जिलाधिकारी अवनीश राय एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार वर्मा की अध्यक्षता में विकास भवन के प्रेरणा सभागार में जनपद स्तरीय कृषक जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया
विशाल समाचार नेटवर्क टीम इटावा
इटावा यूपी: जिलाधिकारी अवनीश राय एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार वर्मा की अध्यक्षता में विकास भवन के प्रेरणा सभागार में जनपद स्तरीय कृषक जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिलाधिकारी ने सभी किसानों से अनुरोध किया कि अपने खेत की पराली को बिल्कुल भी नहीं जलायेगे। उन्होने कहा कि हम लोग धान की पराली को अपने खेत में डी-कम्पोजर अथवा इन-सीटू मैनेजमेन्ट आंफ क्राप रेजिड्यूल मशीनरी से खेत में दवाकर सड़ा दें जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति में बढोत्तरी के पर्यावरण भी स्वच्छ रहेगा। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से वातावरण में प्रदूषण बढ़ता है जिससे कई प्रकार की गम्भीर बीमारियाॅ पैदा होती है इसके उपरान्त टी0एस0गौतम उप कृषि निदेशक(शोध) द्वारा समस्त किसान भाइयों को बताया गया कि पौधों के बढ़वार हेतु 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जिसमें कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन प्रकृति से प्राप्त होता है ये तत्व पौधों के लगभग 95 प्रतिशत भाग के निर्माण में सहायक हैं। उक्त के अतिरिक्त नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैगनीशियम, सल्फर तथा सूक्ष्म पोषक तत्व के रूप में लोहा, जिंक, आयरन, बोरान, माॅलिब्डेनम, काॅपर, क्लोरीन तत्व पौधों के बढ़वार एवं उत्पादन में सहायक होते है।उक्त से स्पष्ट है कि पौधों के विभिन्न भागों (जड़, तना, फूल, दाना आदि) के बनने/बढ़ने हेतु उक्त पोषक तत्व पौधे जडों द्वारा, पत्तियों द्वारा तनों द्वारा मृदा से अथवा वातावरण से ग्रहण करते हैं। जब किसान भाई खरीफ, रबी जायद की फसलों की कटाई, मढ़ाई करते हैं तो जड़ तना पत्तियां के रूपों मे पादप अवशेष भूमि के अन्दर एवं भूमि के ऊपर उपलब्ध होते हैं। इनको यदि लगभग 20 किग्रा0 यूरिया प्रति एकड़ की दर से मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई/पलेवा के समय मिला देने से पादप अवशेष लगभग बीस से तीस दिन के भीतर जमीन में सड़ जाते हैं जिससे मृदा में कार्बनिक पदार्थों एवं अन्य तत्वों की बढो़तरी होती हैं। उन्होंने कहा कि फसलों के उत्पादन पर अनुकूल प्रभाव पड़ता हैं। डा0 वी0बी0 जयसवाल, कृशि वैज्ञानिक, के0वी0के0 ने पराली के प्रवंन्धन के विषय पर विषेश चर्चा और बायो-डिकम्पोजर के प्रयोग की विधि की जानकारी दी। श्री धीरज कुमार उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी, सदर इटावा द्वारा बताया गया कि धान के पुआल का कैसे खेत में मिलाये और कैसे खेत में विभिन्न यन्त्रों द्वारा नश्ट किया जाए एवं पराली प्रबन्धन करने वाले सभी यन्त्रों की विषेशता एवं उनका उपयोग एवं लक्ष्य तथा अनुदान के बारे में विस्तार से चर्चा की।
श्री कुलदीप सिंह राणा जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि खाद, बीज और कृशि रक्षा रसायन मुख्यरुप से जनपद में उर्वरक पर्याप्त मात्रा में है और यूरिया का रेट रु0 266 प्रति 45 किग्रा प्रति बोरी, डी0ए0पी0 रु0 1350, एन0पी0के0 रु0 1495 प्रति बोरी है। । आर0एन0 सिंह उप कृशि निदेषक द्वारा बताया गया कि एक टन धान के फसल अवषेश जलाने से 3.0 कि0ग्रा0 कणिका तत्व, 60 कि0ग्रा0 कार्बन मोनो आॅक्साइड, 1460 कि0ग्रा0 कार्बन डाई आक्साईड, 199 कि0ग्रा0 राख एवं 2 कि0ग्रा0 सल्फर डाई आक्साइड अवमुक्त होता है। इन गैसों के कारण सामान्य वायु की गुणवत्ता में कमी आती है, जिससे आॅखों मे जलन एवं त्वचा रोग तथा सूक्ष्म कणों के कारण जीर्ण ह्नदय एवं फेफड़े की बीमारी के रुप में मानव स्वास्थ्य प्रभावित होता है। एक टन धान की पराली जलाने से लगभग 5.5 कि0ग्रा0 पोटेषियम आक्साइड, 1.2 कि0ग्रा0 सल्फर, धान के द्वारा षोशित 50-70 प्रतिषत सूक्ष्म पोशक तत्व एवं 400 कि0ग्रा0 कार्बन की क्षति होती है। पोशक तत्वों के नश्ट होने के अतिरिक्त मिट्टी के कुछ गुण जैसे भूमि तापमान, पी0एच0 नमी उपलब्ध फास्फोरस एवं जैविक पदार्थ भी अत्यधिक प्रभावित होते है। साथ ही मृदा में उपलब्ध लाभदायक जीवाणु नश्ट हो जाते है तथा जीवांष कार्बन की भारी क्षति हो जाती है जिससे भूमि अनुपजाऊ हो जाती है। पराली से कम्पोस्ट खाद बनाने हेतु राजकीय बीज भण्डार पर निःषुल्क वेस्ट डिकम्पोजर प्राप्त कर सकते है। या अपनी पराली को निकटतम गौशाला में भी भेज सकते है जिसकी ढुलाई का खर्च मनरेगा या वित्त आयोग से वहन होगा। व्यक्तिगत तौर पर दो ट्राली पराली गौशाला ले जाने पर एक ट्राली खाद गौशाला से प्राप्त कर सकते है।
उक्त अवसर पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार वर्मा ,अपर जिलाधिकारी अभिनव रंजन श्रीवास्तव, उप कृषि निदेशक आर.एन. सिंह, जिला कृषि अधिकारी कुलदीप सिंह राणा सहित समस्त जिला स्तरीय अधिकारीगण उपस्थित रहे।