राम राज्य आएगा . . .
– मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा
– भारतीय छात्र संसद के 13वें संस्करण का समापन समारोह
विशाल समाचार नेटवर्क पुणे : मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राम मंदिर एक वास्तविकता है,लेकिन हमें ‘राम राज्य’ लाने के लिए प्रयास और कड़ी मेहनत करनी चाहिए. उन्होंने कहा,मैं पूर्व मुख्यमंत्री हूं, लेकिन लोगों ने मुझे रिजेक्ट नहीं किया. युवाओं से अपील करते हुए कहा कि राजनीति में आगे आने से डरें नहीं. दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं जो युवा नहीं कर सकते. भले ही मैं मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं रहूं, लेकिन बड़े लक्ष्य के साथ राजनीति में योगदान देता रहूंगा. महिला सशक्तिकरण, छात्रों के लिए निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण कार्य के क्षेत्र होंगे. एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी में आयोजित भारतीय छात्र संसद के 13वें संस्करण के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
इस अवसर पर लाइफ कोच और बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के प्रख्यात वक्ता पूज्य डॉ. ज्ञानवत्सल स्वामी,लोकसत्ता आंदोलन के अध्यक्ष डॉ. जयप्रकाश नारायण विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे.एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने समारोह की अध्यक्षता की. सत्र के लिए वैज्ञानिक और शिक्षाविद डॉ. विजय भटकर, एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कार्यकारी अध्यक्ष और एमआईटी एसओजी के संस्थापक राहुल वी.कराड और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.
मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित मधयप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पुणेरी पगड़ी देकर सम्मानित किया गया.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा, मैं लोगों, समाज और देश के लिए काम करने के लिए राजनीति में आया हूं. आजकल कुछ लोग राजनीति को करियर के रूप में देखते हैं और सतही स्तर पर राजनीतिक गतिविधियाँ करते हैं. कुछ लोग सोचते हैं कि राजनीति सबसे ख़राब चीज़ है जो कोई भी कर सकता है,लेकिन यह मानसिकता ग़लत है. मैं क्रांतिकारी निर्णय ले सका जिसका लाखों नागरिकों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा वो सिर्फ इसलिए क्योंकि मैं राजनीति में आया और लोगों के लिए काम किया. इसलिए मैं छात्रों से अपील करूंगा कि वे आगे आएं राजनीति में आए और समाज का नेतृत्व करें. युवाओं को बड़ा लक्ष्य तय करना चाहिए और इसे पूरा करने का संकल्प लेना चाहिए.
डॉ. नारायण ने कहा,स्वामी विवेकानन्द ने पहली बार अध्यात्मवाद को जन-जन तक पहुंचाया. उन्होंने इस राष्ट्र का निर्माण तब किया, जब हम आधुनिक युग में जाति,धर्म में बंटे हुए थे. राजनीति हर किसी के भविष्य को बदलने के बारे में है. सच्ची राजनीति एक विविधतापूर्ण समाज में परस्पर विरोधी हितों को समेटने का नेक प्रयास है,सीमित संसाधनों के साथ असीमित इच्छाएँ और आज की ज़रूरतें कल के भविष्य के साथ है. आज अधिकांश राजनीतिक दल पारिवारिक जागीर,निजी जागीर बन गये हैं. यदि हम युवा नई प्रतिभाओं को राजनीति में लाना चाहते हैं,तो नैतिक तरीकों से अनुकूल परिस्थितियाँ बनानी होंगी.
डॉ. ज्ञानवत्सल स्वामी ने कहा,भारत का विश्वगुरु, महाशक्ति, विकसित राष्ट्र बनना तय है. छात्र जिम्मेदारी निभाते हैं और हमें साथ मिलकर काम करने की जरूरत है.
प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा.कराड ने कहा,भारत मानव जाति के लिए सद्भाव और शांति लाएगा. भारतीय संस्कृति,परंपरा और दर्शन हमें सिखाते हैं कि सत्य एक और केवल एक है. दुनिया को ये मूल्य सिखाने का समय आ गया है. छात्रों को देना सीखना चाहिए और उन्हें अनुशासित और समर्पित होना चाहिए और दुनिया के सामने एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए.
राहुल वी. कराड ने कहा,सरकार को युवाओं और भारत के भावी नेताओं को प्रशिक्षित करने और उनकी क्षमताओं का निर्माण करने के लिए स्कूल ऑफ गवर्नेंस की स्थापना में नेतृत्व और समर्थन करना चाहिए. हमारे लोकतंत्र को परिपक्व बनाना जरूरी है. हम भारतीय छात्र संसद और एमआईटीएसओजी जैसी पहलों के माध्यम से एक मजबूत चरित्र और शिक्षित राजनीतिक नेतृत्व लाने का प्रयास कर रहे हैं.
छात्र नेता कौशल साहू (मध्यप्रदेश) एवं भारतेंदु (राजस्थान) ने प्रेरणादायक भाषण दिया. प्रेरक वक्ता संजय उपाध्ये ने सभा को संबोधित किया.एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर. एम. चिटनिस ने अतिथियों का स्वागत किया.
समारोह का संचालन डॉ.गौतम बापट ने किया.एमआईटी डब्ल्यूपीयू के प्रो-वाइस चांसलर प्रो. डॉ. मिलिंद पांडे ने आभार माना.