आजादी के अमृत महोत्सव पर हिंदी भाषा का फैलाव बढाए
उल्हास पवार की रायः एमआइटी डब्ल्यूपीयू में हर्षोल्हास से मनाया हिंदी दिवस
पुणे: आजादी के अमृत महोत्सवी वर्ष पर हिंदी भाषा का फैलाना बड़े पैमाने पर होना चाहिए. देश की संस्कृति, दर्शनशास्त्र, वेदांत, अध्यात्म का गहन राज इस भाषा में छुपा है. ऐसे विचार उर्वरित महाराष्ट्र वैधानिक विकास महामंडल के पूर्वाध्यक्ष उल्हास पवार ने रखे.
हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर एमआइटी वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी, पुणे की ओर से आयोजित कार्यक्रम में वे बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. अध्यक्षता एमआइटी वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने निभाई.
इस मौके पर नीदरलैंड्स की साहित्यकार और कवयित्री डॉ. पुष्पिता अवस्थी, वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य रतनलाल सोनग्रा,आकाशवाणी पुणे के पूर्व निवेदक डॉ. सुनील देवधर तथा भारतीय फिल्म डिविजन के पूर्व महासंचालक डॉ. मुकेश शर्मा विशेष सम्माननीय अतिथि के रूप में उपस्थित थे. साथ ही एमआइटी वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस और वरिष्ठ सलाहकार डॉ. संजय उपाध्ये उपस्थित थे.
यहां पर अहिंसा स्वर और भारतीय अस्मितेचे प्रदीप पाश्चात्य संस्कृत पंडीत इंन ग्रंथो का विमोचन हुआ. पश्चात डॉ. पुष्पिता अवस्थी ने विश्वशांति गुंबद एक आध्यात्मिक और वैज्ञानिक प्रयोगशाला विषय संबंधित कविता तथा आचार्य रतनलाल सोनग्रा ने अपनी कविताओं को प्रस्तुत किया.
उल्हास पवार ने कहा, वर्तमान दौर में यह भाषा इतनी समृद्ध बन चुकी है कि अंग्रेजी के डिक्शनरी में इसके शब्द प्रयोग होने लगे है, जो हमारे लिए गर्व की बात है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और विनोबा भावे ने अहिंसा के जरिए विश्वशांति की बात कही है. उसी नक्से कदम पर चलते हुए डॉ. विश्वनाथ कराड ने गुम्बद का निर्माण कर हिंदी के जरिए विश्व में शांति निर्माण का कार्य कर रहे है.
डॉ. विश्वनाथ कराड ने कहा, छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की है. उसी पर चलते हुए हमें हिंदी भाषा का इस्तेमाल रोजमर्रा के जीवन में करना चाहिए. भारतीय संस्कृती, परंपरा और तत्वज्ञान की बात इस भाषा में छुपी है. हमें म. गांधी के सपनों को साकार करने की दिशा में कदम उठाना है. भारत ही सरे विश्व को सुख, समाधान और शांति की राह दिखाएगा.
डॉ. पुष्पिता अवस्थी ने कहा, हिंदी हमारी स्वाधीनता की भाषा होने के साथ आजादी के दौरान इसका अधिक इस्तेमाल हुआ था. इसे वैश्विक भाषा बनाने के लिए सभी को प्रयास करने की जरूरत है. इस भाषा को बोलने वाले संपूर्ण विश्व में होने से इसे वैश्विक भाषा कहा जा सकता है.
आचार्य रतनलाल सोनग्रा ने कहा, वसुधैव कुटुम्बकम और सर्वधर्म समभाव की भावना इस देश ने संपूर्ण विश्व को दी है. अब देश के ज्ञान की भाषा हिंदी सबके मन में बोना है. डॉ. कराड ने विश्व शांति गुम्बद का निर्माण कर सारी दुनिया में शांति का संदेश फैलाने का कार्य कर रहे है.
डॉ. सुनिल देवधर ने कहा, हिंदी दिवस पर हमें इस भाषा के विस्तार पर जोर देना है. विज्ञान शक्ती है और साहित्य शांति देता है. इसलिए मनुष्य को विज्ञान और साहित्य के साथ जीना है.
इसके बाद डॉ. मुकेश शर्मा और डॉ. संजय उपाध्ये ने अपनी राय रखी.
सूत्रसंचालन और स्वागतपर भाषण डॉ.मिलिंद पात्रे और डॉ. संतोष कुमार ने आभार माना.