पूणे

सुजलॉन और जिंदल रिन्यूएबल्स ने स्टील उत्पादन के डीकार्बाेनाइजेशन में अग्रणी रहने के लिए 400 मेगावाट कैप्टिव विंड पावर डील पर हस्ताक्षर किए

सुजलॉन और जिंदल रिन्यूएबल्स ने स्टील उत्पादन के डीकार्बाेनाइजेशन में अग्रणी रहने के लिए 400 मेगावाट कैप्टिव विंड पावर डील पर हस्ताक्षर किए

 

यह भारत के अग्रणी समूह जिंदल समूह के रिन्यूएबल एनर्जी डिवीजन के लिए पहली पवन ऊर्जा परियोजना है।

 

ऑर्डर की मुख्य विशेषताएं-

 

पुणे, भारत- सुजलॉन समूह जेएसपी ग्रीन विंड 1 प्राइवेट लिमिटेड (जिंदल रिन्यूएबल्स पावर प्राइवेट लिमिटेड का एसपीवी) से 400 मेगावाट के महत्वपूर्ण ऑर्डर के माध्यम से पवन ऊर्जा का उपयोग करके इन क्षेत्रों के डीकार्बाेनाइजेशन में योगदान करने के लिए तैयार है। यह महत्वपूर्ण ऑर्डर उद्योग का सबसे बड़ा सीएंडआई ऑर्डर है, जो सुजलॉन के बाजार नेतृत्व को और मजबूत करता है और देश में स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में होने वाली परिवर्तन को तेजी से आगे बढ़ाती है। इस नए अनुबंध के साथ, सुजलॉन की संचयी ऑर्डर बुक अब लगभग 5.4 गीगावाट हो गई है।

 

सुजलॉन कर्नाटक के कोप्पल क्षेत्र में हाइब्रिड लैटिस ट्यूबलर (एचएलटी) टावरों के साथ 127 अत्याधुनिक पवन टरबाइन जनरेटर (डब्ल्यूटीजी) की आपूर्ति करेगा, जिनमें से प्रत्येक की रेटेड क्षमता 3.15 मेगावाट है। उत्पादित बिजली का उपयोग छत्तीसगढ़ और ओडिशा के स्टील प्लांट में कैप्टिव खपत के लिए किया जाएगा, जिससे भारत के हरित ऊर्जा लक्ष्यों को आगे बढ़ाते हुए उनकी संचालन संबंधी सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा मिलेगा।

 

सुजलॉन समूह के वाइस चेयरमैन गिरीश तांती ने कहा, ‘‘हमें जिंदल समूह के साथ साझेदारी करके गर्व है, क्योंकि यह साझेदारी कम कार्बन वाले भविष्य की दिशा में एक साहसिक कदम है, जिसमें स्टील उत्पादन में क्रांति लाने के लिए पवन ऊर्जा का लाभ उठाया जा रहा है। यह अभूतपूर्व सहयोग न केवल औद्योगिक सस्टेनेबिलिटी को एक नई पहचान देता है, बल्कि भारत के 2070 नेट-जीरो विजन के साथ भी इसका तालमेल नजर आता है। साथ मिलकर, हम सस्टेनेबिलिटी संबंधी प्रथाओं के लिए एक नया मानदंड स्थापित कर रहे हैं जो हमारी धरती की सुरक्षा करते हुए विकास को बढ़ावा देते हैं।’’

 

जिंदल रिन्यूएबल्स के प्रेसिडेंट भारत सक्सेना कहते हैं, ‘‘स्वच्छ ऊर्जा समाधानों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में, हम स्टील के निर्माण में हरित ऊर्जा को एकीकृत करने, समूह के समग्र कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और दीर्घकालिक सस्टेनेबिलिटी को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। यह सहयोग टिकाऊ स्टील उत्पादन में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है, जो हमें 2047 तक नेट जीरो से जुड़ी समूह की प्रतिबद्धता को हासिल करने में सक्षम बनाता है।’’

 

सुजलॉन समूह के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर जेपी चालसानी ने कहा, ‘‘अगर हम भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहते हैं, तो स्टील क्षेत्र का डीकार्बाेनाइजेशन एक ऐसा महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसमें आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है। हमारा मानना है कि स्टील के निर्माण संबंधी कार्य प्रणाली का पुनर्मूल्यांकन और उन्हें सशक्त बनाने के लिए दो भारतीय समूहों के साथ मिलकर काम करना दरअसल ‘आत्मनिर्भर भारत’ का एक सच्चा प्रमाण है। मुझे विश्वास है कि यह साझेदारी उद्योग के अनेक खिलाड़ियों को अपने परिचालनों का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित करेगी, क्योंकि हम सामूहिक रूप से एक बेहतर और अधिक सस्टेनेबल भविष्य की दिशा में काम करते हैं।’’

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