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चुनाव के दौरान चोरांची लोकशाही किताब आना  महत्वपूर्ण संकेतः डॉ. रवींद्र गुर्जर यांचे मत अनिल पाटिल लिखित ‘चोरांची लोकशाही’ किताब का विमोचन

चुनाव के दौरान चोरांची लोकशाही किताब आना
 महत्वपूर्ण संकेतः डॉ. रवींद्र गुर्जर यांचे मत
अनिल पाटिल लिखित ‘चोरांची लोकशाही’ किताब का विमोचन

पुणे: यदि सभी विरोधी एक साथ आ जाएं तो यह निश्चित है कि राजा ईमानदार है. दो हजार साल पहले आर्य चाणक्य ने जो लिखा था वह आज भी मान्य है. इसका उद्देश आगामी लोकसभा चुनाव है और इस दौरान पुस्तक विमोचित होना एक महत्वपूर्ण संकेत है. यह विचार कार्यक्रम के अध्यक्ष लेखक एवं पत्रकार डॉ. रवींद्र गुर्जर ने व्यक्त किए.
मतदाता जागरूकता एवं समृद्ध लोकतंत्र के लिए पूर्व वायुसेना एवं पूर्व पुलिस अधिकारी अनिल पाटिल द्वारा लिखित पुस्तक चोरांची लोकशाही का विमोचन तिलक रोड स्थित मराठा चेंबर ऑफ कॉमर्स के पद्मजी हॉल में किया गया. डॉ. रवीन्द्र गुर्जर, वरिष्ठ साहित्यकार एवं कथाकार बबन पोतदार, राजहंस प्रकासन के संपादक डॉ. सदानंद बोरसे, चंद्रकांत शहासने और प्रतिभा पाटिल ने किया. इस अवसर पर सेंलिब्रेशन एट सिक्सटी पुस्तक के दूसरे संस्करण का विमोचन किया गया. इस मौके पर अनिता पाटिल और प्रतिभा पाटिल मौजूद थी.
डॉ. रवींद्र गुर्जर ने कहा, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में वास्तविक स्थिति क्या है. क्या वास्तव में लोकतंत्र अस्तित्व में है. भ्रष्टाचार से भरे देश में ऐसे लोगों की संख्या की जांच करना आवश्यक है जो वास्तव में देशभक्त है और अपना सब कुछ बलिदान करने के लिए तैयार है. प्रधानमंत्री पं. नेहरू जाने के बाद देश के सामने सवाल था कि अगला प्रधानमंत्री कौन है, लेकिन लोकतंत्र ने दिखा दिया है. वैसे ही नरेंद्र मोदी के बाद इस देश में कई प्रधानमंत्री होंगे.
चंद्रकांत शहासने ने कहा, जिस दिन हम इस देश में चोर बनना बंद कर देंगे, हम विश्वगुरु बन जाएंगे. संविधान आधारित इस देश में समय के साथ कुछ गलतियां हुई हैं. अब इसकी जांच करने की जरूरत है. भ्रम, गुस्सा, आम लोगों की कमजोरी को लेखक ने पुस्तक में प्रस्तुत किया है.
डॉ. सदानंद बोरसे ने कहा, हम इस बात के लिए जिम्मेदार हैं कि भ्रष्ट लोग हमेशा मौजूद रहते है. ऐसे में चोरों के खिलाफ खड़ा होना जरूरी है. अगर देश में लोकतंत्र को बचाए रखना है तो मतदाताओं को जागरूक होना चाहिए और सही तरीके से सोचना चाहिए और वोट करना चाहिए. कोई भी सुधार करना है तो मतभेद होना जरूरी है.
बबन पोतदार ने कहा, चोरांची लोकशाही जैसी पुस्तक के निर्माण का मतलब है कि यह हर किसी के लिए सोचने का समय है. बढता भ्रष्टाचार ही देश को जीवित रखता है. ऐसे समय में मतदाताओं को जागृत रहना चाहिए और संविधान का अध्ययन करना चाहिए और भ्रष्टाचार को रोकना चाहिए.
अनिल पाटिल ने कहा, देश की आजादी के ७५ साल पूरे हो गए है. लेकिन आज यह देश कई समस्याओं से जूझ रहा है. यह सच है कि आजादी के बाद कल्याणकारी योजनओं की बारिश हुई है, लेकिन गरीबी खत्म नहीं हुई है, बल्कि भ्रष्टाचारियों के कारण हुई है. आज लोकतंत्र क्षतिग्रस्त हो गया है. चोरों के लोकतंत्र का मुद्दा पिछले ८ वर्षों से दिमाग में है. यह पुस्तक संविधान, अधिकारों और कर्तव्य, राजनीति में अपराधियों के प्रवेश, न्यायपालिका, भ्रष्टाचार, मीडिया से संबंधित है.
प्रा.अतुल कुलकर्णी ने संचालन और आकाश पाटिल ने आभार माना

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