जैविक खेती से चमकी महिला किसान की किस्मत
रीवा विशाल समाचार नेटवर्क टीम: खाद्यान्न दलहन-तिलहन की फसलों के साथ-साथ सब्जियों में भी अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए रसायनिक खाद का लगातार प्रयोग बढ़ रहा है। रसायनिक खाद से अधिक मात्रा में उत्पादन प्राप्त होने से तात्कालिक लाभ होता है लेकिन दीर्घकाल में यह खेत की मिट्टी और फसल का उपयोग करने वाले के लिए हानिकारक होता है। इस कमी को दूर करने के लिए रीवा जिले की महिला किसान ने जैविक खेती को अपनाया है। रसायन रहित सब्जी का उत्पादन करके महिला किसान श्रीमती सुनीता कुशवाहा अच्छा लाभ कमा रही हैं।
मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित सीता स्वसहायता समूह द्वारा आजीविका फ्रेश नाम से सब्जियों की विक्री की जा रही है। ग्राम छिरहटा निवासी श्रीमती सुनीता कुशवाहा ने आजीविका मिशन से जुड़कर कृषि सखी के रूप में रीवा तथा भोपाल में जैविक खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्होंने फल और सब्जी की खेती के लिए घर में ही भूनाडेप, नीम अस्त्र, बीजामृत एवं अन्य जैविक खाद तथा जैविक कीटनाशक तैयार किये। इनके उपयोग से सब्जियों के स्वाद और गुणवत्ता में वृद्धि हुई। श्रीमती कुशवाहा द्वारा बैगन, पालक, मेथी, मूली, पत्तागोभी, धनिया, मिर्ची तथा टमाटर की जैविक खेती की जा रही है। इससे हर महीने लगभग 20 हजार रूपये की आय प्राप्त हो जाती है। इस आय को बढ़ाने के लिए सुनीता ने दो गाय तथा एक भैंस खरीद कर दूध विक्रय का भी व्यवसाय शुरू कर दिया है। इससे हर महीने लगभग 5 हजार रूपये की अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है।