पहली बार सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल में हुआ प्लाज्मा फेरिसस प्रोसीजर का सफलउपयोग
रीवा सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल को मिली जटिल किडनी रोग के उपचार में सफलता
रीवा (MP) :सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल गंभीर तथा जटिल रोगों के उपचार में लगातार सफलताएं प्राप्त कर रहा है। इस क्रम में हास्पिटल के नेफ्रोलॉजी विभाग में विन्ध्य क्षेत्र में पहली बार प्लाज्मा फेरिसस प्रोसीजर का सफलता पूर्वक उपयोग किया गया है। इसमें खून से शरीर के विरूद्ध निर्माण होने वाली एंटीबाडीज को स्पेशल डायलिसिस फिल्टर (प्लाज्मा फिल्टर) से शरीर से बाहर निकाला जाता है। सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल में भर्ती 15 वर्षीय किशोरी के उपचार में इसका सफल प्रयोग किया गया है। सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल के सहायक प्राध्यापक डॉ. रोहन द्विवेदी तथा उनके सहयोगियों द्वारा इस प्रक्रिया को अंजाम दिया गया।
इस संबंध में सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल के अधीक्षक डॉ. अक्षय श्रीवास्तव ने बताया कि हनुमना निवासी 15 वर्षीय किशोरी अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग में भर्ती की गई थी। उसे किडनी खराब होने की बीमारी बतायी गई थी। जांच के दौरान पाया गया कि किशोरी क्रिसंटेकिग्लोमेरिलो नेफ्रोंयटिस बीमारी से पीडि़त है। यह एक प्रकार की ऑटो इम्यून बीमारी है। जिसमें शरीर स्वयं की किडनी के विरूद्ध एंटीबॉडीज का निर्माण करने लगता है। यह एंटीबॉडी किडनी की कोशिकाओं को हानि पहुंचाती है। इसके उपचार के लिये एंटीबॉडीज को शरीर से बाहर निकालने के लिये जटिल प्लाज्मा फेरिसस प्रोसीजर प्रक्रिया अपनायी जाती है। जिसमें प्लाज्मा फिल्टर से एंटीबॉडीज को शरीर से बाहर निकाला जाता है।
सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल के नेफ्रोलॉजी विभाग में सफलता पूर्वक यह प्रक्रिया पूरी की। समय पर उपचार सुविधा मिलने से किशोरी के प्राणों की रक्षा हुई। यदि समय पर किडनी का उपचार नहीं किया जाता तो इसके पूरी तरह से खराब होने की आशंका बनी रहती। अत्यधिक लागत शुल्क के कारण यह प्रक्रिया केवल बड़े संस्थानों एवं कार्पोरेट अस्पतालों में ही उपलब्ध थी। लेकिन रीवा में सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल में भी प्लाज्मा फेरिसस प्रोसीजर का सफलता पूर्वक उपयोग किया गया है। यह सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल और विन्ध्य क्षेत्र के लिये गौरव का क्षण है। डॉ. श्रीवास्तव ने नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉक्टर एवं अन्य सहयोगी चिकित्सा कर्मियों को इस सफलता के लिये बधाई दी है।