सफलता के लिए जीतने के साथ हारना भी जरूरी
मोटिवेशनल स्पीकर शिव खेड़ा के विचार : एमआईटी डब्ल्यूपीयू द्वारा वार्त
पुणे, : जीवन में कई असफलता के बाद फिर से नए जोश के साथ के खडे होने को ही, सफलता कहा जा सकता है. जीवन जीत और हार दोनों से मिलकर बना है. आज के बच्चों को यह सिखाने की जरूरत है कि जीतना और हारना कितना महत्वपूर्ण है. ऐसे विचार प्रसिद्ध लेखक एवं मोटिवेशनल स्पीकर शिख खेडा ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान व्यक्त किए.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड के नेतृत्व में एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ बिजनेस द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शिख खेड़ा ने प्रबंधन विभाग के १२० प्रोफेसरों को विशेष मार्गदर्शन दिया. इस मौके पर शिव खेड़ा ने पुणे में पत्रकारों से बातचीत की.
यहां पर एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के प्र कुलपति डॉ. तपन पांडा, स्कूल ऑफ बिजनेस के अधिष्ठाता डॉ. दीपेंद्र शर्मा, स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड कॉमर्स के एसोसिएट फाउंडर डॉ. अंजली साने मौजूद थी.
शिव खेड़ा ने कहा, हार से बच्चे डिप्रेशन में चले जाते है. ऐसे मामलों में, माता पिता को उन्हें समझना चाहिए कि जीतने के लिए हारना कितना महत्वपूर्ण है. सफलता के लिए जीतने की आदत अपनाएं. उसके लिए इसे निरंतर सकारात्मक व्यवहार की आदत बनाएं. अच्छी आदतें चरित्र का निर्माण करती है जबकि बुरी आदतें चरित्र को बिगाड़ देती है. आपको कड़ी मेहनत करनी होगी, ईमानदार रहना होगा, नई चीजें सीखनी होंगी और यह दिखाने के लिए सकारात्मक नजरिया रखना होगा कि आप कैसे सबसे अलग है.
स्वामी विवेकानंद, गुरु नानक की जीवनी का अध्ययन करने से सकारात्मक विश्वास बढता है. आज के समय में मीडिया के माध्यम से दिखाई जाने वाली धार्मिक संप्रदाय, भविष्य, अंधविश्वास जैसी बातें मनुष्य को पतन की ओर ले जा रही हैं. यह बहुत ही गलत है कि हम धीरे धीरे भाग्यवादी होते जा रहे है.
शिव खेड़ा ने आज की शिक्षा प्रणाली पर कहा, भारत में एक समान शिक्षा प्रणाली होनी चाहिए, तो देश के सभी बच्चों को एक समान अवसर मिलेगा. इस देश के एनआरआई लोग बहुत स्मार्ट हैं और वे सफल हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि उनके साथ उनकी संस्कारी हमसफर होती है जो सुख दुख में उनके साथ होती है. उसी के बल पर सफलता की सीढियां चढते जा रहे है.
अच्छे नेतृत्व के कारण देश में परिवर्तन की लहर आई है. नेतृत्व जिस तरह से कर रहे है वह सही दिशा में बढ रहा है. लेकिन ७५ साल की राजनीति के चलन को देखे तो यह नेतृत्व अच्छा तो है लेकिन महान नहीं यह बात शिव खेड़ा ने कही.