मैराथन डेस सेबल्स’ स्पर्धा में पहले भारतीय होने का महाश्वेता घोष का दावा झूठा
– २०१० में शामिल हुई पहली भारतीय मिशेल अनिल काकडे ने दी जानकारी
– महाश्वेता घोष द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय को किया गया भ्रमित
पुणे-
दुनिया की बेहद कठिन स्पर्धा के तौर पर सहारा वालवंटा का ‘मैराथन डेस सेबल्स’ को माना जाता है. मैराथन डेस सेबल्स, या MdS, के छह दिनों में, करीब २५० किमी का अल्ट्रा मैराथन होता है. इस स्पर्धा में कुछ महीने पहले भारत की महाश्वेता घोष नामक महिला शामिल हुई थी. इसके बाद घोष ने इस स्पर्धा में शामिल होने वाली भारत के पहले व्यक्ति होने का दावा किया है, लेकिन इस स्पर्धा में २०१० में पहले भारतीय के तौर पर शामिल होने की जानकारी पुणे की प्रसिद्ध धावक मिशेल अनिल काकडे ने आज पत्रकार परिषद में देकर घोष के दावे को झूठा बताया है.
पुणे की धावक मिशेल काकडे के नाम पर ६ हजार कि. मी चलने का गिनीज बुक रिकॉर्ड सहित अन्य विभिन्न रिकॉर्ड दर्ज है.
पुणे श्रमिक पत्रकार संघ में पत्रकारों से बात करते हुए मिशेल काकडे ने बताया कि, ‘मैराथन डेस सेबल्स’ स्पर्धा दुनिया की सर्वाधिक कठिन स्पर्धाओं में से एक है. इस स्पर्धा में मैं २०१० में शामिल हुई थी, इससे पूर्व इस स्पर्धा में कोई भारतीय व्यक्ति शामिल नहीं हुए थे, लेकिन मेरे बाद ९ से १० भारतीय व्यक्ति इसमें शामिल हुए. इसके बावजूद महाश्वेता घोष का पहले भारतीय के तौर पर शामिल होने की बात कहना गलत है. उन्होंने मीडिया के साथ पंतप्रधान कार्यालय को भी गलत जानकारी देकर नाम चमकाने का प्रयास किया है. इस संदर्भ में घोष से सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क कर उन्हें वस्तुस्थिति बताई फिर भी वह लोगों को लगातार भ्रमित कर रही है.
मिशेल काकडे ने आगे कहा कि, महाश्वेता घोष ‘मैराथन डेस सेबल्स’ में शामिल हुई इसे लेकर एक भारतीय के तौर पर हमारे लिए गर्व की बात है. लेकिन गलत जानकारी देकर जनता, मीडिया और सरकार को भ्रमित करना, सबूत देकर गलती सुधारने के लिए कहने के बावजूद उन्होंने नहीं सुनी, जो उन्हें सही जानकारी दे रहे है उसे सोशल मीडिया पर ब्लॉक करना गलत है.