नैतिक मूल्यों पर आधारित प्रबल अर्थव्यवस्था से आएगी सामाजिक स्थिरता
प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया का प्रतिपादन; सातवें इंडस्ट्री-अकॅडेमिया इंटेग्रेशन कॉन्क्लेव्ह २०२४ में मार्गदर्शन
फेडरेशन फॉर वर्ल्ड अकॅडमिक्स द्वारा प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया को ‘आदर्श उच्च शिक्षण प्रचारक’ (Exemplary Higher Education Evangelist) पुरस्कार प्रदान
फेडरेशन फॉर वर्ल्ड अकॅडमिक्स द्वारा आयोजित ‘सातवें इंडस्ट्री-अकॅडेमिया इंटेग्रेशन कॉन्क्लेव्ह २०२४’ में
सूर्यदत्त एज्युकेशन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रो . डॉ. संजय बी. चोरडिया को विशेष वक्ता के रूप में आमंत्रित
रिपोर्ट डीएस तोमर पुणे
पुणे: “हमारे प्राचीन ग्रंथों मे ‘धर्मस्य मूलम् अर्थः’ याने की अर्थव्यवस्था ही अपनी शक्ति है। उसी कारन सामाजिक स्थैर्य के लिए नैतिक मूल्यों पर आधारित एक प्रबल अर्थव्यवस्था होना जरुरी है,” ऐसा प्रतिपादन सूर्यदत्त एज्युकेशन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रो . डॉ. संजय बी. चोरडिया ने किया।
फेडरेशन फॉर वर्ल्ड अकॅडमिक्स और ईपीएन-एज्युकेशन पोस्ट न्यूज द्वारा आयोजित सातवें इंडस्ट्री-अकॅडेमिया इंटेग्रेशन कॉन्क्लेव्ह २०२४ में विशेष अतिथि वक्त के रूप में प्रा. डॉ. संजय बी. चोरडिया को आमंत्रित किया गया था। नवी दिल्ली के हयात होटल में यह पत्रकार परिषद् आयोजित की गयी थी। नॅशनल एज्युकेशनल टेक्नॉलॉजी फोरम, और ‘नॅक’ और ‘एनबीए’ इस संस्था के अध्यक्ष प्रो . डॉ. अनिल सहस्रबुद्धे द्वारा इस परिषद् का उद्घाटन किया गया था।
“इस इंडस्ट्री-अकॅडेमिया कॉन्क्लेव्ह का विषय ‘रोज़गार के अवसर और क्षमता निर्माण’ था। भारत की रोजगार क्षमता बढ़ाने पर इस सत्र में चर्चा की गयी। रोज़गार क्षमता को चलना देने के साथ साथ भविष्य में आने वाले अवसरों के लिए युवाओंको तैयार रहना चाहिए और उसके लिए कोनसे उपाय किये जा सकते है इस पर चर्चा हुई। इस सत्र में शिक्षण और उद्योग क्षेत्र के २०० से अधिक प्रमुख व्यक्ति उपस्थित थे। इस वक्त प्रो . डॉ. संजय बी. चोरडिया को ‘आदर्श उच्च शिक्षण प्रचारक’ (Exemplary Higher Education Evangelist) पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
“भारत के लोकसंख्यिक लाभ का उपयोग: वर्त्तमान और भविष्य का दृष्टिकोण’ इस विषय पर आधारित चर्चा सत्र में प्रो . डॉ. संजय बी. चोरडिया,हैदराबाद के मल्ला रेड्डी विद्यापीठ के कुलगुरु प्रो . व्हीएसके रेड्डी, नवी मुंबई के डीवाय पाटील अभिमत विद्यापीठ के कुलगुरू प्रो . वंदना मिश्रा चतुर्वेदी, आयएफएचई बंगलोर के कुलगुरू प्रो . मुद्दू विनय, झारखंड के आयसीएफएआय विद्यापीठ के कुलगुरू प्रो . रमन झा, कानपूर येथील हार्कोर्ट बटलर टेक्निकल युनिव्हर्सिटी के कुलगुरू प्रो . समशेर आदी उपस्थित थे।
प्रो . डॉ. संजय बी. चोरडिया ने कहा, “भारत की ५० प्रतिशद लोकसंख्या युवा अवस्था में है। इस में बहुत से युवा २५ साल के अंदर है। भारत को अपनी आर्थिक शक्ति बढ़ाने में आने वाले समय में इसका फायदा होगा। ें युवाओंकी कार्य क्षमता बढाकर इनके कौशल्य का सही उपयोग किया गया तो भारत इस रेस में आगे बढ़ सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास और हिंदू धर्म में निहित आध्यात्मिक मूल्यों से प्रभावित हैं। रचनात्मकता और जिज्ञासा की संस्कृति के साथ तकनीकी नवाचार भारत को वैश्विक बाजार का नेतृत्व करने में मदद कर सकता है।”
प्रो चोरडिया ने आगे कहा,”21वीं सदी में नेतृत्व करने की भारत की क्षमता तकनीकी प्रगति, आर्थिक ताकत और आध्यात्मिक मूल्यों को संयोजित करने की क्षमता में निहित है। भारत विश्व गुरु बनने के अपने सपने को साकार कर सकता है यदि वह अपनी जनसंख्या का दोहन करे, नवाचार और नैतिक विकास को बढ़ावा दे। भारत एकता, सहयोग और एकत्रित मूल्यों के माध्यम से वैश्विक अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार देने के लिए तैयार है।” ऐसा भी प्रो . डॉ. संजय बी. चोरडिया ने कहा।