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अखिलेश के साथ आए चाचा शिवपाल यादव को झटका, घटाई गई सुरक्षा, Z श्रेणी की जगह अब Y श्रेणी

अखिलेश के साथ आए चाचा शिवपाल यादव को झटका, घटाई गई सुरक्षा, Z श्रेणी की जगह अब Y श्रेणी

मैनपुरी उपचुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ आए प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव की सुरक्षा में कटौती कर दी गई। शिवपाल सिंह यादव की सुरक्षा जेड श्रेणी के स्थान पर अब वाई श्रेणी की गई। मैनपुरी उपचुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ आए प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव की सुरक्षा में कटौती कर दी गई। शिवपाल सिंह यादव की सुरक्षा जेड श्रेणी के स्थान पर अब वाई श्रेणी की गई।
आपको बता दें कि इससे पहले सरकार ने अखिलेश से जुड़े कई नेताओं की सुरक्षा घटी थी जिसमें अखिलेश यादव की पत्नी सांसद डिंपल यादव, आजम खान, एसपी महासचिव रामगोपाल यादव की Z+ सिक्युरिटी को घटाकर Y कैटेगरी कर दिया था। बदायूं के सांसद धर्मेंद्र यादव की वाई प्लस कैटेगरी की सिक्युरिटी को भी जारी रखा गया था।
दरअसल, योगी सरकार ने वीआईपी कल्चर खत्म करने के तहत सीएम योगी ने प्रमुख सचिव (गृह) को सिर्फ जरूरत के मुताबिक नेताओं को सुरक्षा देने के निर्देश दिए थे। इसके बाद सभी वीवीआईपी और वीआईपी को मिली कैटेगरीवाइज सिक्युरिटी का रिव्यू किया गया था। इसके बाद कई नेताओं और मंत्रियों को दी गई सिक्युरिटी के संबंध में रिपोर्ट मंगाई गई थी। इसके बाद नेताओं की सिक्युरिटी घटाई गई थी।

समझिए सुरक्षा की कैटेगरी को
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की कैटेगरी की सिक्युरिटी पीएम और उनके परिवारवालों को दी जाती है। एक्स पीएम के लिए यह 6 महीने तक रहती है। इसके अलावा स्पेशल लॉ के तहत यह फैसेलिटी राजीव गांधी के परिवार वालों को दी गई है।
Z Plus : इसमें 36 जवानों को तैनात किया जाता है। इनमें 10 से ज्यादा एनएसजी कमांडो और पुलिस ऑफिसर्स होते हैं। एनएसजी कमांडो मार्शल आर्ट माहिर होते हैं और बगैर हथियारों के भी दुश्मन से लड़ सकते हैं। वो MP 5 गन्स और कम्युनिकेशन सिस्टम से लैस होते हैं। काफिले में जैमर भी होता है।
Z : खतरा जेड प्लस से कुछ कम हो तो, जेड कैटेगरी की सिक्युरिटी दी जाती है। इसमें सीआईएसएफ, आईटीबीपी, बीएसएफ या पुलिस के 22 जवान तैनात रहते हैं। इनमें 5 एनएसजी कमांडो के साथ पुलिस ऑफिसर्स होते हैं।
Y : इसमें 11 जवान रहते हैं। इनमें 1 या 2 एनएसजी कमांडो होते हैं।
X : सिक्युरिटी की इस कैटेगरी में 2 जवान रहते हैं, जो आमतौर पर स्टेट पुलिस के होते हैं। इन्हें पीएसओ कहा जाता है।

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