धर्मपूणे

मूर्ति ट्रस्ट ने संस्कृत और प्राकृत अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट को 75 मिलियन रुपये की प्रतिबद्धता की घोषणा की

मूर्ति ट्रस्ट ने संस्कृत और प्राकृत अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट को 75 मिलियन रुपये की प्रतिबद्धता की घोषणा की

पुणे: – श्रीमती सुधा मूर्ति और श्री नारायण मूर्ति के पारिवारिक फाउंडेशन, मूर्ति ट्रस्ट ने संस्कृत और प्राकृत में दुर्लभ पुस्तकों और पांडुलिपियों पर अनुसंधान को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट (बोरी) को 75 मिलियन रुपये का अनुदान देने की घोषणा की। अनुदान में मूर्ति सेंटर ऑफ इंडिक स्टडीज, 18,000 वर्ग फुट की विरासत शैली, 200 सीटों की कक्षा क्षमता के साथ अकादमिक और अनुसंधान भवन, व्याख्यान आयोजित करने हेतु अत्याधुनिक सभागार और प्राचीन पुस्तकों एवं पांडुलिपियों को डिजिटाइज़ करने के लिए ऑडियो – विजुअल स्टूडियो शामिल है। श्रीमती सुधा मूर्ति द्वारा भवन की आधारशिला रखने के साथ इसका भूमि पूजन किया गया।

नई पहल के बारे में श्रीमती सुधा मूर्ति ने कहा, “बीओआरआई 105 साल पुरानी संस्था है और भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसने अनेक बौद्धिक शोध पत्रों और पुस्तकें प्रोड्यूस की है। बीओआरआई के हर एक प्रोफेसर बहुत बड़े विद्वान हैं। दो पुस्तकों महाभारत और केन के धर्मशास्त्र के समालोचनात्मक संस्करण के बौद्धिक कार्य ने मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया। ये दोनों ही मेरे हृदय के अत्यंत करीब हैं। समय बदलने के साथ, लोग ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए हमारी संस्कृति के बारे में अधिक से अधिक जानकारी हासिल करना चाहते हैं और उन्हें कर्मचारियों के साथ बातचीत करना अच्छा लगेगा। इसलिए, मूर्ति ट्रस्ट ने एक नई और आधुनिक इमारत के साथ बीओआरआई का समर्थन करने का फैसला किया है जो भारत की सांस्कृतिक विरासत के लिए समर्पित होगा।”

बीओआरआई के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष, श्री भूपाल पटवर्धन ने मूर्ति सेंटर ऑफ इंडिक स्टडीज के लिए संस्थान की योजनाओं के बारे में भी बताया। “माननीय सुधाताई ने शैक्षणिक परियोजनाओं के लिए धन दिया है, और अब संस्थान में लगभग 40 विद्वान हैं जो भारतीय दर्शन से लेकर कत्थक और आयुर्वेद एवं खगोल विज्ञान तक के विभिन्न विषयों पर काम कर रहे हैं। आगामी मूर्ति सेंटर ऑफ इंडिक स्टडीज में 60 से अधिक विद्वान समायोजित हो सकते हैं। इसके साथ ही अब यह संस्थान शिक्षा में भी प्रवेश कर चुका है। इसलिए, विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए इसकी कक्षाओं में 200 छात्र समायोजित हो सकते हैं और चूंकि इस मूर्ति केंद्र में एक स्टूडियो होगा, इसलिए हम अच्छी ऑनलाइन सामग्री तैयार कर सकते हैं जो हमारे मंच ‘भारत विद्या’ पर पेश की जाएगी। संस्थान में 28,000 पांडुलिपियां और पुरानी पुस्तकें हैं। इन पुस्तकों की बेहतर देखभाल के लिए नई इमारत में संरक्षण प्रयोगशाला होगी। यह संस्थान और उसके भविष्य के लिए एक बड़ी छलांग होगी। इस सुविधा से भारतीय संस्कृति के अलग – अलग विषयों का विश्व भर में प्रचार – प्रसार किया जा सकता है। इसके लिए, हम मूर्ति ट्रस्ट के प्रति बहुत आभारी हैं।

भंडारकर इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिएंटल रिसर्च (बीओआरआई)

भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट (बोरी), पुणे, 1917 में स्थापित, दुर्लभ पुस्तकों और पांडुलिपियों का सबसे बड़ा संग्रह है जहाँ संस्कृत और प्राकृत जैसी कई भाषाओं में 1,25,000 से अधिक पुस्तकें और 28,000 से अधिक पांडुलिपियां हैं। यह संस्थान आंशिक रूप से महाराष्ट्र सरकार द्वारा समर्थित है। इसे विशिष्ट अनुसंधान परियोजनाओं के लिए भारत सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से अनुदान भी प्राप्त हुआ है। संस्थान को कई खंडों में ‘धर्मशास्त्र का इतिहास’ और ‘महाभारत का आलोचनात्मक संस्करण’ जैसी विश्व स्तरीय उत्कृष्टता की विद्वतापूर्ण परियोजनाओं का श्रेय जाता है।

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