महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में घमासान कौन मारेगा बाजी ,सभी दलों ने कमर कस ली पुणे से चर्चे में बसपा
उत्तर भारतीय में रूझान बसपा में जान, करेंगे कई सीटों पर हार-जीत का फैसला
पूर्व मुख्यमंत्री यूपी की सुश्री मायावती महाराष्ट्र अपनी जनसभा आयोजित करने पधार रही ,इस विषय पर महाराष्ट्र विधानसभा में मचा घमासान, कौन मारेगा बाजी, पुणे से बसपा के चर्चे बड़े जोर शोर से
राजनीतिक हिस्सेदारी को लेकर मतदाताओं में असंतोष
रिपोर्ट डीएस तोमर पुणे
पुणे महाराष्ट्र में इस समय विधानसभा में घमासान,चुनाव प्रचार प्रसार सभाएं बहुत जोर शोर से चल रही है।सभी राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है ।सभी राजनीतिक पार्टियों के दल अपना पूरा जोर लगा रहे हैं।
बुधवार को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ नाथ महाराष्ट्र के मुंबई में सभा आयोजित की इस प्रकार सभी बड़े बड़े दिग्गज नेताओं ने अपनी अपनी सभाएं आयोजित करने लगे ।
ऐसे देखा जाय तो उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी 17 नम्बर 2024 को महाराष्ट्र के पुणे एक महाजन सभा आयोजित करने आ रही।
पुणे में उत्तर भारतीयों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। रोजगार की तलाश में आए लाखों लोग यहीं बस रहे हैं। आईटी हब सेंटर और तेजी से होते औद्योगीकीकरण के चलते पुणे में आने वाले उत्तर भारतीयों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोतरी हुई है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि बसपा कार्यकर्ता उत्तर भारतीय के हर सुख दुःख में खड़े रहते हैं।
राजनीतिक हिस्सेदारी को लेकर मतदाताओं में असंतोष
पुणे में करीब चार लाख मतदाता हैं। ऐसे में इस बार के विधानसभा चुनावों में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है। पुणे शहर में आठ सीटें हैं। इनमें से कई सीटों पर यह समुदाय हार जीत का निर्णय करने में सक्षम है। इनकी इसी ताकत को समझते हुए भाजपा, कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों ने अलग से उत्तर भारतीय प्रकोष्ठ अथवा मोर्चा बना रखा है। हालांकि भाजपा मोर्चा और कांग्रेस के पदाधिकारियों की निष्क्रियता के कारण उत्तर भारतीयों में काफी असंतोष है। ऐसे में इस चुनाव में इस समुदाय के लोग किसे मतदान करेंगे, इस बात को लेकर असमंजस बरकरार है।
केसनंद से दयाशंकर तिवारी, लोहगांव बड़गांवशेरी के विनोद मिश्रा और वारे कोथरूड के राम अवतार प्रजापति ने कहा कि उत्तर भारतीयों के पीछे खड़ा होने वाला कोई बड़ा नेता नहीं है,
जिसके कि रद्दी पेपर की तरह यूज कर फेंक देती है। इस समुदाय के लोगों को राजनीतिक हिस्सेदारी देने को लेकर ठोस कदम नहीं उठा रही है, जिसके कारण उत्तर भारतीयों में भारी रोष है। इसी प्रकार की हालत कांग्रेस की तरफ से बनाए गए
प्रकोष्ठ की भी है। प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों की नियुक्ति नहीं की गई है, जिसके कारण उत्तर भारतीयों की समस्याओं को लेकर लचर रवैया अपनाया जा रहा है। इनके सुख-दुख अथवा सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी को लेकर कांग्रेसी व भाजपा नेता उपेक्षापूर्ण रुख अपनाते हैं। ऐसे में उत्तर भारतीयों के एकमुश्त वोट बसपा और उसके सहयोगी उम्मीदवारों को जाएंगे, इसकी संभावना कम ही नजर आती है।
समस्याओं के समाधान के लिए सदैव प्रयास किया गया।बसपा के प्रदेश महासचिव डॉ हुलगेश भाई चलवादी का कहना है।
कि पुणे शहर में करीब चार लाख से अधिक मतदाता हैं। इसमें बड़गांवशेरी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक एक लाख उत्तर भारतीय हैं। इसी प्रकार हड़पसर में 82 हजार, कोथरुड में 43 हजार, पर्वती में 32 हजार, कैंटोनमेंट में 41 हजार, शिवाजी नगर में 37हजार, कसबापेठ में 42 हजार, खड़कवासला में 36 हजार लोग हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर भारतीयों की समस्याओं का समाधान करने के लिए पार्टी ने सदैव प्रयास किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि उत्तर भारतीय समुदाय के अधिकांश लोग बसपा और उसके सहयोगी उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करेंगे।
प्रकोष्ठ का गठन नहीं होने से होगा नुकसान
उधर, बसपा प्रदेश सदस्य सुदीप गायकवाड़ ने कहा कि उत्तर भारतीयों के हितों की रक्षा के लिए बसपा हमेशा तत्पर रहती है इसलिए इस समुदाय के लोग बसपा व उसके सहयोगी उम्मीदवारों के पक्ष में ही मतदान करेंगे। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया ।
कि उत्तर भारतीय प्रकोष्ठ में पदाधिकारियों की नियुक्ति नहीं होने का खामियाजा कांग्रेस और भाजपा पाटी के उम्मीदवारों को भुगतना पड़ सकता है।
बसपा के प्रदेश सदस्य सुदीप गायकवाड़ ने विधान सभा चुनाव के बाद प्रकोष्ठ विभाग के पदाधिकारियों की नियुक्ति करने का आश्वासन दिया है।
हैं। कांग्रेस और भाजपा इनके मतों का चुनावों के दौरान इस्तेमाल करती है, वाद रद्दी पेपर की तरह यूज कर फेंक देती है .