प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए सहायक अध्यापिका को निलंबित कर खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय जसवन्तनगर से सम्बद्ध कर दिया।
इटावा विशाल समाचार संवाददाता: एक और शिक्षा विभाग से मामला प्रकाश में आया है।प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए सहायक अध्यापिका को निलंबित कर खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय जसवन्तनगर से सम्बद्ध कर दिया। : सैफई क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय रामेत में तैनात सहायक अध्यापिका लीना सिंह चौहान को खंड शिक्षा अधिकारी सैफई पर गंभीर आरोप लगाना व शिकायत की प्रति सोशल मीडिया पर वायरल करना महंगा पड़ गया है। जिलाधिकारी के निर्देश पर मुख्य विकास अधिकारी ने कमेटी गठित कर जांच कराई थी जिसमे शिकायत फर्जी पाई गई। इसके अलावा बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ राजेश कुमार ने खंड शिक्षा अधिकारी पर लगाये गए आरोपो की गहराई से जांच की और जांच में सभी आरोप फर्जी पाए गए। झूठी शिकायत करने, अधिकारियों की छवि धूमिल करने शिक्षण कार्य मे रुचि न लेने, लगातार अनुपस्थिति रहने आदि आरोपो में प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए सहायक अध्यापिका को निलंबित कर खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय जसवन्तनगर से सम्बद्ध कर दिया।
खण्ड शिक्षा अधिकारी सैफई नबाब वर्मा द्वारा 30 जनवरी को उच्च प्राथमिक विद्यालय रामेत का निरीक्षण किया गया था जहां सहायक अध्यापिका लीना सिंह चौहान अनुपस्थिति मिली थी जिनकी पोर्टल पर व उपस्थित पंजिका में अनुपस्थित लगाई गई। जिस पर बेसिक शिक्षा अधिकारी इटावा ने लीना सिंह का वेतन अवरुद्ध कर दिया। इसके बाद 20 जुलाई को पुनः खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा उक्त विद्यालय का निरीक्षण किया गया तो लीना सिंह चौहान पुनः अनुपस्थिति मिली इस पर खंड शिक्षा अधिकारी नबाब वर्मा ने पोर्टल व उपस्थित पंजिका में अनुपस्थित दर्ज कर दी। इसके बाद उक्त महिला का पति चंद्रशेखर प्रताप सिंह यादव खण्ड शिक्षा अधिकारी सैफई से कार्यालय में मिला और अवरुद्ध वेतन आहरित करने का दबाब बनाया जिस पर खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा कहा गया कि जब तक शिक्षिका लीना सिंह चौहान नियमित रूप से विद्यालय उपस्थित होकर शिक्षण कार्य नही करेगी तब तक वेतन आहरित करने की संस्तुति नही की जाएगी। इसी बात से बौखलाकर लीना सिंह ने कई गंभीर आरोप लगाकर जिलाधिकारी को शिकायत की जिस पर डीएम ने मुख्य विकास अधिकारी व बेसिक शिक्षा अधिकारी को जांच करने का निर्देश दिया था। जिस पर बेसिक शिक्षा द्वारा लीना सिंह का ब्यान दर्ज कराने हेतु पत्र जारी किया गया उक्त पत्र को लीना सिंह ने सोशल मीडिया व व्हाट्सएप ग्रुप में बायरल कर दिया। डीएम के आदेश पर शिकायती पत्र की जांच के लिए मुख्य विकास अधिकारी ने त्रिसदस्यीय समिति का भी गठन किया था जिसमे जिला पूर्ति अधिकारी, जिला सूचना अधिकारी, जिला प्रोवेशन अधिकारी को सदस्य नामित किया गया था उक्त कमेटी द्वारा भी पूरे मामले की गंभीरता से जांच की गई जिसमें शिकायत झूठी पाई गई और शिकायतकर्ता द्वारा कोई साक्ष्य उपलब्ध नही कराया गया इस पर जांच कमेटी ने खंड शिक्षा अधिकारी को क्लीन चिट दे दी। जिलाधिकारी के आदेश पर बेसिक शिक्षा अधिकारी इटावा द्वारा अलग जांच की गई थी जिसमें तथ्य प्रकाश में आये कि लीना सिंह ने खण्ड शिक्षा अधिकारी पर यह आरोप इसलिए लगाए ताकि उन्हें निरीक्षण के समय अनुपस्थिति न किया जाए। खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा निरीक्षण में लीना सिंह के अनुपस्थित मिलने पर उपस्थित पंजिका में अनुपस्थित लगाई गई थी जिस पर दबाव बनाने के उद्देश्य से जिलाधिकारी को झूठी शिकायत की गई लीना सिंह के द्वारा किए गए इस कृत्य से शिक्षक समाज,शिक्षा विभाग, एवं अधिकारियों की छवि धूमिल हुई है जो उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 के विरुद्ध है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी ने उक्त प्रकरण की सुनवाई के समय प्राप्त तथ्यों के आधार पर लीना सिंह चौहान सहायक अध्यापिका उच्च प्राथमिक विद्यालय रामेत विकास खंड सैफई इटावा विद्यालय से बिना सूचना के अनुपस्थित रहने, असत्य शिकायत कर विभाग एवं अधिकारियों की छवि धूमिल करने शिक्षण कार्य में रुचि न लेने सोशल मीडिया पर गलत सूचना प्रसारित करने में प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित करते दिया।