ग्रामीण विकास में जनसहभागिता संबंधी वेबिनार संपन्नरीवा( MP) जवाहरलाल नेहरू नीति शोध केंद्र के तत्वाधान में एक राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया जिसके मुख्य अतिथि प्रसिद्ध समाजसेवी पद्मविभूषण श्री अन्ना हजारे जी थे। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि ग्रामीण विकास में जन सहभागिता को बढ़ाने के लिए एक अच्छी लीडरशिप की आवश्यकता होती है। अच्छी लीडरशिप में कुछ बातें आवश्यक हैं। जैसे- विचार शुद्ध होना, आचार शुद्ध होना, जीवन निष्कलंक होना, जीवन में त्याग होना, अपमान पीने की शक्ति होना और सत्य के मार्ग पर चलना।
उन्होंने कहा की बीज जब अपना त्याग कर मिट्टी में मिल जाता है तभी वह एक अच्छा पौधा बन पाता है। त्याग को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत भूमि ऋषि- मुनियों की भूमि है, जो अनादि काल से ही त्याग के लिए सभी को प्रेरित करती रही है। उनका कहना था कि सत्य को कभी छोड़ना नहीं चाहिए। सत्य के मार्ग में चलने वाला व्यक्ति हमेश हमेशा दिक्कत में आ सकता है, लेकिन सत्य हमेशा सत्य ही रहता है, पराजित नहीं होता। सत्य की नाव हिलती है, डुलती है, लेकिन कभी भी डूबती नहीं है। उन्होंने अपने गांव रालेगण सिद्धि के विकास को याद करते हुए बताया कि पहले यह गांव बहुत पिछड़ा हुआ था लेकिन जन सहयोग से गांव का अत्यधिक विकास हुआ है और आज खेती के साथ-साथ विद्यालय और अन्य अधोसंरचना की स्थापना हुई है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के कुलपति प्रोफेसर राजकुमार आचार्य ने कहा की ग्राम स्तर पर विकास के लिए समाज आधारित ग्राम विकास की अवधारणा की तरफ हमें और देश के ग्राम संरचना को ले जाना पड़ेगा। ग्रामीण विकास की अवधारणा में हमें यह विचार करना होगा कि सामाजिक सहभागिता का स्वरूप कैसा हो केवल अर्थ से समाज जीवन सुखी नहीं होता है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मध्य प्रदेश समाज विज्ञान शोध संस्थान के निदेशक प्रोफ़ेसर यतींद्र सिंह सिसोदिया ने ग्रामीण विकास को रेखांकित करते हुए कहा कि ग्रामीण विकास केवल कृषि क्षेत्र में होने वाला विकास कि नहीं है बल्कि इसके साथ ही साथ ग्रामीण क्षेत्र के अधोसंरचना में विकास तथा ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी, बेरोजगारी और समानता के आयामों की दृष्टि और संदर्भ से भी देखने की आवश्यकता है। उन्होंने ग्रामीण विकास में महिलाओं की महत्वपूर्ण भागीदारी का भी उल्लेख किया। ग्रामीण विकास के संदर्भ में एक साझा प्रयास करने की आवश्यकता पर उन्होंने बल दिया। कार्यक्रम की विशिष्ट वक्ता गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर के समाज कार्य विभाग की प्रोफेसर प्रतिभा जे. मिश्रा ने अपने उद्बोधन में राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों का उदाहरण देते हुए कहा कि विकास के लिए जन सहमति बहुत आवश्यक है और इसके द्वारा ही ग्रामीण क्षेत्र की सामाजिक बुराइयों एवं कुरीतियों को दूर किया जा सकता है।