कलेक्टर के आदेश में गलतियों का भंडार..
जिनका हो चुका ट्रांसफर और कर दिया रिलीव उनको बना दिया नोडल अधिकारी
धर्मेन्द्र गुप्ता प्रतिनिधि मऊगंज
रीवा एमपी: जिलेभर की व्यवस्था को संभालने वाले कलेक्ट्रेट कार्यालय में ही अधिकारी-कर्मचारियों के संबंध में जानकारी नहीं रहती है। ऐसा इसलिए कहना गलत नहीं होगा क्योंकि कलेक्टर द्वारा जारी किए गए एक आदेश में गलतियों की भरमार है। कलेक्टर ने आदेश जारी किया लेकिन शायद उन्होंने भी जारी किए जा रहे इस आदेश को नहीं देखा। लिहाजा गलतियों के साथ ही आदेश जारी हो गया और अब यह शोसल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। जानकारी के मुताबिक कलेक्टर प्रतिभा पाल ने 24 जून 2023 को एक आदेश जारी किया। जिसमें उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शहडोल में प्रदेश के एक करोड़ पीवीसी आयुष्मान कार्ड हितग्राहियों को वितरित करेंगे। आयुष्मान निरामयम योजना अंर्तगत रीवा में भी इन कार्डो का वितरण होगा, जिसके लिए कलेक्टर ने नोडल अधिकारी सहित सह नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं। बता दें कि इस संबंध में जारी किए आदेश में बड़ी गलतियां सामने आई हैं। जिसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं की जा रही हैं। कहा जा रहा है कि पीएम के कार्यक्रम को लेकर बनाई गई व्यवस्था में ही इस प्रकार के लापरवाही पूर्व आदेश जारी किए जाना समझ के परे हैं, इसमें उनकी तैनाती कर दी गई है जिनका स्थानांतरण जिले से बाहर कर दिया गया है। ऐसे में वह कैसे इस जिम्मेदारी को निभाएंगे समझ से परे है।
बता दें कि जारी आदेश में गुढ़ में नोडल अधिकारी सीएमओ हेमंत अग्रवाल को बनाया गया है, जबकि पूर्व में हेमंत त्रिपाठी थे वह अब प्रभार मुक्त हैं और यहां नायब तहसीलदार विनयमूर्ति शर्मा जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। सीएमओ हेमंत अग्रवाल का नाम भी गलत लिखा हुआ है। वहीं डभौरा में सीएमओ केएन सिंह स्थानांतरण होने के बाद रिलीव हो चुके हैं लेकिन उन्हें नोडल अधिकारी बनाया गया है,इसी प्रकार सेमरिया में सीएमओ सौरभ द्विवेदी की जगह शुषमा मिश्रा हैं लेकिन सौरभ द्विवेदी को नोडल बनाया गया है। नगर निगम को आदेश में नगर पंचायत निगम रीवा लिख दिया गया।
बता दें कि कलेक्टर कार्यालय में भले ही जिले भर की निगरानी का दावा किया जाता है लेकिन इस प्रकार के आदेश बड़ा सवाल खड़ा कर रहेे हैं। कहा जा रहा है कि इस प्रकार के आदेशों से साफ है कि जिले के अधिकारियों तक की जानकारी अपडेट कलेक्टर कार्यालय में नहीं रहती है। शायद यही वजह है कि पुराने अधिकारियों के नाम से आदेश जारी कर दिए गए हैं।