राजनीति

उद्धव के गढ़ में राज ठाकरे की एंट्री, इस लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी, शिवसेना में टूट का मिलेगा फायदा?

Lok Sabha Election: उद्धव के गढ़ में राज ठाकरे की एंट्री, इस लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी, शिवसेना में टूट का मिलेगा फायदा?

Lok Sabha Election 2024: पिछले छह से आठ महीनों में मनसे (एमएनएस) अध्यक्ष राज ठाकरे ने दो बार कोंकण का दौरा किया. रत्नागिरी में एक सार्वजनिक बैठक भी आयोजित की गई. कुछ संगठनात्मक परिवर्तन भी किये गये.
Lok Sabha Election Raigarh Seat: आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर एमएनएस (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) परीक्षण करती नजर आ रही है. इसकी वजह यह है कि मनसे (MNS) ने कोंकण (Konkan) के रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र में राजनीतिक स्थिति और पार्टी की राजनीतिक ताकत का आकलन करना शुरू कर दिया है. तो क्या मनसे ने आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए परीक्षण शुरू कर दिया है? ऐसा सवाल खड़ा हो गया है.
राजनीति उछाल के अनुसार, इस बीच इस सवाल पर बात करते हुए कोंकण के एमएनएस के कुछ नेताओं ने इसकी पुष्टि की है. आने वाले समय में मनसे तालुका पर चर्चा करने और अपनी राजनीतिक ताकत का परीक्षण करने के लिए रायगढ़ में विधानसभा क्षेत्र और तालुका स्तर पर बैठकें करेगी. तो क्या मनसे कोंकण के रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ेगी? इसको लेकर चर्चा जोरों से शुरू हो गई है. कोंकण शिवसेना का गढ़ है. फिलहाल रायगढ़ लोकसभा सीट से अजित पवार ग्रुप के सुनील तटकरे सांसद हैं. तो सुनील तटकरे के सामने कौन होगा उम्मीदवार?

राज ठाकरे का कोंकण दौरा और जागर आंदोलन
पिछले छह से आठ महीनों में मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने दो बार कोंकण का दौरा किया. रत्नागिरी में एक सार्वजनिक बैठक भी आयोजित की गई. कुछ संगठनात्मक परिवर्तन भी किये गये. जो कार्यकर्ता गुटों से लड़ रहे थे, उन्हें निशाने पर लिया गया. अपने दौरे के दौरान और रत्नागिरी में हुई बैठक के दौरान राज ठाकरे ने कोंकणी व्यक्ति का समर्थन किया. अपने भाषणों के दौरान उन्होंने कोंकण के कुछ बुनियादी मुद्दों को छुआ. तो राज ठाकरे के मन में क्या चल रहा है? मनसे स्थानीय स्वशासन, विधानसभा या लोकसभा चुनाव किन निर्वाचन क्षेत्रों में लड़ेगी? इसको लेकर कुछ सवाल और चर्चाएं भी हुईं.

सेना के गढ़ में मनसे की चुनौती?
कोंकण को ​​शिवसेना का गढ़ कहा जाता है. रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग तीन जिलों में शिवसेना की ताकत है. तो एक कोंकणी आदमी, जो कि शिवसेना का पारंपरिक मतदाता है, शिवसेना के गढ़ में मनसे को कितना समर्थन देगा? यह भविष्य में स्पष्ट हो जायेगा. खास बात ये है कि क्या शिवसेना में बड़े नुकसान के बाद एमएनएस को फायदा होगा? आखिर क्या होगी एमएनएस की रणनीति? क्या राज ठाकरे कोंकणी को लुभाने में सफल होंगे? ऐसे कई सवाल अब उठ रहे हैं. लेकिन आने वाले चुनाव और उनके नतीजे इसका जवाब जरूर देंगे.

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