मध्य प्रदेश पेशाब कांड: अमानवीयता की पराकाष्ठ
देश के कुछ राज्यों, खासतौर से मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और हरियाणा में दबंग अपनी जातीय श्रेष्ठता दिखाने के नाम पर गरीब दलितों पर मनमाना अत्याचार करते आए हैं. आजादी के इतने वर्षों बाद भी कुछ क्षेत्र ऐसे बने हुए हैं जहां दलित दूल्हा घोड़ी पर सवार नहीं हो सकता. किसी दबंग के सामने कोई खाट पर नहीं बैठ सकता. उसे तुरंत सिर झुकाकर हाथ जोड़कर खड़े रहना पड़ता है. मध्य अपने या
अन्य राज्यों में चाहे जिस दल की सरकार हो , वहां सामंती मानसिकता को समाप्त करने के लिए किसी भी पार्टी ने न तो दबंग सामंतों को छोड़ा और न सामंतवाद को , उल्टे उन्हें बढ़-चढ़ कर गले लगाया.
ऐसा इसलिए क्योंकि दबंगों की अपनी प्रजा पर जो पकड़ है, उसे ये राजनीतिक पार्टियां अपने वोटबैंक के रूप में हासिल कर सकें. यद्यपि जिला सीधी पेशाब प्रकरण के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तत्काल डैमेज कंट्रोल की सूझबूझ दिखाई लेकिन क्या इससे दबंगों की अहंकारी मानसिकता सुधर जाएगी ? सीधी जिले के कुबरी गांव में प्रवेशकुमार शुक्ला ने एक आदिवासी दशमत रावत के मुंह पर लघुशंका की,जिसका विडियो वायरल हुआ.
आरोपी भाजयुमो का नेता बताया जाता है. इस घटना के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने टिप्पणी की कि ऐसे प्रकरण से आदिवासियों और दलितों के प्रति बीजेपी की नफरत का घिनौना चेहरा सामने आ गया है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अप्रत्याशित घटना से उपजे रोष को देखते हुए पीड़ित दशमत रावत को भोपाल में अपने बंगले पर बुलवाया.उसे कुर्सी पर बिठाकर पानी की परात में उसके पैर धोए.उसे माथे पर तिलक लगाया,हार पर पहनाया,मिठाई खिलाई, आरती उतारी और कपड़े व नारियल भेंट कर मांफी मांगी .उसे आज का सुदामा कहा.
*इस तरह का कोई भी घटनाक्रम पार्टी के लिए भारी पड़ सकता था. इस कारण से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने डैमेज कंट्रोल का जिम्मा खुद उठाया. प्रदेश सरकार ने तत्काल कड़े कदम उठाए, उससे अब यह बड़ा मुद्दा, बनेगा, ऐसा लगता नहीं है.*
चौहान ने कहा कि जिसने अन्याय किया,उस पर एनएसए के तहत कार्यवाही की जायेगी.
मुख्यमंत्री को यह सब इसलिए करना पड़ा क्योंकि एक अहंकारी व्यक्ति की अमानवीय करतूत की वजह से प्रदेश में बीजेपी की पूरी मेहनत पर पानी फिर गया था.
सरकार के तत्काल हरकत में आने का कारण यह है कि विंध्य
और बघेलखंड में कोल और गोंड आदिवासियों की संख्या बहुतायत में है. खास तौर पर सीधी में कोल समाज के लोग काफी रहते हैं. भाजपा इस समाज को रिझाने की हर समय कोशिश कर रही है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही इस क्षेत्र मैं एक बड़े कार्यक्रम में हिस्सा लेकर कोल आदिवासी समुदाय के समागम को संबोधित किया था. जाहिर है, चुनावी वर्ष में हुई इस शर्मनाक घटना के कारण सनसनी फैल गई.
भाजपा बुरी तरह से बैकफुट पर आ गई.
तत्काल डैमेज कंट्रोल की कोशिश की गई.भाजपा के तमाम प्रयासों के बावजूद यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां पा गया.बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इसे आदिवासी अत्याचार के रूप में निरूपित किया.
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तो कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल को पीड़ित के निवास पर भेज दिया. भाजपा का परेशान होने का कारण यह है कि आरोपी प्रवेश शुक्ला वरिष्ठ विधायक केदार शुक्ला का प्रतिनिधि रह चुका है. पहले तो केदार शुक्ला इससे इनकार करते रहे लेकिन जब मीडिया ने इस आशय के नियुक्ति पत्र जारी किए, तब केदार शुक्ला ने कहा कि उनका इस शख्स से अब कोई संबंध नहीं है,
केदार शुक्ला भी वीडियो जारी होने के तत्काल बाद पीड़ित के घर पहुंचे.कांग्रेस ने इसको मुद्दा बनाकर प्रदेश भर में प्रदर्शन करने का निश्चय किया है.चूंकि चुनाव को महज 5 महिने रह गए हैं.इसीलिए स्वाभाविक रूप से राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को हाथों-हाथ लिया.