पूणे

बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स), पिलानी के एम.टेक.

बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स), पिलानी के एम.टेक.

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग प्रोग्राम को नए सिरे से किया गया डिजाइन

पुणे: – सॉफ्टवेयर उद्योग में वर्तमान में और हमेशा विकसित होने वाले रुझानों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बीआईटीएस), पिलानी के एम.टेक. सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग प्रोग्राम को अब फिर से डिजाइन किया गया है। यह प्रोग्राम बिट्स पिलानी के वर्क इंटीग्रेटेड लर्निंग प्रोग्राम्स (डब्ल्यूआईएलपी) डिवीजन के तहत कराया जाता है। प्रोग्राम को नए सिरे से डिजाइन करने का मकसद कुछ सबसे तेजी से बढ़ते डोमेन जैसे कि फुल स्टैक इंजीनियरिंग और सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट मैनेजमेंट में कामकाजी पेशेवरों की सहायता करना है।

इस एम. टेक. कार्यक्रम में अन्य प्रमुख ऐसी तकनीकों और दक्षताओं को शामिल किया गया है, जिन्हें आज सॉफ्टवेयर उद्योग में कार्यरत पेशेवरों और संगठनों दोनों के लिए आवश्यक माना जाता है। एक व्यापक पाठ्यक्रम और रिमोट और क्लाउड लैब का उपयोग करके अनुभवात्मक शिक्षा पर व्यापक जोर दिया जाता है। इसी खूबी के कारण वर्किंग प्रोफेशनल्स इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस (आईओई) बिट्स पिलानी से इस अत्यधिक महत्वपूर्ण पोस्ट ग्रेजुएट इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करना चाहते हैं। वे अपने करियर को जारी रखते हुए, बिना ब्रेक के इसे पूरा कर सकते हैं। कार्यक्रम चार सेमेस्टर का है, जिसमें ऑनलाइन कक्षाएं ज्यादातर सप्ताहांत पर या बिजनेस के समय के बाद आयोजित की जाती हैं।

यह एम.टेक कार्यक्रम वर्किंग प्रोफेशनल्स की मदद कैसे करता है?

इस प्रोग्राम के कई प्रमुख उद्देश्य हैं, जिनमें सबसे पहले है- उपयोगकर्ता की जरूरतों को पूरा करने, डिजाइन करने, कार्यान्वित करने और एक प्रभावी समाधान जारी करने के लिए आवश्यक कौशल प्राप्त करने में वर्किंग प्रोफेशनल्स की मदद करना। इसके लिए वे अत्याधुनिक फुल स्टैक फ्रेमवर्क और टैक्नालॉजी की सहायता लेते हैं। साथ ही, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट प्रोसेस के मूल्यांकन और अनुकूलन में उनकी क्षमता बढ़ाने में भी उनके लिए सहायक है। इसके अलावा, पारंपरिक वेब/मोबाइल ऐप्स से लेकर आधुनिक क्रॉस-प्लेटफ़ॉर्म और क्लाउड-नेटिव ऐप्स तक कई प्रकार के एप्लीकेशंस के लिए और सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट मैनेजमेंट में प्रोटोटाइप निर्माण में भी वर्किंग प्रोफेशनल्स को बहुत मदद मिलती है।

एम.टेक. सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग प्रोग्राम के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बिट्स पिलानी, डब्ल्यूआईएलपी के कंप्यूटर साइंस और इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स ग्रुप के हैड प्रो. निशित नारंग कहते हैं,  ‘‘आज के सॉफ्टवेयर उद्योग में काम करने वाले पेशेवरों के लिए उनकी भूमिकाओं के आधार पर आम तौर पर मल्टीपल टैक्नोलॉजीस के फुल स्टैक को सीखने की जरूरत होती है। इसके साथ ही उन्हें अत्यंत प्रभावशाली सॉल्यूशंस तैयार करने होते हैं और साथ में अनूठे और इनोवेटिव प्रोडक्ट्स की परिकल्पना और डिजाइन तैयार करनी होती है। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि वे जटिल समस्याओं का समाधान कर सकें और क्रॉस फंक्शनल कोलाबरेशन को भी मैनेज करें। फुल स्टैक इंजीनियरिंग और सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट मैनेजमेंट पर मुख्य ध्यान देने के अलावा, यह कार्यक्रम कामकाजी पेशेवरों को विभिन्न करियर उद्देश्यों को एक प्रभावी तरीके से हासिल करने में मदद करता है। इन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए वे सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर, क्लाउड कंप्यूटिंग, ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजीज, साइबर सुरक्षा और सॉफ्टवेयर क्वालिटी एश्योरेंस और टेस्टिंग और सिस्टम्स सहित कोर और वैकल्पिक पाठ्यक्रमों के एक सेट में से चुन सकते हैं।’’

सीखने की पद्धति

लर्निंग मेथड में ऑनलाइन कक्षा और अनुभवात्मक शिक्षा का एक मिलाजुला फॉर्मेट शामिल किया गया है, जिसमें लैब एक्सरसाइजेस, असाइनमेंट, केस स्टडी और वर्क इंटीग्रेटेड एक्टिविटीज शामिल हैं। इन व्याख्यानों में किसी भी स्थान से कंप्यूटर का उपयोग करके इंटरनेट के माध्यम से भाग लिया जा सकता है। ये ऑनलाइन कक्षाएँ बिट्स पिलानी परिसर में नियमित कक्षाओं के समान स्तर की इंटरएक्टिविटी प्रदान करती हैं। अंतिम सेमेस्टर में डिजर्टेशन (प्रोजेक्ट वर्क) के जरिये भी छात्रों को कार्यक्रम के दौरान सीखी गई अवधारणाओं और तकनीकों को लागू करने का अवसर मिलता है।

प्रोग्राम ब्रोशर डाउनलोड करने या उद्देश्यों, हाइलाइट्स, पाठ्यक्रम (मुख्य पाठ्यक्रम और ऐच्छिक के बारे में विवरण सहित), योग्यता मानदंड, सीखने की पद्धति, फीचर्ड फैकल्टी, और किसी भी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया विजिट करें-

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