बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कुछ ऐसी परिस्थियां बन रही हैं जो वर्ष 2017 में हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की याद दिला रही है। बिहार विधानसभा चुनाव में भी ‘यादव’ परिवार वैसे ही चर्चा में है, जैसे यूपी के विधानसभा चुनाव में ‘यादव’ परिवार था। यूपी में अखिलेश यादव ने अपने पिता को साइडलाइन कर दिया था, वर्तमान में बिहार में तेजस्वी यादव ने अपने पिता लालू यादव को कर दिया है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि ‘महागठबंधन’ की कांग्रेस पार्टी कह रही है। अब इसे इत्तेफाक ही कहिये कि यहां भी कांग्रेस कनैक्शन है।
बिहार के विधानसभा चुनाव होने में अब बस एक महीना शेष है, और इसी के साथ चुनावी प्रचार भी जल्द ही आरंभ होगा,परन्तु बिहार के चुनाव में हिस्सा ले रही पार्टियों की स्थिति पिछली बार की तुलना में काफी बुरी दिखाओ दे रही हैं, खासकर राजद की। जहां एनडीए गठबंधन अपनी तैयारियों को लेकर काफी आश्वस्त है, तो वहीं ‘महागठबंधन’ टूटने की कगार पर है। स्थिति यह है कि आरजेडी का सबसे विश्वसनीय सहयोगी पार्टी कांग्रेस भी उसके साथ गठबंधन में नहीं बना रहना चाहताी है।
देखा जाए तो अखिलेश और तेजस्वी दोनों ने ही अपने पिता की अनदेखी की है, और उसका नतीजा क्या हुआ है पाक साफ है, दूसरी तरफ मुलायम सिंह यादव, यूपी के पूर्व मुख्यमन्त्री औऱ समाजवादी पार्टी के कर्ता धर्ता, जिनसे लोग राजनीति सीखने आते थे अखिलेश यादव उन्ही को राजनीति सीखाने लगाने, मुलायम की बारीकियों को समझना इतना आसान नही है, मुलायम और लालू अपने समय के बड़े खिलाड़ी रहे है, लेकिन ये बात भला बच्चों को कैसे समझ आये!
राजनीतिक समीकरण को बदलने और विपक्षी खेमे को चित्त करने का अन्दाज सीखने में अखिलेश और तेजस्वी को अभी लम्बा वक्त लगेगा