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जिला एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के तहत अंतर विभागीय बैठक समाहरणालय विमर्श कक्ष में जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता हुई आयोजित

जिला एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के तहत अंतर विभागीय बैठक समाहरणालय विमर्श कक्ष में जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता हुई आयोजित

विशाल समाचार टीम बिहार

सीतामढी/बिहार:जिला एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के तहत अंतर विभागीय बैठक का आयोजन समाहरणालय स्थित विमर्श कक्ष में जिला पदाधिकारी सुनील कुमार यादव की अध्यक्षता में आयोजित की गई।कार्यक्रम का उद्घाटन जिला पदाधिकारी द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया। जिलाधिकारी द्वारा उपस्थित सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आपसी समन्वय के साथ कार्य करें एवं इस संबंध में अपने उत्तरदायित्व का गंभीरता पूर्वक निर्वहन करें। जिलाधिकारी ने कहा कि जानकारी ही बचाव है ,इसलिये इसके बचाव को लेकर लोगो तक जानकारी पहुचाये।उन्होंने कहा कि माइग्रेंट लेबर ,ट्रक ड्राइवर आदि को के बीच व्यापक जागरूकता कार्यक्रम चलाएं। उन्होंने शिक्षा ,विभाग नेहरू युवा केंद्र,पंचायती राज विभाग ,पुलिस विभाग आदि अन्य विभागों में इस संबंध में वर्कशॉप आयोजन करने का भी निर्देश दिया।

उन्होंने निर्देश दिया कि सेक्स वर्करों को चिन्हित कर उनके आर्थिक स्वालंबन को लेकर विस्तृत कार्य योजना बनाएं। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि शत प्रतिशत पात्र बच्चों को चिन्हित कर उन्हें परवरिश योजना का लाभ दिलाना सुरक्षित करें। जिलाधिकारी ने यह भी निर्देश दिया कि जिले में जितने भी ब्लड बैंक संचालित हैं उनकी जांच कर तीन दिनों के अंदर प्रतिवेदन उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि वीएचएनडी साइट पर एचआईवी टेस्ट की व्यवस्था सुनिश्चित करें। उन्होंने उपस्थित सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि जिले के सभी वीएचएनडी साइट को नियमित रूप से संचालित करना सुनिश्चित करें। उन्होंने जिले में चलाई जा रही परिवार नियोजन कार्यक्रम का भी समीक्षा किया और यह निर्देश दिया कि महिलाओं के साथ साथ परिवार नियोजन में पुरुषों की भी भागीदारी में वृद्धि इसको लेकर कार्य योजना बनाएं। डॉ दीपक ने जानकारी देते हुए कहा कि एचआईवी एक वायरस है जो मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है। जब यह वायरस मानव शरीर में प्रवेश करता है तब स्थिति एचआईवी पॉजिटिव कहलाती है ।कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण मानव शरीर में कई प्रकार की बीमारियां हो जाती है इसी स्थिति को एड्स कहा जाता है। उन्होंने कहा कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति से असुरक्षित यौन संबंध, एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने से, एचआईवी संक्रमित मां से उनके होने वाले बच्चों को, एचआईवी संक्रमित सुई के प्रयोग से इस रोग का संक्रमण हो सकता है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि एक ही यौन साथी के साथ वफादार रहने से,कंडोम का सही और हर बार इस्तेमाल करने से ,नई सुईया एवम सिरिंज के इस्तेमाल से, एचआईवी मुक्त खून का प्रयोग करने से हम एचआईवी संक्रमण से बच सकते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि हमें एचआईवी संक्रमण से बचाव के लिए अपनी यौन साथी एवं परिवार की सुरक्षा के लिए एचआईवी जांच करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि एकीकृत सलाह और जांच केंद्र सरकारी अस्पताल में स्थित है। यहां पर एचआईवी से जुड़ी सलाह दी जाती है और एचआईवी जांच की जाती है। यह सब पूरी तरह से गोपनीय और बिकुल मुफ्त है। उन्होंने कहां की एचआईवी पॉजिटिव मां से बच्चे को गर्भावस्था के दौरान,प्रसव के समय या स्तनपान के समय संक्रमण होने की संभावना है परंतु अगर सावधानी बरती जाए और दवा ली जाए तो यह संभव है कि एचआईवी पॉजिटिव मां अपने बच्चे को एचआईवी संक्रमण से बचा सकती है।
इसके लिए एचआईवी पॉजिटिव मां का प्रसव अस्पताल में होना चाहिए साथ ही मां को प्रसव के समय और बच्चों को जन्म के तुरंत बाद डॉक्टर की सलाह से दवाई देनी चाहिए। बच्चों को दूध पिलाने के तरीके के बारे में मां को सलाद लेनी चाहिए ।कुछ एचआईवी पॉजिटिव माताओं को एआरसी दवाओं की जरूरत पड़ सकती है इसकी शुरुआत डॉक्टर की सलाह के बाद ही करनी चाहिए। एचआईवी संक्रमित पाए जाने की दशा में निकटतम सरकारी अस्पताल के एआरटी केंद्र में अपना नाम रजिस्टर करा सकते हैं। एड्स की स्थिति में रेट्रोवायरल चिकित्सा और स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर व्यक्ति वर्षों तक समान जीवन जी सकता है। एआरटी केंद्र में मुफ्त स्वास्थ्य सेवा मुफ्त cd4 जांच मुफ्त ए आर वी दवा उपलब्ध है । उन्होंने कहा कि एचआईवी संक्रमित लोग एक सामान्य जीवन जी सकते हैं उन्हें जरूरत है ससमय इलाज सम्मान और देखभाल की। उक्त बैठक में निर्देशक डीआरडीए मुमुक्षु चौधरी,सिविल सर्जन,जिला शिक्षा पदाधिकारी,डीपीआरओ डीपीओ आईसीडीएस, सहित सभी विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

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