संगम तटपर विध्य में जनसंघ के संस्थापक नाड़ी विशेषज्ञ सरयू वैद्य का किया सम्मान-जगद्गुरु कृष्ण आचार्य ने कहा वैद्य जी को मिलना चाहिए भारत रत्न या पद्मविभूषण सम्मान हनुमना –
रिपोर्ट संपतदास बैध
रीवा: विंध्य प्रदेश में जनसंघ पार्टी के संस्थापक तथा लोकतंत्र सेनानी वरिष्ठ भाजपा नेता नाड़ी विशेषज्ञ सरयू प्रसाद वैद्य का माघ मेला प्रयागराज संगम तट पर आयोजित विराट सन्त सम्मेलन में देशभर से पधारे संतों कीओर से कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे उत्तराखंड पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी कृष्णाचार्य जी महाराज अभिनंदन पत्र भेटकर शाल ओढ़ाकर अभिनंदन करते हुए कहा कि सरयू प्रसाद वैद्य देश के ऐसे नाड़ी विशेषज्ञ वैद्य हैं जिनसे देश की तमाम राजनीतिक सामाजिक व धार्मिक हस्तियों ने समय-समय पर अपनी वाकर चिकित्सा के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ लेते रहे हैं।शायद ही ऐसी कोई जगतगुरु शेष हो जिनकी नब्ज वैद्य जी ने न टटोली हो मैं स्वयं इनसे अपनी नब्ज टटोलवा कर चिकित्सकीय सलाह लेता रहता हूं।
वैद्य जी भारत की विभूति है इन्हें भारत रत्न या पद विभूषण अवश्य मिलना चाहिए। उल्लेखनीय है कि श्री कृष्ण कुंज सेवा समिति ऋषिकेश के शिविर में आयोजित संत सम्मेलन मे देशभर से पधारे अनेक जगतगुरु महामंडलेश्वर संत महंत विद्वानों ने “ढोल गंवार शूद्र पशु नारी सकल ताड़ना के अधिकारी”। विषय पर आयोजित संत सम्मेलन में जहां उत्तराखंड पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी श्री कृष्ण आचार्य ने कहा कि यह चौपाई कोई तुलसीदास स्वयं नहीं लिख रहे वरन यह चौपाई समुद्र बोल रहा है तथा रावण को इसके पूर्व ही मुर्ख कह दिया गया है पहले शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिए फिर कमेंट करना चाहिए वही पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में स्वामी जी महाराज ने कहा कि नेता हो या अभिनेता जिन्हें धर्म के बारे में आई नहीं मालूम मालूम वही ऐसे कमेंट करते हैं मेरी समझ से वे बेचारे हैं। जगद्गुरु स्वामी घनश्याम आचार्य जी महाराज ने कहा कि परमात्मा स्वयं मत्स्य कछुआ वाराह नरसिंह आदि का अवतार लेकर जीव मात्र का सम्मान किया है। सनातन संस्कृति में ढोल गवार व शूद्र वही है जो भगवान से विमुख हो। रामानुज स्वामी स्वयं सबसे बड़े पतितोद्धारक है। ऋषिकेश बड़े हनुमान मंदिर के महंथ विद्या वाचस्पति डॉ रामेश्वर दास ने कहा कि जो नहीं राम का वह नहीं किसी काम का जो गोस्वामी जी की लेखनी पर सवाल खड़े कर रहे हैं वह शायद उनके आश्रय को नहीं समझते कार्यक्रम का शुभारंभ शेषावतारभगवतपाद रामानुजाचार्य के चित्र के सामने देव प्रचलित कर माल्यार्पण कर यज्ञ आचार्य राघवेंद्राचार्य के द्वारा स्वस्तिवाचन एवं संतों की आरती के साथ किया गया इस अवसर पर स्वामी माधवाचार्य श्री वैश्णव सेवा मंडल हनुमना द्वारा जगतगुरु स्वामी कृष्ण आचार्य जी महाराज का गजमल पहनकर अभिनंदन किया गया स्वामी वैष्णो सेवा मंडल के अध्यक्ष नाड़ी विशेषज्ञ सरयू प्रसाद वैद्य को अपना परम सुहृद बताते हुए अपनी प्रसादी गजमाला के रूप में वैद्यजी के साथ अभिनंदन पत्र देते हुए फोटो खिंचवाते हुए आशीर्वाद देकर उनके सुखी व स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए भारत सरकार से वैद्य जी द्वारा राष्ट्रवाद समाज सेवा के लिये अनेको बार जेल यात्राएं एवं नाड़ी व आयुर्वेद ज्ञान की साक्षात प्रतिमूर्ति बताते हुए कहा कि वैद्य जी कलयुग के साक्षात धनवंतरी है इन्हें भारत सरकार को चाहिए कि भारत रत्न या पद्य विभूषण से अवश्य सम्मानित करें।
इस अवसर पर कार्यक्रम का कुशल मार्ग दर्शन युवराज स्वामी गोपालाचारी कर रहे थे कार्यक्रम में विजय वशिष्ठ मोहन प्रसाद पांडे स्वामी माधवाचार्य श्री वैष्णो सेवा मंडल के महामंत्री सीताराम रामानुज दास रामलालू नामदेव बालकृष्ण रामानुज दास गोपाल रामानुज दास बद्रीरामानुज दास सुनैना रामानुज दासी अनंत रामानुज दासीआदि की सराहनीय भूमिका रही