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मराठा चैंबर ऑफ कॉमर्स के निदेशक प्रशांत गिरबने, एमआईटी एडीटी युनिवर्सिटी द्वारा 5वें ग्लोबल इनोवेटिव ट्रेड नेशनल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन

इनोव्हेशन सर्वसमावेशक होना चाहिए

मराठा चैंबर ऑफ कॉमर्स के निदेशक प्रशांत गिरबने, एमआईटी एडीटी युनिवर्सिटी द्वारा 5वें ग्लोबल इनोवेटिव ट्रेड नेशनल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन

पुणे: नई तकनीक, नवप्रवर्तन और अनुसंधान को अब विशेष महत्व प्राप्त हो गया है. भारत में अनुसंधान के लिए एक वातावरण बनाया जा रहा है और छात्रों को व्यापक नवाचार और टेक्नॉलॉजी निर्माण के लिए इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए इससे दुनिया को फायदा होगा, ऐसा मत मराठा चैंबर ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्रीज एंड एग्रीकल्चर (MCCIA) के महानिदेशक श्री प्रशांत गिरबाने ने व्यक्त किया.

वह एमआईटी आर्ट, डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, आईएसडीसी, क्रीडाई, एमआईटी अटल इनोवेशन सेंटर और एमआईटी कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट द्वारा आयोजित ग्लोबल इनोवेटिव ट्रेंड्स पर 5वें राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. इस मौके पर कल्याणी सेंटर ऑफ टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन (केसीटीआई)- भारत फोर्ज के वरिष्ठ निदेशक डॉ. राजकुमार प्रसाद सिंह, एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी के प्र- वाइस चांसलर डॉ. अनंत चक्रदेव, निदेशक, एमआईटी कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट डॉ. सुनीता मंगेश कराड, एमआईटी एडीटी युनिवर्सिटी के अटल इनोवेश सेंटर और अनुसंधान विभाग की प्रमुख डॉ. मोहित दुबे, डॉ. रामचंद्र पुजेरी, डॉ. रजनीशकौर बेदी, डॉ. सुदर्शन सानप सहित डीन, निदेशक व अन्य विभागों के कर्मचारी मौजूद रहे.

प्रशांत गिरबने ने कहा, ज्यादातर तकनीकी क्षेत्रों में शोध हो रहा है, लेकिन वह काफी नहीं है. शोधकर्ता स्टीव जॉब के अनुसार शोध तकनीक और कला से जुड़ा है. यूनिवर्सिटी को रिसर्च पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. अनुसंधान कलात्मकता है. तकनीकी अनुसंधान में कला का उपयोग किया जाता है. आज का युवा डिजिटल दुनिया की बात करता है. युपीआय (UPI) के जरिए भारत डिजिटल पेमेंट से जुड़ गया है. नंदन नीलकेनी ने यह शोध किया है. जब डिजिटल भुगतान की बात आती है तो दुनिया भारत की ओर देख रही है. अगले पांच सालों में ई-कॉमर्स का इस्तेमाल बढ़ेगा. डिजिटल तकनीक अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. भविष्य में हाइड्रोजन ईंधन का उपयोग बढ़ेगा. हमारी वर्तमान ऊर्जा कुछ क्षेत्रों पर निर्भर करती है. हाइड्रोजन ईंधन में दुनिया को बदलने की क्षमता है.

डॉ. राजकुमार प्रसाद सिंह ने कहा, किसी भी क्षेत्र में एक छात्र की डिग्री तभी उपयोगी होगी जब वे उस क्षेत्र में कुछ शोध करेंगे. रिसर्च से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. भारतीय शोध पत्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में प्रकाशित किया जाना चाहिए. भारतीय पेटेंट को लेकर पजेसिव नहीं हैं, लेकिन पेटेंट रजिट्रर कराना जरूरी है. पीएचडी के लिए छात्रों को अपने शोध लेख अच्छे प्रकाशनों में प्रकाशित करने चाहिए. युनिवर्सिटी में एक राष्ट्रीय स्तर की अनुसंधान प्रयोगशाला होनी चाहिए. प्रधानमंत्री की फैलोशिप का छात्रों द्वारा शोध के लिए उपयोग किया जाना चाहिए.

डॉ. सुनीता कराड ने कहा कि एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी शोध को विशेष महत्व दे रही है. हम अनुसंधान के माध्यम से रोजगार के अवसर पैदा करना चाहते हैं. भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा स्टार्ट-अप देश बन गया है. विदेशी विश्वविद्यालय भारत में निवेश कर रहे हैं. छात्रों के लिए अनुसंधान, उद्यमशीलता और शोध का माहौल तैयार करना है.

इस बीच, अभिवृद्धि जर्नल का प्रकाशन किया गया. डॉ. मिलिंद दुबे ने प्रस्ताव रखा. प्रो डॉ. अशोक घुगे और प्रो. स्नेहा वाघ्टकर ने संचालन किया.

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