पूणे

मिट्टी संरक्षण से ही फूलों जैसा जीवन महकेगा सदगुरु जग्गी वासूदेव के विचार – विश्व के सबसे बड़े विश्व शांति गुंबद को भेट

मिट्टी संरक्षण से ही फूलों जैसा जीवन महकेगा सदगुरु जग्गी वासूदेव के विचार – विश्व के सबसे बड़े विश्व शांति गुंबद को भेट

पुणे :मनुष्य अपनी सुंदरता का जतन करे, उसे कभी भी गिरने मत देना. अगर ऐसा होता है तो आप हर हाल में हर परिस्थिती में खुश रहोगे. सृष्टी पर फूलों जैसे इस जीवन को महकाना है तो सभी को मिट्टी संरक्षण के लिए पूरा प्रयास करने का संकल्प उठाने की अपील आध्यात्मिक गुरु, ईशा फाउंडेशन के संस्थापक पद्मविभूषण सद्गुरू जग्गी वासूदेव ने की.
२६ देशों की यात्रा कर चुके सदगुरू ने राजबाग लोनी कालभोर में स्थापित दुनिया के सबसे बड़े दार्शनिक संत श्री ज्ञानेश्वर-तुकाराम महाराज वर्ल्ड पीस प्रार्थना सभामंडप और वर्ल्ड पीस लाइब्रेरी के नाम से निर्मित विश्व शांति गुंबद में छात्रों से संवाद साधा. यहां पर उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और मिट्टी संरक्षण की अपील की. यह कार्यक्रम एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित किया गया था.
इस मौके पर एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष और यूनेस्को अध्ययन के प्रमुख प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड, एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी के कार्याध्यक्ष प्रा.डॉ. मंगेश तु. कराड, एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस और प्र. कुलपति डॉ. मिलिंद पांडे उपस्थित थे.
सद्गुरू जग्गी वासूदेव ने कहा,“वैश्विक तापमान में वृद्धि को ध्यान में रखकर पर्यावरण संरक्षण जरूरी है. रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरक शक्ति धीरे धीरे कम होती जा रही है. जीव जंतुओं और पेड़ पौधों की रक्षा करने के लिए मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाए रखने का प्रयास किया जाना जरूरी है. परिस्थितिकी तंत्र में जैव विविधता अत्यंत आवश्यक है. मिट्टी की उर्वरा क्षमता कम होने से धरती पर अन्न का उत्पादन कम होगा. जिससे भोजन की समस्या बढ जायेगी. इसलिए मिट्टी में पर्याप्त जैविक तत्व मौजूद हो, इसके लिए हम सबको आगे आना होगा. सभी जीवों के लिए मिट्टी का बहुत महत्वपूर्ण है. यदि अभी मिट्टी बचाना शुरू नहीं किया गया तो आगामी कुछ ही सालों में दुनिया में अन्न का संकट शुरू हो जाएगा.
भारत में ३० प्रतिशत उपजाऊ मिट्टी पहले ही बंजर हो चूकी है और उपज देने में असमर्थ है. भारत के ६३ प्रतिशत भूभाग में मिट्टी में ०.५ प्रतिशत से भी कम जैविक तत्व बचे रह गये है. बीते दशकों में तेजी से मिट्टी के जैविक तत्वों में कमी आयी है. तेजी से खराब होती मिट्टी हमारे अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा है. वृक्षों के अनियमित कटान से ग्रीन कवर नष्ट हो चुका है.
प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, पद्मविभूषण सद्गरू जग्गी वासूदेव भारतीय आत्मा है. मिट्टी बचाने का विश्वात्मक संदेश सारी दुनिया को देकर सद्गुरू ने नई क्रांति लाई है. भारत माता ज्ञान का दालन है, यहां की हर बात मानवता के जीवन के लिए है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भगवत गीता को सौगात के स्वरूप में देते हुए सारी दुनिया में देश का नाम उंचा किया है.
इस मौके पर सदगुरू जग्गी वासूदेव को पुणेरी पगडी पहनाकर स्वागत किया गया है. सेव द सॉइल इस थीम पर छात्रों ने नृत्य प्रस्तुत किया. मिट्टी की उर्वरक शक्ति धीरे धीरे कम होती जा रही है इस पर छात्रा प्रेरणा चांडक ने अपनी बात कही
डॉ. मिलिंद पांडे ने सूत्रसंचालन किया. प्रा. डॉ. मंगेश तु. कराड ने सभी का आभार माना.

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