रीवा

983 करोड़ की योजना का अधिकारियों ने किया बंटाढार, 3 साल का कार्य 6 साल में भी अधूरा 

983 करोड़ की योजना का अधिकारियों ने किया बंटाढार, 3 साल का कार्य 6 साल में भी अधूरा 

क्षेत्रफल की सिंचाई को ठेकेदार व भ्रष्टाचारियों का गिरोह रहा सक्रिय किसानों के सपनों को किया गया चकनाचूर ….

धर्मेन्द्र गुप्ता प्रतिनिधि मऊगंज 
रीवा एमपी:  विकास की नई परिभाषा अब शायद यह हो चुकी है कि सौ में एक कार्य पूरा करो और शेष कार्यों को बंदरबांट करके अधर में लटका दो। कहते हैं कि लोकार्पण एवं भूमिपूजन के मामले में प्रदेश की सरकार यह बताने का तो नहीं? प्रयास करती है कि सब कुछ ठीक चल रहा है। पुराने आंकड़ों को उठाकर देखा जाय तो सामूहिक लोकार्पण व भूमिपूजन का इतिहास बड़ा चौकाने वाला दिखेगा। किन्तु उसका यदि जमीनी पता किया जाय तो कुछ और ही समझ में आयेगा। 983 करोड़ की योजना को तीन साल में पूर्ण हो जाना चाहिये था। बात रीवा जिले की नईगढ़ी सूक्ष्म सिंचाई योजना एवं सतना जिले की रामनगर सूक्ष्म सिंचाई योजना की हो रही है। जहां वर्ष 2017 में इन तीनों योजनाओं का ठेका जयप्रकाश एसोसिएट नोयेडा को दिया गया था। कंपनी तीन साल से अधिक समय तक कार्य करती रही और जल संसाधन विभाग उस कार्य का पर्यवेक्षण करता रहा। किन्तु आज तक इस योजना के तहत किसानों एक प्रतिशत भी अफसर सिंचाई उपल ध नहीं हो पाई। बताया गया है कि लगभग 5 साल 8 महीने पूर्ण होने के बाद भी अभी तक इस योजना तहत खेतों में पाईप बिछाने का कार्य पूर्ण नहीं किया गया है। बिजली की लाईन एवं सब स्टेशन तैयार नहीं करवाये गये हैं। इससे साबित होता है कि विभागीय अधिकारी और ठेकेदार 5 साल 8 महीने तक केवल 983 करोड़ की राशि को किसी न किसी काम के नाम पर फीलगुड करते रहे जबकि विभाग के ऊच्चाधिकारी आंख में पट्टी बांध कर आराम फरमा रहे थे। यहाँ तक कि शासन को भी भ्रामक जानकारी दी जा रही थी कि योजना का कार्य तेजी के साथ चल रहा है। योजना का कार्य समय पर पूर्ण होगा और किसानों के खेतों की सिंचाई होगी। सिंचित नहीं हो सकता 70 हजार हे टेयर रकबा बताया गया है कि नईगढ़ी सूक्ष्म सिंचाई योजना एवं रामनगर सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत रीवा सतना जिले में 70 हजार हे€ टेयर क्षेत्रफल की सिंचाई होनी थी। जहां रीवा जिले में नईगढ़ी क्षेत्र की 50 हजार हे टेयर एव सतना जिले में रामनगर क्षेत्र की 20 हजार हे टेयर क्षेत्रफल शामिल किया गया था किन्तु अब पता चल रहा है कि लक्षित रकवे के अनुसार अब एक हे टेयर की सिंचाई संभव नहीं है। उल्लेखनीय है कि इस योजना के तहत नदी व नहर के पानी को लि ट करके सिंचाई क्षमता का विकास किया जाना था।

योजनाओं का लाभ पाने भटक रहे हितग्राही योजना की अपूर्णता का कारण कहीं जल क्षमता की कमी पिछले कुछ समय से यह सवाल भी उठ रहे हैं कि नईगढ़ी सूक्ष्म सिंचाई योजना की अपूर्णता का सबसे बड़ा कारण यह है कि जहां से पानी को लिट किया जाना है वहां उतनी क्षमता का पानी ही उपल ध नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि योजना पूर्ण हो जाती और उसका ट्रायल होता तो गर्मी के मौसम में ही उसकी पोल खुल जाती है। लगभग 6 साल पूरे हो रहे हैं कि भाजपा के कार्यकाल तब उस स्थिति में विभाग के उन इंजीनियरों को जबाब में 983 करोड़ की परियोजना अभी तक पूर्ण नहीं हो पाई। देना पड़ता जिनके प्रोजेट पर भरोसा करके शासन द्वारा आठ अरब से अधिक की योजना स्वीकृत की गई। शायद यही कारण है कि तीन साल से अधिक समय बीतने के बाद योजना अभी तक अपूर्ण बताई जा रही है। योजना के अपूर्ण बताने से कम से कम इतना तो है कि अभी पानी की उपल धता को लेकर कोई सवाल नहीं उठ रहे है। बल्कि यही कहा जा रहा है कि योजना पूर्ण नहीं हो पाई। कंपनी हो गई सैलिस्टेड किन्तु बच गये भ्रष्ट विभागीय इस योजना का एक सबसे चौकाने वाला मामला तो यह है कि कंपनी को मु य अभियन्ता गंगा कछार ने हाल ही में काली सूची में डाल दिया है। उसका पंजीयन दो साल के लिये निलंबित कर दिया गया है। किन्तु विभागीय भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कोई ए शन नहीं लिया गया जो अभी तक दुशासन की भांति भ्रष्टाचार का चीरहरण देख रहे थे। जारी आदेश में मु य अभियन्ता ने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि इस योजना में 983 करोड़ में से कितनी राशि व्यय की जा चुकी है जिसका कोई औचित्य नहीं है। जो एक तरह से निष्फल व्यय है। इसलिये ठेकेदार के साथ विभागीय अधिकारी भी दोषी हैं जो इतने वर्षों तक इस योजना का चीरहरण अपनी आंखों से देख रहे थे। किन्तु कोई कार्रवाई नहीं किया अथवा कोई प्रस्ताव प्रेषित नहीं किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button