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राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) और जेनरेशन इंडिया फाउंडेशन ने प्रोजेक्ट अंबर लॉन्‍च किया, युवाओं को उद्योग से संबंधित कौशल और रोजगार के अवसर मिलेंगे

पुणे महाराष्ट्र: कौशल मुहैया कराने और रोजगार के अंतर को कम करने की कोशिश में, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) और जेनरेशन इंडिया फाउंडेशन (जीआईएफ) ने आज इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में प्रोजेक्ट अम्बर (एक्सीलेरेटेड मिशन फॉर बेटर एम्‍प्‍लॉयमेंट एंड रीटेंशन यानी बेहतर रोजगार और प्रतिधारण के लिए त्वरित मिशन) शुरू करने की घोषणा की। इस पहल का उद्देश्य कौशल विकास के एक मापनीय और निरंतर जारी रहने वाले एक मॉडल को विकसित करना और उसे लागू करना है। इससे बेहतर परिणाम और संस्थागत मजबूती सुनिश्चित करने के लिए समावेशी विकास को समर्थन मिलेगा। साथ ही भारत के युवा उद्योग के लिए प्रासंगिक कौशल और रोजगार के अवसरों के साथ सशक्त होंगे।

यह परियोजना कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) द्वारा संकल्प (स्किल्स एक्वीजिशन एंड नॉलेज अवेयरनेस फॉर लाइवलीहुड प्रोमोशन यानी आजीविका संवर्धन हेतु कौशल अधिग्रहण और ज्ञान जागरूकता) कार्यक्रम और निजी परोपकार के तहत समान रूप से वित्त पोषित है। इसका उद्देश्य 30,000 युवाओं को प्रशिक्षित करना है, जिनमें आधी महिलाएं होंगी। प्रशिक्षण का आयोजन 70 जिलों में प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों (पीएमकेके) में किया जाएगा और यह कोविड के लिहाज से लचीली नौकरी या रोजगार भूमिका के लिए होगा।
इस पहल की प्रशंसा करते हुए, श्री राजेश अग्रवाल, सचिव, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने कहा, “देश को आज अपनी अनूठी जनसांख्यिकी लाभ के लिए कौशल विकास और प्रशिक्षण में निवेश करने की आवश्यकता है। स्किलिंग की पूरी व्यवस्था बदल गई है, खासकर महामारी के बाद और ऐसे में हमारे लिए यह जरूरी है कि हम अपने युवाओं को बदलते रोजगार बाजार में नौकरी करने या पाने लायक बनाएं और ऐसा सुनिश्चित करें। अंबर (एएमबीईआर) जैसी पहल नियोक्ताओं और उद्योग को कोविड के लिहाज से जरूरी और लचीली नौकरी की भूमिका मुहैया कराने के लिए गठजोड़ करने का मौका देती है। बेरोजगारी या नौकरी जाने की दर का ख्याल रखते हुए हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उम्मीदवारों को सही उद्योग के बारे में जानकारी, काउंसलिंग और पूर्व-प्रशिक्षण मिले ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़े। मुझे विश्वास है कि यह कार्यक्रम भारत के कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश करने के लिए और अधिक वैश्विक भागीदारों और परोपकारी लोगों को प्रेरित करेगा तथा युवाओं को आत्मनिर्भर होने की उनकी आकांक्षा में व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए आकर्षित करेगा। मैं इस पहल को शुरू करने के लिए एनएसडीसी, जेनरेशन इंडिया और संबद्ध भागीदारों को बधाई देता हूं। यह भारत के युवाओं को कौशल प्रदान करने की दिशा में उनकी विशेषज्ञता को रेखांकित करेगा।
प्रोजेक्ट अंबर का लक्ष्य प्रचलित कार्यक्रमों की तुलना में उच्च प्लेसमेंट और प्रतिधारण दर रखना है ताकि शिक्षार्थियों के लिए कौशल प्रासंगिक हो और उन्हें कोविड के बाद की अर्थव्यवस्था में लचीली नौकरी की भूमिकाओं के लिए तैयार किया जा सके। इस परियोजना के लिए पहचाने गए कोविड -लचीले क्षेत्रों और नौकरी की भूमिकाओं में शामिल हैं: जनरल ड्यूटी असिस्टेंट, जूनियर फुल स्टैक डेवलपर, रिटेल सेल्स एसोसिएट, कस्टमर सर्विस एक्जीक्यूटिव, सिलाई मशीन ऑपरेटर, हॉस्पिटल फ्रंट डेस्क एग्जीक्यूटिव, सोलर पीवी इंस्टालर, फूड एंड बेवरेज स्टीवर्ड। नौकरी की भूमिकाएं दो साल की अवधि में शुरू की जाएंगी।

प्रोजेक्ट अंबर जीआईएफ के समग्र सात-चरण वाले नजरिए पर निर्भर करेगा। इसका उपयोग उच्च गुणवत्ता वाले कौशल मुहैया कराने, रोजगार में सुधार और नौकरी में बने रहने (प्रतिधारण परिणामों) के लिए किया जाएगा। ब्लैकरॉक फाउंडेशन और मैकिन्सी एंड कंपनी इस परियोजना का समर्थन कर रहे हैं।
नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के सीओओ, वेद मणि तिवारी ने कहा, “एनएसडीसी अभिनव समाधानों की खोज में रहता है, यह हमेशा भविष्य के लिए अवसरों की तलाश करता है जिसे स्किलिंग इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है। प्रोजेक्ट अंबर की शुरुआत से, हमारा उद्देश्य बाजार संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करना है जो भविष्य की नौकरियों के लिए तैयार एक कुशल कार्यबल तैयार करने में मदद करता है। जेनरेशन और निजी लोकोपकारियों के साथ सहयोग का उद्देश्य एक मजबूत नेटवर्क बनाना है जो अंतरराष्ट्रीय मानकों और गुणवत्ता मानकों के अनुसार प्रशिक्षण मुहैया कराए। हमें विश्वास है, अंबर एक समग्र पारिस्थितिकी तैयार करने में भूमिका निभाएगा जो नई क्षमताओं के लिए नए मार्ग प्रशस्त करेगा।”
जेनरेशन की ग्लोबल सीईओ मोना मुरशेड ने कहा, “प्रोजेक्ट अंबर भारतीय युवाओं को नौकरियों में प्रशिक्षित करने, स्थान देने और समर्थन देने का एक महत्वाकांक्षी प्रयास है जो उन्हें और उनके परिवारों के लिए जीवन-परिवर्तनकारी स्थिरता प्रदान करेगा, और हम इसका हिस्सा बनकर खुश हैं ।” उन्होंने आगे कहा, “यह सहयोगात्मक प्रयास सरकार, निजी क्षेत्र और गैर-लाभकारी संगठनों को एक साथ करता है और अर्थव्यवस्था के महामारी के झटके से उबरने तक लोगों को काम में लगाने की तत्कालिक चुनौती से निपटने के लिए बिल्कुल यही आवश्यक है।”
सशक्तिकरण परियोजना के बारे में बताते हुए जेनरेशन इंडिया के सीईओ अरुणेश सिंह ने कहा, “महामारी ने केवल युवा बेरोजगारी की समस्या को बढ़ा दिया है और कोई भी संगठन अकेले इसे हल नहीं कर सकता है। प्रोजेक्ट अंबर निजी क्षेत्र, सरकार, प्रशिक्षण भागीदारों और नियोक्ताओं को एकजुट करके इस समस्या का समाधान लाता है। यह भारत में युवाओं को नौकरी पर रखने लायक कौशल युक्त करने की तात्कालिक आवश्यकता को पूरा करता है।”

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