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बहुत चलाकी दिखाई…’ अरविंद केजरीवाल की याचिका पर SG तुषार मेहता ने दी ऐसी दलील, सुप्रीम कोर्ट ने टाल दिया फैसला

बहुत चलाकी दिखाई…’ अरविंद केजरीवाल की याचिका पर SG तुषार मेहता ने दी ऐसी दलील, सुप्रीम कोर्ट ने टाल दिया फैसला

दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आम आदमी पार्टी के प्रमुख मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत दिए जाने का पुरजोर तरीके से विरोध किया. उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मुनसिंघवी की तरफ से दायर सीएम केजरीवाल की जमानत याचिका के खिलाफ ऐसी ही दलीलें दीं कि सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला सुरक्षित रखना पड़ गया.

नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीएम केजरीवाल को जमानत दिए जाने का पुरजोर तरीके से विरोध किया. उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मुनसिंघवी की तरफ से दायर सीएम केजरीवाल की जमानत याचिका खिलाफ  ऐसी दलीलें दीं कि सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला सुरक्षित रखना पड़ गया.

 

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच के सामने एसजी तुषार मेहता ने ईडी की तरफ से बहस की शुरुआत की तो सुप्रीम कोर्ट ने उनसे कहा कि ‘हम अक्सर अंतरिम आदेश जारी करते हैं. फाइनल आदेश देने से पहले.’ इस पर मेहता ने कहा, ‘इन लोगों ने (सीएम केजरीवाल) बड़ी चतुरता से याचिका दाखिल की है. ये गिरफ्तारी को चुनौती वाली याचिका है, लेकिन इसमें जमानत भी मांगी है.’

 

तुषार मेहता की इस दलील पर जस्टिस खन्ना ने कहा, अगर हम अंतिम आदेश जारी कर सकते हैं तो फिर अंतरिम आदेश भी जारी कर सकते हैं.’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हम इस बात पर नहीं जा रहे है कि वो राजनीतिक व्यक्ति है या नहीं, बल्कि यह देख रहे हैं कि केस सही हैं या नहीं. इसमें असाधारण मामले में जमानत पर विचार की जा सकती है या नहीं.’

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया, ‘अगर याचिकाकर्ता राहत चाहता है तो हम क्या राहत पर विचार न करें?’ इस पर एसजी मेहता ने कहा, ‘लेकिन फिर आपको हर किसी की याचिका पर विचार करना होगा. चाहे वो किसी भी समूह से हो.’ उन्होंने कहा, अरविंद केजरीवाल ने किसी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं किए, क्योंकि इसके पास मंत्रालय नहीं है. केवल नियुक्ति पर हस्ताक्षर करते थे, मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है, वहीं ये करते हैं, लेकिन बाद मैं हम कानून ले आए, इनके पास कुछ भी नहीं है.’

 

 

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