जन्मजात हृदयरोग के साथ मुदतपूर्व जन्म लिए और कम वजनवाले बच्चे पर बलून एओर्टोप्लास्टी प्रक्रिया सफल
पुणे,: नोबल हॉस्पिटल्स अँड रिसर्च सेंटर के डॉक्टरों के बहुविभागीय टीम ने हालही में जन्मजात हृदयरोग रहे, मुदतपूर्व जन्म लिए व कम वजनवाले बच्चे पर सफलतापूर्वक बलून एओर्टोप्लास्टी प्रक्रिया की.इस बच्चे कोअॅर्कटेशन ऑफ एर्ओटा (बाएं वेंट्रिकल में हृदय से शरीर तक रक्त की आपूर्ति करने वाली प्रमुख रक्त वाहिका में रुकावट) इस स्थिति का निदान किया गया था.इस जीवन रक्षक प्रक्रिया और 20 दिनों की अतिदक्षता विभाग की देखभाल के बाद, बच्चा अब सुरक्षित घर जा चुका है.
(डक्टस आर्टेरियोसस (डीए) यह एक एर्ओटा और फुफ्फुसीय धमनियों को जोड़ने वाली एक भ्रूण वाहिका है) डक्टस से यह वाहिका जन्म से पहले रक्त को फेफड़ों से दूर ले जाती है.प्रत्येक बच्चा डक्टस आर्टेरियोसस के साथ पैदा होता है. जन्म के बाद इसकी आवश्यकता नहीं होती, इसलिए पहले कुछ दिनों में यह सिकुड़ जाता है और बंद हो जाता है.
नोबल हॉस्पिटल अँड रिसर्च सेंटर के वरिष्ठ बालहृदयरोग तज्ञ डॉ.प्रभातकुमार ने कहा की, 10 दिनों के बाद पीडीए सिकुड़ गया और बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होने लगी और हृदय ने काम करना बंद कर दिया। बच्चे को बचाने के लिए सिकुड़ गए एर्ओटा में बलून डायलेटेशन प्रक्रिया करके रक्त के प्रवाह को पूर्ववत करना यह एकमेव पर्याय था. हमारे कार्डियक कैथ लैब में 12वें दिन कोआर्कटेशन की बैलून डिलेटेशन प्रक्रिया की गई. इस प्रक्रिया में, रक्त वाहिका के संकुचित क्षेत्र में एक गुब्बारा डाला जाता है और फिर संकुचित वाहिका को बड़ा करने के लिए गुब्बारे को धीरे-धीरे फुलाया जाता है।
इस प्रक्रिया में एनेस्थेसियोलॉजिस्ट डॉ.निलेश वसमतकर और उनकी टीम और नियोनेटोलॉजी फेलो डॉ. रोहित बोरकर ने सहायता की.
इसके बारे में जानकारी देते हुए निओनेटोलॉजिस्ट और एनआयसीयू के अॅकेडेमिक्स विभाग प्रमुख डॉ.अनिल खामकर ने कहा की,नजदीकी अस्पताल से 1500 ग्राम कम वजन वाले और मुदतपूर्व जन्म लिए बच्चे को पैदा होने के दो घंटे के भीतर हमारे अस्पताल लाया गया था. मां के गर्भ में बच्चे की दिल की धड़कन अनियमित थी, इसलिए सिजेरियन सेक्शन किया गया और साढ़े सात महीने (32.5 सप्ताह) में प्रसूती हुई. अस्पताल में भर्ती होने के बाद बच्चे की हालत अस्थिर थी.सांस लेने में दिक्कत हो रही थी.ऑक्सीजन और ब्लड प्रेशर का स्तर कम हो गया.2डी इको द्वारा कोअॅर्कटेशन ऑफ एर्ओटा इस स्थिती का निदान किया गया. इस स्थिति से ग्रस्त छोटा बच्चा कुछ दिनों तक स्थिर रहता है, क्योंकि पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (पीडीए) रक्ताभिसरण का एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है.
निओनेटोलॉजिस्ट व एनआयसीयू के अॅकेडेमिक्स विभाग प्रमुख डॉ.अनिल खामकर ने कहा की,1500 ग्राम से भी कम वजन वाले बच्चे पर ऐसी प्रक्रिया करना बेहद दुर्लभ है और इसके लिए कौशल, अनुभव और टीम वर्क की आवश्यकता होती है.इस प्रक्रिया में लगभग दो घंटे लग गए.यह प्रक्रिया सफल रही है या नहीं यह निर्धारित करने के लिए 2डी ईको को मानक परीक्षण माना जाता है और यह दर्शाता है कि रक्त वाहिका सफलतापूर्वक खुल गई है और रक्त प्रवाह सामान्य हो गया है.
नोबल हॉस्पिटल अँड रिसर्च सेंटर के कार्यकारी संचालक डॉ.एच.के.साळे ने कहा की, यह सफल कामगिरी बहुविषयक टीम के प्रयास और समन्वय को दर्शाता है जो ऐसी चुनौतीपूर्ण स्थिति में महत्वपूर्ण है
नोबल हॉस्पिटल अँड रिसर्च सेंटर के व्यवस्थापकीय संचालक डॉ.दिलीप माने ने कहा की,हमारा मिशन हर किसी को किफायती दरों पर उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली एकीकृत स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है.
पेडियाट्रिक्स विभाग के प्रमुख डॉ.पी.डी.पोटे ने कहा की, ऐसे कम वजन वाले और बीमार बच्चों के लिए हमारी एनआईसीयू टीम द्वारा सर्वसमावेशक उपचार प्रदान किए जाते है. इस क्षेत्र के विशेषज्ञ सलाहकार हमारी टीम में शामिल हैं, इस टीम में डॉ.अभय महिंद्रे,डॉ.अनिल खामकर, डॉ.सुमित भावसार और डॉ. संतोष, डॉ. सुजाता, डॉ. रोहित, डॉ. संगीता, डॉ. स्मिता सहित नर्सों का सहयोग है.