पत्रकारिता का उपयोग समाज की शांति के लिए करे
वरिष्ठ संपादक ऋषि सूरी के विचार: एमआईटी डब्ल्यूपीयू में ‘पांचवें राष्ट्रीय मीडिया और पत्रकारिता सम्मेलन का उद्घाटन’
रिपोर्ट देवेन्द्र सिंह तोमर
पुणे : “सैद्धांतिक पत्रकारिता लोकतंत्र और समाज के लिए सर्वोत्तम है. आज के समय में शांतिपूर्ण पत्रकारिता बहुत महत्वपूर्ण है. समाज में शांति बनाने के लिए नए पत्रकारों को निष्पक्ष खबरें देनी चाहिए. साथ ही नई तकनीक का भी भरपूर उपयोग करें.” ऐसे विचार डेली मिलाप के वरिष्ठ संपादक ऋषि सूरी ने व्यक्त किये.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मीडिया एंड कम्युनिकेशन द्वारा आयोजित 5वें राष्ट्रीय मीडिया और पत्रकारिता सम्मेलन का आयोजन एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, कोथरुड में किया गया . इसके उद्घाटन अवसर पर वे बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
पुणे यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स, मुंबई प्रेस क्लब, आर. के.लक्ष्मण संग्रहालय और नई दिल्ली फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब ऑफ साउथ एशिया के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है.
मुख्य अतिथि के रूप में टाइम्स नाउ के संपादक निकुंज गर्ग, पुढारी न्यूज टीवी के राष्ट्रीय संपादक प्रसन्ना जोशी और पुणे श्रमिक पत्रकार एसोसिएशन के अध्यक्ष पांडुरंग सांडभोर उपस्थित थे.
इसके अलावा एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के सलाहकार डॉ. संजय उपाध्ये, कुलपति डॉ.आर.एम चिटणिस, स्कूल ऑफ मीडिया कम्युनिकेशन के एसोसिएट डीन डॉ.धीरज सिंह, एसओजी के निदेशक डॉ. पबिशेट्टी और डॉ. अंजलि साने उपस्थित थे.
यह सम्मेलन एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा.कराड के मार्गदर्शन और एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड की अवधारणा और नेतृत्व में आयोजित हो रही है.
यह सम्मेलन मीडिया के उभरते परिदृश्य, पत्रकारिता पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रभाव और पत्रकार कैसे सामाजिक विभाजन को पाट सकते हैं और एकता को बढ़ावा दे सकते हैं. इसके इर्द-गिर्द आयोजित की गई है.
ऋषि सूरी ने कहा,”समाज में शांति स्थापित करने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से अभियान जरूरी है. साथ ही बेहतर समाज के निर्माण के लिए शांतिपूर्ण पत्रकारिता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. आज के समय में शांति के विषय को ध्यान में रखते हुए यह कॉन्फ्रेंस बहुत महत्वपूर्ण है.ह्यूमन स्टोरी कहानी को प्राथमिकता देनी चाहिए”
निकुंज गर्ग ने कहा,”चुनौतियों और दबाव का सामना किए बिना पत्रकारिता नहीं की जा सकती. जब आप अधिक दबाव में हों तो आपको सोचना चाहिए कि आप अच्छा कर रहे हैं. आपको विश्वास और प्रगति पर अपना ध्यान केंद्रित करके ईमानदारी से पत्रकारिता करनी चाहिए.”
प्रसन्न जोशी ने कहा,”आज की पत्रकारिता प्रासंगिकता के बारे में नहीं है बल्कि इसे पत्रकारिता की शैली कहा जाती है. पूर्वाग्रह और निष्पक्ष पत्रकारिता यह सवाल उठाती है कि भारतीय लोकतंत्र कहां चला गया है. मीडिया के माध्यम से लोगों को सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करना चाहिए. इसके लिए खुली आँखों से देखें,सबकी बात सुनें और अपने विचार व्यक्त करें.”
पांडुरंग सांडभोर ने कहा,”जब पत्रकारिता में बड़े बदलाव होते हैं,तो यह जांचना जरूरी है कि इस क्षेत्र में क्या चुनौतियां हैं. ऐसी चुनौतियों का सामना करते हुए पुणे श्रमिक पत्रकार संघ समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित करता है”
डॉ. संजय उपाध्ये ने कहा,महाभारत में संजय इस सृष्टी के पहले पत्रकार हैं और नारद मुनि उनके बाद दूसरे पत्रकार हैं.एकतरफा ख़बरें नहीं दिखानी चाहिए. साथ ही पत्रकारिता शिक्षकों को निष्पक्ष रहना चाहिए.”
डॉ.धीरज सिंह ने कहा कि मीडिया के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करेंगे.
डॉ.आर.एम.चिटणिस ने स्वागत भाषण दिया.
डॉ.गौतम बापट ने सूत्र संचालन किया. डॉ.अंजलि साने ने आभार माना.