लखनऊ

इन्वेस्टर्स समिट में ‘‘सतत् विकास में नवीकरणीय ऊर्जा के योगदान“ विषयक संगोष्ठी

इन्वेस्टर्स समिट में ‘‘सतत् विकास में नवीकरणीय ऊर्जा के योगदान“ विषयक संगोष्ठी

प्रदेश में 32.92 लाख करोड़ रूपये के निवेश में सबसे ज्यादा 07 लाख करोड़ रूपये का निवेश ऊर्जा के क्षेत्र मेंं आया:-मंत्री श्री ए०के० शर्मा

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित “ग्लोबल इन्वेस्टर समिट-2023” (०23) का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा आज किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय एवं प्रदेश के मंत्रीगण के साथ देश-विदेश के निवेशक, उद्योगपति उपस्थित थे। प्रधानमंत्री जी ने प्रदेश को देश के प्रमुख, पसंदीदा व लोकप्रिय निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करने में सफलता के लिए तथा राज्य द्वारा इस दिशा में उठाये गये सार्थक एवं फल-जनित प्रयत्नों एवं उपक्रमों की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री श्री ए0के0 शर्मा जी की अध्यक्षता में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के अन्तर्गत ‘सतत विकास में नवीनीकृत ऊर्जा का योगदान’ विषय पर हैंगर-04, वशिष्ट हॉल में 02ः30-04ः00 बजे के बीच सत्र का आयोजन हुआ। संगोष्ठी का उद्घाटन श्री ए0के0 शर्मा द्वारा किया गया। इस दौरान उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रदेश में 32.92 लाख करोड़ रूपये के निवेश में सबसे ज्यादा 07 लाख करोड़ रूपये का निवेश ऊर्जा के क्षेत्र मेंं आया है, जिसमें से आज विभिन्न क्षेत्रों के लिए 1.39 लाख करोड़ रूपये के हस्ताक्षरित एमओयू का आदान-प्रदान किया गया।
ऊर्जा मंत्री श्री ए0के0 शर्मा ने कहा कि रिन्यूएबल क्षेत्र में निवेश के लिए देश-विदेश से आये निवेशकों का स्वागत है। उन्होंने प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र में निवेश हेतु अनुकूल परिदृश्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रतिपादित सौर ऊर्जा नीति 2022 एवं जैव ऊर्जा नीति 2022 के प्रावधानों से अवगत कराया। मंत्री जी ने आगामी पॉच वर्षों में उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 01 ट्रिलियन डॉलर का आकार देने के संकल्प को दोहराते हुए इस हेतु प्रदेश की ऊर्जा मांग में आवश्यक विकास दर की प्राप्ति पर बल दिया।

इस अवसर पर ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा राज्य मंत्री डा0 सोमेन्द्र तोमर ने कहा कि 21वीं सदी में देश के भविष्य में ऊर्जा क्षेत्र का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान होगा तथा प्रदेश नवीन ऊर्जा के विकास एवं ऊर्जा संक्रमण में बड़ी भूमिका निभा रहा है।
आयोजित संगोष्ठी में देश के ऊर्जा तथा नवीनीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के नीति निर्माताओं, औद्योगिक नेतृत्व, शिक्षाविदों एवं प्रबुद्ध मण्डल की उपस्थिति तथा हरित ऊर्जा से सम्बन्धित समस्त क्षेत्रों यथा सौर, जैव तथा जियो थर्मल का पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व था।
अपर मुख्य सचिव, ऊर्जा एवं नवीनीकरण ऊर्जा श्री महेश कुमार गुप्ता द्वारा सतत विकास में नवीनीकरण ऊर्जा के महत्व को रेखांकित करते हुए सत्र का स्तर एवं संदर्भ निर्धारित किया गया। उन्होंने मत व्यक्त किया कि भारत में नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन का प्रमुख ध्येय आर्थिक विकास में वृद्धि, ऊर्जा सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा तक आम जनमानस की पहुॅच में सुधार करना तथा जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों का शमन करना है। उन्होंने ऊर्जा विभाग द्वारा प्रतिपादित एवं क्रियान्वित सौर तथा जैव नीतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह नीतियॉ इन क्षेत्रों में विकास का मार्ग प्रशस्त करेंगी। उनके द्वारा राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा के विकास के लिए सुदृढ़ शासकीय समर्थन की प्रतिबद्धता दर्शायी गयी।
अपर मुख्य सचिव, ऊर्जा तथा नवीकरणीय ऊर्जा ने माननीय प्रधानमंत्री के विज़न को रेखांकित किया जिसमें देश 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा माँग में प्राकृतिक गैस के भाग में वृद्धि हेतु “मिशन मोड” पर कार्यरत है। उनके द्वारा यह भी कहा गया कि देश के ऊर्जा क्षेत्र में विकास की अभूतपूर्व सम्भावनाएं हैं तथा राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन देश को 21वीं सदी में नयी दिशा प्रदान करेगा। उनके द्वारा आश्वस्त किया गया कि प्रदेश माननीय प्रधानमंत्री के विज़न के अनुसार प्रदेश की ऊर्जा आपूर्ति में विविधीकरण, वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों यथा जैव ईंधन, इथेनाल, कम्प्रेस्ड बायोगैस तथा सौर ऊर्जा के विस्तार तथा ग्रीन हाइड्रोजन व इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग को प्रोत्साहित कर डी-कार्बनाइजेशन हेतु कटिबद्ध है।

भारत सरकार के ऊर्जा सचिव, श्री आलोक कुमार द्वारा वैश्विक रूझानों की तारतम्यता में पारम्परिक ऊर्जा स्त्रोंतो (यथा कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस) से गैरपारम्परिक/नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोंतो (सोलर, जैविक, पवन) की ओर यात्रा/संक्रमण में उपलब्ध सम्भावनाओं एवं उसमें आने वाली चुनौतियों की व्याख्या की गयी। उन्होंने रेखांकित किया कि चूॅकि राज्य ऊर्जा उत्पादन हेतु आवश्यक ईधन के रूप में कोयले पर अत्यधिक निर्भर है अतः राज्य द्वारा ईधन मिश्रण के विविधीकरण पर सक्रिय रूप से विचार किया जाना चाहिए। उनके द्वारा यह भी चिन्हित किया गया कि अव जबकि कोयले से उत्पादित ऊर्जा से सम्बन्धित मानदण्डों को और कठोर किया जा रहा है,

एफ0जी0डी0 की आवश्यकता, राख निपटान एवं कार्बन कैप्चर का प्रभाव पारम्परिक स्त्रोत (कोयले) से उत्पादित ऊर्जा की लागत को प्रभावित करेगा। एम0एन0आर0ई0 के लक्ष्यों की अनिवार्यता के उपरान्त तीव्र आर0पी0ओ0 पथ का प्रबन्धन तथा आर0ई0 इन्टीग्रेशन राज्य हेतु चुनौती के रूप में इंगित किया गया। उन्होंने कहा कि ऊर्जा आपूर्ति मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा का बढ़ता अंश तथा ऊर्जा भण्डारण के क्षेत्र में सुधार ऊर्जा संक्रमण के प्रमुख उत्प्रेरक हैं।

संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए श्री गुरदीप सिंह, अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक, एन0टी0पी0सी0, जो देश के विशालतम विद्युत ऊर्जा उत्पादक की हरित ऊर्जा उत्पादन की ओर परिवर्तनकारी यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं, ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षमतावृद्धि के क्षेत्र में एन0टी0पी0सी0 की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए राज्य में निवेश की प्रबल इच्छा एवं मंशा दर्शायी। उन्होंने कहा कि चूॅकि आगामी दो/तीन दशकों तक कोयला आधारित एवं नवीकरणीय ऊर्जा का सह-अस्तित्व होगा, अतः प्रदेश को ससमय आवष्यक योजना गठित कर लेनी चाहिए जिससे की नवीकरणीय ऊर्जा सुलभ व सस्ती हो सके। श्री सिंह ने सुझाव दिया कि राज्य को केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय की वह नीति जिसमें कोयले तथा आर0ई0 आधारित उत्पादन की बंडलिंग की अनुमति प्रदान की गयी है को प्राथमिकता प्रदान करने पर विचार करना चाहिए।

तदोपरान्त कार्यक्रम में उपस्थित निवेशकों/संगोष्ठी के प्रतिभागियों द्वारा राउण्ड-द-क्लाक बिजली की खरीद, यूटिलिटी एवं सौर ऊर्जा परियोजनओं में ओपर-एक्सेस को प्रोत्साहित करने, रूफटॉप सौर संयंत्रों की स्थापना के क्षेत्र में राज्य की उपलब्ध पूर्ण क्षमता का दोहन, जैव-ऊर्जा क्षेत्र में निवेष तथा ठोस कार्ययोजना गठित कर हरित हाइड्रोजन के ईंधन के रूप में उपयोग जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सार्थक चर्चा की गयी। हाई-जेनको ग्रीन इनर्जीज़ के सह-संस्थापक श्री अंशुल गुप्ता द्वारा ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में अवसर तथा ग्रीन हाइड्रोजन को ईधन के रूप में उपयोग हेतु कार्ययोजना गठित करने की आवश्यकता पर विचार व्यक्त किया गया। एवर-इन्वायरों रिसार्स मेनेजमेन्ट लि0 से श्री दीपक अग्रवाल ने जैव ऊर्जा निवेश की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त सत्र में अक्षम ऊर्जा क्षेत्र का वित्त पोशण के सम्बन्ध में भी आरईसी, पीएफसी एवं इरडा जैसी वित्तीय संस्थानों के शीर्ष अधिकारियों के मध्य विचार मंथन किया गया।

ग्लोबल इन्वेस्टर समिट- 2023 के शुभारम्भ के पूर्व से ही विदेशी एवं घरेलू, दोनों निवेशकों ने प्रदेश में निवेश हेतु तीव्र उत्कंठा प्रदर्शित की गई है। नवीकरणीय ऊर्जा सहित सम्पूर्ण ऊर्जा क्षेत्र निवेश हेतु प्रथम प्राथमिकता के रूप में स्थापित हुआ। समिट के प्रारम्भ के पूर्व ही नवीकरणीय ऊर्जा में 314 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किया जा चुका था, जिसमें ऊर्जा भण्डार प्रणालियों के साथ जैव, सौर एवं ग्रीन हाइड्रोजन जैसे अक्षय ऊर्जा के उपक्षेत्र सम्मिलित हैं। इन निवेश प्रस्तावों के धरातल पर उतरने पर राज्य में लगभग 2.3 लाख रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।

सत्र के अवधि में ग्रीन हाइड्रोजन, पम्प स्टोरेज प्रणाली, जिया थर्मल ऊर्जा तथा फ्लोटिंग सौर प्रणाली के अभूतपूर्व क्षेत्रों में निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर तथा उनका आदान-प्रदान किया गया।

संगोष्ठी का समापन ऊर्जा मंत्री श्री ए0के0 शर्मा जी के उद्बोधन से हुआ, जिसमें उनके द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश में उपलब्ध अपार सम्भावनाओं को इस क्षेत्र में विनिर्माण का केन्द्र बनने की क्षमता का पुर्नरेखांकित किया गया। उनके द्वारा यह विश्वास व्यक्त किया गया कि एक प्रतिबद्ध नेतृत्व तथा अनुकूल नीतिगत वातावरण इन निवेश समझोतों को धरातल पर मूर्त रूप प्रदान करने में अवश्य सफल होगा।

श्री एम0 देवराज, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लि0 द्वारा धन्यवाद ज्ञापित कर सभी मा0 मंत्रीगण, देश एवं विदेश के निवेशकों, वित्तीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों व अन्य सभी सम्माननीय को निवेश समिट में गरिमामयी उपस्थिति के लिए आभार व्यक्त किया गया। उनके द्वारा अवगत कराया गया कि प्रदेश का ऊर्जा क्षेत्र निरन्तर उन्नतिशील है तथा भविष्य में भी ऊर्जा संक्रमण के क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित करता रहेगा। उनके द्वारा आश्वस्त किया गया कि उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लि0 एवं उसकी सहयोगी कम्पनियाँ निवेशकों को हर प्रकार के सहयोग हेतु सदैव तत्पर है।

इस संगोष्ठी में राज्य के त्वरित आर्थिक विकास हेतु नीति निर्माताओं तथा राजनैतिक, शासकीय एवं व्यापारित नेतृत्व के संगम के साथ ज्ञान साझा करने व निवेश के प्रति प्रतिबद्धतायें भी परिलक्षित थीं।

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