जिले के आर्थिक विकास के लिए जनवरी में होगा विचार मंथन
रिपोर्ट धर्मेन्द्र गुप्ता मऊगंज
रीवा एमपी: रीवा जिले में आजीविका का मुख्य साधन कृषि, उद्यानिकी और पशुपालन है। गत 15 वर्षों में जिले में बाणसागर बांध की नहरों के विस्तार से सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि हुई है। जिसके कारण खेती में तेजी से विकास हुआ है। परंपरागत खेती के साथ-साथ सब्जी, फल तथा फूलों की खेती की ओर उन्नत किसानों ने कदम बढ़ाए हैं। कृषि पर आधारित उद्योगों की भी स्थापना की जा रही है। जिले के आर्थिक विकास के लिए उद्योगों तथा उससे जुड़े विभिन्न आयामों के विकास के लिए आगामी जनवरी माह में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित कर विचार मंथन किया जाएगा। इस संबंध में कलेक्ट्रेट के बाणसागर सभागार में आयोजित बैठक में प्रभारी कलेक्टर डॉ सौरभ सोनवणे ने कहा कि आर्थिक विकास से जुड़े सभी व्यक्तियों और संस्थाओं को कार्यशाला मे शामिल करें। कार्यशाला से जिले के आर्थिक विकास को गति देने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय होने चाहिए। इन निर्णयों को लागू कराने के लिए लगातार फालोअप करें।
डॉ सोनवणे ने कहा कि कार्यशाला में जिले के उद्यमी, अच्छे किसान, व्यापारिक संगठन के प्रतिनिधि, ट्रांसपोर्टर, वेयरहाउस संचालक तथा आर्थिक विकास से जुड़े विभिन्न विभागों जैसे कृषि, उद्योग, उद्यानिकी, पशुपालन आदि के भी अधिकारियों को शामिल करें। कृषि में आधारित उद्योगों के उत्पादों को निर्यात करने के लिए कार्ययोजना तैयार करें। खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना के लिए भी प्रयास करें। कार्यशाला में उद्योगों की स्थापना से जुड़े अधोसंरचना जैसे सड़क, बिजली, पानी, हवाई सेवा आदि से भी संबंधित व्यक्तियों की भागीदारी सुनिश्चित करें। जिले के विभिन्न उत्पादों को एक प्लेटफार्म पर लाकर ऑनलाइन बिक्री भी आवश्यक है। इसके लिए भी पोर्टल अथवा वेबसाइट बनाने की पहल करें। बैठक में औद्योगिक विकास निगम के कार्यकारी संचालक यूके तिवारी ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की। बैठक में संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।