एजेक्स इंजीनियरिंग ने क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाली ‘थ्री-डी कंक्रीट प्रिंटिंग’ तकनीक का अनावरण किया; भारत और दुनिया भर में निर्माण के लिए अभिनव समाधान
पुणे : भारत की अग्रणी कंक्रीट उपकरण निर्माण कंपनी एजेक्स इंजीनियरिंग ने ‘थ्री–डी कंक्रीट प्रिंटिंग‘ तकनीक में प्रवेश किया है और अपनी ‘थ्री–डी कंक्रीट प्रिंटिंग मशीन‘ पेश की है। कंपनी ने आज इस संबंध में एक घोषणा की। कंपनी ने ३ दिन में ३५० वर्ग मीटर का घर बनाकर इस तकनीक का प्रदर्शन किया। पारंपरिक निर्माण विधियों के अनुसार, इस प्रकार का घर बनाने में आमतौर पर कुछ महीने लगते हैं। उसकी तुलना में यह निर्माण ‘ एजेक्स थ्री–डी कंक्रीट प्रिंटिंग‘ तकनीक के माध्यम से तेजी से और बड़े पैमाने पर किया जा सकता है। यह किफायती और पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ भी है।
बड़ी संख्या में घरों वाली आवासीय परियोजनाओं में, निर्माण आम तौर पर एक समान होता है और काम तेज गति से होने की उम्मीद होती है। एजेक्स थ्री-डी कंक्रीट प्रिंटर ऐसे प्रोजेक्ट्स में अधिक उपयोगी होगा। आज अनावरण किया गया घर किफायती आवास के लक्ष्यों को पूरा करने में एक बेंचमार्क है। ‘ एजेक्स थ्री-डी कंस्ट्रक्शन प्रिंटर‘ का उपयोग केवल घर बनाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें बड़े बंगले, डाकघर, फायर स्टेशन, पवनचक्की चौथरा बनाने की भी क्षमता है। यहां तक कि मूर्तियों का निर्माण भी इस तकनीक से किया जा सकता है। दरअसल, इस तकनीक की बदौलत निर्माण में विभिन्न विकल्पों को असीमित मात्रा में साकार किया जा सकता है। गुणवत्ता की दृष्टि से यह तकनीक विश्वस्तरीय है। आज हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि भविष्य में इस तकनीक पर आधारित थ्री-डी प्रिंटेड संरचनाएं बड़े पैमाने पर तैयार की जा सकेंगी।
‘ एजेक्स थ्री-डीसी प्रिंटर’ सीएडी मॉडल से भौतिक ऑब्जेक्ट बनाने के लिए सीएडी डिज़ाइन का सहजता से अनुवाद करता है। निर्माण प्रौद्योगिकियों में गेम-चेंजर कहलानेवाले ‘ एजेक्स थ्री-डीसी प्रिंटिंग’ तकनीकसे डिज़ाइन में लचीलापन लाया जा सकता है। इसके अलावा, जटिल मितीय डिज़ाइन वाले कंक्रीट घटकों को मुद्रित किया जा सकता है, जिससे सामग्री की बर्बादी कम हो सकती है। इसी तरह, सभी घटकों में कार्यात्मक विशेषताओं को सीधे शामिल करके, बढ़ी हुई ताकत और स्थायित्व वाली संरचना बनाई जा सकती है। ‘ एजेक्स थ्री-डी कंक्रीट प्रिंटर – एपीएक्स १.०‘ प्रिंटरके साथ १० मीटर लंबाई, १० मीटर चौड़ाई और ९ मीटर ऊंचाई की बड़ी इमारत बनाई जा सकती है। कंपनी भविष्य में और भी अधिक क्षमताओं वाले मॉडल लॉन्च करने का इरादा रखती है। प्रिंटर का उपयोग साइट पर बड़े आकार के प्रीकास्ट भागों के साथ भी किया जा सकता है।
इस अवसर पर, एजेक्स इंजीनियरिंग के प्रबंध निदेशक और सीईओ शुभब्रत साहा ने कहा, “एजेक्स इंजीनियरिंग में, हम मानते हैं कि आत्मनिर्भरता और नवाचार हमारे व्यवसाय के लिए मौलिक हैं। एजेक्स ३ दशकों से अधिक समय से भारत में ‘विश्व स्तरीय निर्माण‘ कर रहा है। हम ३६० डिग्री कंक्रीट समाधानों की अपनी अनूठी श्रृंखला के माध्यम से भारतीय नवाचार और इंजीनियरिंग की अवधारणा को बढ़ावा देते हैं। थ्री-डी प्रिंटिंग तकनीक में अग्रणी बनकर, हम नवाचार और स्थिरता के माध्यम से भारत में विश्व स्तरीय तकनीक और उपकरण बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त कर रहे हैं। हम उन संभावनाओं को लेकर बहुत उत्साहित हैं जो थ्री-डी कंक्रीट प्रिंटर निर्माण में बना सकते हैं। एक परिवर्तनकारी भविष्य को आकार देने के लिए तेजी से आगे बढ़ना हमारा लक्ष्य है। ऐसा करने में सक्षम होने का यह हमारा प्रयास है।”
निर्माण त्रुटियों में कमी, विविध परियोजनाओं के लिए डिज़ाइन लचीलेपन में वृद्धि, न्यूनतम बर्बादी और कम सामग्री खपत ऐसे कुछ प्रमुख लाभ इस तकनीकसे मिलते हैं। ‘ एजेक्स थ्री-डी कंक्रीट प्रिंटर‘ चौबीसों घंटे काम कर सकता है। इससे सुरक्षा या दृश्यता संबंधी चिंताओं के कारण रात में काम न होने की संभावना समाप्त हो जाती है। स्वाभाविक रूप से, निर्माण समयसीमा को यह तेज करता है।
एजेक्स इंजीनियरिंग ने इस वर्ष के दौरान अपने वार्षिक राजस्व में भारी वृद्धि हासिल की है। यह वृद्धि इस उद्योग की अन्य कंपनियों की तुलना में अधिक है। इसी प्रगति के अनुरूप कंपनी ने कर्नाटक में १०० करोड़ रुपये का निवेश करने का फैसला किया है। निवेश में होसाहल्ली में एक नया संयंत्र स्थापित करना और गवरिबिदनूर में उत्पादन क्षमता का विस्तार शामिल होगा।
एजेक्स इंजीनियरिंग ने ” एजेक्स स्कूल ऑफ कंक्रीट” नामक एक संस्थान स्थापित करने का निर्णय लिया है। यह संस्थान न केवल कौशल निर्माण के मामले में बल्कि कंक्रीट उद्योग के लिए अनुसंधान एवं विकास, सहयोग और परामर्श के मामले में भी गेम-चेंजर साबित होगा। ‘ एजेक्स थ्री-डीसीपी‘ तकनीक पेश करके, ‘ एजेक्स इंजीनियरिंग‘ ने भविष्य के निर्माण क्षेत्र में शीर्ष स्थान हासिल करने पर अपनी नजरें जमा ली हैं। इससे वैश्विक विनिर्माण में सबसे आगे रहने की भारत की यात्रा में एक नए युग की शुरुआत होगी।
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