किसानों को फसलों में उचित कीट नियंत्रण की सलाह
रीवा (MP) :गत दिवस उप संचालक कृषि यूपी बागरी तथा कृषि विज्ञान केन्द्र के पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश कुमार ने जिले के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण किया। भ्रमण के आधार पर उप संचालक कृषि ने किसान भाईयों को धान तथा अन्य फसलों में उचित कीट नियंत्रण की सलाह दी है। उप संचालक ने कहा है कि धान की फसल में कुछ स्थानों में पत्ती लपेटक कीट, सफेद व भूरी गंधी बग कीट का प्रकोप देखा गया है। इसके कारण धान में शीत झुलसा का प्रकोप हो जाता है तथा निचले भाग की पत्तियां सूखने लगती हैं। इसके नियंत्रण के लिये किसान पिप्रोनिल 5 प्रतिशत ईसी दवा 750 मिलीलीटर का घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। सफेद बग के नियंत्रण के लिये हेम्साकोनाजोल 5 प्रतिशत तथा बैलीडामाइसिन 2.5 प्रतिशत दवा का घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।
उप संचालक ने कहा है कि कण्डवा रोग भी धान के लिये बहुत घातक है। इसका प्रकोप फसल में दाने की बाली बनने के समय हो सकता है। कण्डवा रोग का प्रकोप होने पर प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत दवा का घोल बनाकर फसल में छिड़काव करें। अरहर, मूंग एवं उड़द में फलन के समय कीटों का प्रकोप होने पर थायोमेथेक्जाम एवं लैम्बडासायलोथ्रिन दवा का मिश्रण बनाकर छिड़काव करें। सब्जियों में यदि तना काटने वाली इल्ली का प्रकोप दिखायी दे तो एमामेम्टिन 5 प्रतिशत दवा का छिड़काव करें। किसान भाई प्रतिदिन अपने फसलों की निगरानी करें। फसल में किसी भी तरह के कीट का प्रकोप होने पर तत्काल अपने निकटतम ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क करके उचित दवा का समय पर छिड़काव करायें।