यूँ तो इरफान को गए कई महीने बीत चुके है, लेकिन इरफान की यादों को जाने में एक लम्बा अरसा लगेगा, या फिर ये कहे की इरफान की अदाकारी अमर हो चुकी है,
इरफान का जन्म राजस्थान के टोंक शहर में हुआ था, इरफान खान ने राजस्थान का नाम बॉलीवुड से हॉलीवुड तक रोशन किया। 7 जनवरी 1967 को पैदा हुए इरफान खान को अबतक फिल्मफेयर अवार्ड के साथ ही पान सिंह तोमर के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
उनकी माता उनको लेक्चरर बनाना चाहती थी, लेकिन इरफान की किस्मत में कुछ और ही लिखा था, साधारण से रहन-सहन में रहने वाले इरफान खान को जब टोंक के लोग उन्हें पर्दे पर देखते थे तो उन्हें यकीन नही होता था की ये वही इरफान है
हमारी इंडियन सिनेमा ने शायद इरफान को वो नही दिया जो वो डिज़र्व करते थे,हम सलमान और शाहरुख के दिखावेपन के पीछे इतना पागल है की इरफान को हमने बार-2 नज़रअंदाज किया, इरफान को पर्दे पर देखकर ऐसा लगता है जैसे अपनी ज़िंदगी की कहानी चल रही हो,
हम इंडियन लोग बड़े अजीब है जब कोई मर जाता है तो हमे बड़ा दुःख होता है लेकिन जीते-जी हम किसी से सीधे मुँह बात नही करते है, जाने वाले को भला कौन रोक सकता है इसलिए इरफान भाई भी निकल लिए, इरफान जैसे कई उम्दा कलाकार आज भी हमारी इंडस्ट्री में मौजूद है लेकिन क्या है न की हम सिक्सपैक वाले के पीछे पागल है, तो भला टैलेंट की कदर कैसे कर ले
इरफान को अगर सचमुच करीब से जानना और समझना चाहते है तो उनकी कुछ फिल्में ज़रूर देखे जिनमे हिंदी मीडियम,करीब-2 सिंगल,पान सिंह तोमर, पीकू,लंचबॉक्स तलवार और लाइफ इन मेट्रो शामिल है ज़िन्दगी में कुछ चीजें ऐसी है जिन्हें हम चाहकर भी भूलना नही चाहते “इरफान” भी उनमें से एक है,