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एमआयएफ के प्लास्टिक वेस्‍ट इनोवेटर्स समूह ने जलवायु को बेहतर बनाने के लिये किया उल्‍लेखनीय काम

एमआयएफ के प्लास्टिक वेस्‍ट इनोवेटर्स समूह ने जलवायु को बेहतर बनाने के लिये किया उल्‍लेखनीय काम

पुणे : बारह स्टार्ट-अप्‍स ने अभिनव प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन समाधानों को नए बिजनेस मॉडल में बदल दिया है। उनके इस कदम से पिछले 12 महीनों में सामूहिक रूप से 1,24,360 टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम हुआ। ये सभी स्टार्ट-अप मैरिको इनोवेशन फाउंडेशन ( एमआयएफ)  के प्लास्टिक पोर्टफोलियो से जुड़े हैं, जिन्हें जनवरी 2023 में ‘इनोवेशन इन प्लास्टिक : द पोटेंशियल ऐंड पॉसिबिलिटीज’ (प्लास्टिक में नवाचार : शक्ति एंड संभावनायें) प्लेबुक में दर्शाया गया था।  एमआयएफ ने इसे और दूसरे आँकड़ों को आज यहाँ आयोजित एक-दिवसीय प्लास्टिक प्रोग्राम राउंडअप 2023-24 में जारी किया। इस विश्लेषण में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन की मूल्य श्रृंखला में प्लास्टिक की समस्या को दूर करने के लिए इनोवेटर्स को अवसर प्रदान करते हुए  एमआयएफ के केंद्रित हस्‍तक्षेप के प्रभाव की समीक्षा की गई।

एमआयएफ के प्लेबुक के अनुसार, भारत में प्लास्टिक उपभोग की वृद्धि चिंताजनक रही है। यह 2016-17 में 14 मिलियन टन था जो 2019-20 में बढ़कर 20 मिलियन टन पर पहुँच गया। उसी अवधि में प्लास्टिक अपशिष्ट का उत्पादन भी दोगुना हो गया। ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि भारत में हर साल 3.4 मिलियन टन प्लास्टिक अपशिष्ट निकलता है, लेकिन इसका महज 30% ही रीसाइकल किया जाता है।

इस विषय में यह ध्यान देने योग्य है कि किस प्रकार  एमआयएफ -समर्थित स्टार्टअप्स ने प्लास्टिक अपशिष्ट की चुनौतियों को हल करने के लिए नए-नए समाधान विकसित करने में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है। उदाहरण के लिए, आईबाँस और धरक्षा ने क्रमशः बायोक्राफ्ट इनोवेशन टेक्नोलॉजी और माइसेलियम का प्रयोग करके 60 टन कृषि अपशिष्ट का प्रभावकारी प्रबंधन किया है। ईशित्व, आईबाँस, रिक्रोन, पैडकेयर, बिंटिक्स, धरक्षा और ऐंगीरस सहित अन्य स्टार्टअप ने सामूहिक रूप से 1,24,360 टन कार्बन डाइऑक्साइड  का उत्सर्जन बचाया है। इन उदाहरणों से सामाजिक, आर्थिक, और पर्यावरिक प्रभाव पैदा करने वाले नवाचारों पर  एमआयएफ   के फोकस प्रमाणित होता है।

फिर, पोर्टफोलियो में पैडकेयर जैसी दूसरी कंपनियां भी शामिल हैं, जिन्होंने 37 टन सैनिटरी पैड को रीसाइकल करके 74,000 किलोमीटर कचरा भराव-क्षेत्र की रक्षा की है। ईशित्व रोबोटिक्स की एआई-आधारित छँटाई मशीन ने 1,00,000 टन प्लास्टिक अपशिष्ट की छँटाई की है, जिसके कारण 2,65,000 टन आयल बैरल की बचत से ऊर्जा संरक्षण पर काफी प्रभाव हुआ है।  रिक्रोन पेनल्स और ऐंगीरस जैसे इनोवेटर्स ने अभिनव निर्माण उत्पादों के माध्यम से 1,338 टन प्लास्टिक अपशिष्ट को रीसाइकल किया है। बिंटिक्स, जो घरेलू अपशिष्ट प्रबंधन पर फोकस करती है, ने 360 टन प्लास्टिक अपशिष्ट एकत्र किया है जिससे 8,300 पेड़ों के रक्षा के साथ-साथ जैवविविधता संरक्षण और अपशिष्ट में कमी में मदद मिली है।

मैरिको इनोवेशन फाउंडेशन के संस्थापक, हर्ष मारीवाला ने कहा कि, “प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन में नवाचार के मोर्चे पर  एमआयएफ सबसे आगे है। नवाचार के प्रति हमारी वचनबद्धता हमें अल्प-, मध्य- और दीर्घ-कालिक चुनौतियों को चिन्हित और हल करने के लिए प्रेरित करती है। यह पहल भारत के लिए गेम-चेंजर हो सकती है, क्योंकि हम प्लास्टिक की समस्या का हल करने में आगे बढ़ रहे हैं। असल में, मुझे यकीन है कि पूंजी के अलावा प्रोत्साहन देने वाले वातावरण प्रदान करके हम विश्व के बाकी हिस्सों के लिए प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक प्रोटोटाइप तैयार कर सकते हैं।”

मैरिको इनोवेशन फाउंडेशन के गवर्निंग काउंसिल के चेयरपर्सन, अमित चन्द्रा ने कहा कि, “हमारे प्लास्टिक प्रोग्राम ने अभिनव समाधानों में सहयोग किया है, जो अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए तैयार हैं। जैसा कि उपभोक्तावाद लगातार बढ़ रहा है, सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला में चुनौतियों को हल करने वाले इनोवेशन के लिए जबरदस्त गुंजाइश है। एमआईएफ के लिए महत्‍वपूर्ण नवाचारों के प्रयासों में सहयोग करना और पर्यावरण के अनुकूल इनोवेशन करने के लिए इकोसिस्टम के निर्माण में योगदान करना गर्व का विषय है।”

मैरिको इनोवेशन फाउंडेशन की हेड, सुरंजना घोष ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में नवप्रवर्तकों के विकास में  एमआयएफ की सहयोगी भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि, “प्लेबुक के लॉन्च होने के बाद से  एमआयएफ ने अपनी अनुशंसाओं का अनुसरण करने, सहयोग को प्राथमिकता देने और स्टार्टअप कंपनियों के विकास में नेतृत्व का बीड़ा उठाया है। इस प्रतिबद्धता के कारण महत्वपूर्ण प्रगति हुई है जहाँ हमारे मध्यवर्तनों के फलस्वरूप उद्यमियों के लिए मल्टी-करोड़ डील ऑर्डर्स के साथ मूल्य-प्रेरित पहलों की शुरुआत हुई है। ये प्रयास वास्तविक परिणामों को आगे बढ़ाने और पर्यावरण के अनुकूल इनोवेशन के लिए इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए हमारा समर्पण दर्शाते हैं।”


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