा राजपाठक, मयूर फुलपगारे, दीपाली इंगवले और टीम ने शानदार संयोजन किया। डॉ. भालचंद्र सुपेकर के उचित समन्वय ने संगीत समारोह में रंग ला दिया।