मानव प्रेम, सेवा और सहानुभूति की भावना को दर्शाता है वर्ल्ड रैड क्रॉस डे
लखनऊ धर्मेन्द्र कुमार वर्मा: हैनरी डूनेंट स्विटज़रलैंड के एक व्यापारी थे जिनको वर्ल्ड रैड क्रॉस और रेड क्रैसेंट का संस्थापक माना जाता है। दरअस्ल 1859 में हैनरी डूनेंट ने जब देखा कि सोलफेरिनो के युद्ध में ज़ख्मी हुए हज़ारों सैनिकों की देखभाल करने वाला कोई नहीं था और अनेक सैनिक सिर्फ इसलिए मौत के दामन में समा गये कि समय रहते उनकी देखभाल और उपचार नहीं हो सका तो मानवता के प्रति उनका प्रेम और दर्द से कराहते सिपाहियों के लिए सहानुभूति ने उन्हें रेड क्रॉस और रेड क्रैसेंट की संस्थापना करने के लिए जागृत किया। पहले विश्व युद्ध में इन संस्थाओं द्वारा किए गये काम के बाद विश्व भर में रेड क्रॉस और रेड क्रैसेंट की इकाईयां क़ायम हो गईं जिन्होंने अपने अपने क्षेत्र में समाज सेवा और मानव मूल्यों के संरक्षण हेतु कार्य प्रारंभ किया।
8 मई रैड क्रॉस और रेड क्रैसेंट के संस्थापक के जन्मोत्सव हेतु तमाम विश्व में वर्ल्ड रैड क्रॉस और रेड क्रैसेंट डे के रूप में मनाया जाता है। हैनरी डूनेंट द्वारा मानव प्रेम, सेवा और सहानुभूति की भावना को याद करने के लिए इंडियन रैड क्रॉस सोसाएटी की उत्तर प्रदेश स्टेट युनिट ने एक कार्यक्रम आयोजित किया जिस में हैनरी डूनेंट को याद किया गया और उत्तर प्रदेश स्टेट युनिट द्वारा किए जा रहे विभिन्न सामाजिक कल्याणकारी गतिविधियों पर बातचीत हुई।
इस मौक़े पर इंडियन रैड क्रॉस की उत्तर प्रदेश स्टेट युनिट की महासचिव श्रीमति हेमाबिंदु नायक ने रैड क्रॉस के थीम ‘कीपिंग हयूमेनिटी एलाईव’ का उल्लेख करते हुए कहा कि मानवता सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने कहा कि रैड क्रॉस के तमाम कार्यक्रम मानवता को ध्यान में रखते हुए बनाए जाते हैं।
श्रीमति हेमाबिंदु नायक ने कहा कि युद्ध क्षेत्र में सेवा प्रदान करने के अतिरिक्त आवश्यकता है कि नवजवानों के दरमियान लाईफस्टाईल सम्बंधी बीमारियां जो नये जमाने में बढ़ती जा रही हैं उनपर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आवश्यकता है कि युद्ध स्तर पर इस क्षेत्र में जागरूकता पैदा करने का अभियान चलाया जाए।
रैड क्रॉस सोसाएटी उत्तर प्रदेश के कोषाध्यक्ष श्री अरूण कुमार सिंह ने कहा कि समाज को लौटाने के लिए आवश्यक है कि हर व्यक्ति कोई न कोई योगदान दे। उन्होंने कहा कि सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है और हम सेवा के लिए किसी की अपेक्षा नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि मानव हम तभी हैं जब हम दूसरों का दर्द समझें, अगर हम दूसरों का दर्द नहीं समझ पा रहे तो हम मानव कहलाने के लाएक़ नहीं हैं।
संस्था की प्रबंध समिति के सदस्य श्री शफीक जमा ने कहा कि अपने लिए तो सभी जीते हैं, लेकिन जो समाज के लिए जीता है, समाज के लिए कार्य करता है, ऐसा व्यक्ति धर्म, समाज और मानव से ऊपर उठ जाता है। श्री ज़मां ने कहा कि इस को ऐसे समझा जा सकता है कि आज हम उस व्यक्ति को याद करने बैठे हैं जिससे न हमारा खून का रिश्ता है, न धर्म का रिश्ता है न देश का रिश्ता है। हम उस व्यक्ति को इसलिए याद कर रहे हैं कि उसने समाज के लिए त्याग दिया था, उसने युद्ध में ज़ख्मी हुए लोगों की सेवा के लिए काम किया था।
रैड क्रॉस सोसायटी उत्तर प्रदेश के सब से वरिष्ट सदस्य चचा अमीर हैदर ने श्रीमति हेमाबिंदु नायक के कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि रैड क्रॉस का लखनऊ आफिस बहुत ही बदहाल था जिसको बदलने का श्रीमति हेमाबिंदु नायक ने बीड़ा उठाया और कुछ ही समय में तमाम रैड क्रॉस आफिस की शकल बदल दी। उन्होंने कहा कि यदि लीडर अच्छा हो तो अच्छे लोग जुड़ते हैं और अच्छे कार्य होते हैं, जो अब रैड क्रॉस सोसायटी उत्तर प्रदेश के माध्यम से हो रही है।
पत्रकार डाक्टर अजीज हैदर ने कहा कि हैनरी डूनेंट की याद इसलिए जरूरी है कि ये संदेश देता है कि यदि एक व्यक्ति यदि मन बना ले तो पूरे समाज और दुनिया में बदलाव ला सकता है। 1863 में एक व्यक्ति ने ज़ख्मी मानव के प्रति पीड़ा महसूस की तो उसने उसी समय निर्णय लिया और उसकी कोशिश का नतीजा है कि लखनऊ जैसे दूर बसे शहर में हम उस व्यक्ति को याद कर रहे हैं।
रैड क्रॉस के चंदौली युनिट के अध्यक्ष श्री अजय सिंह ने कहा कि भारत में युवाओं में मानसिक और शारिरिक बीमारियां महामारी के रूप में पैदा होने वाली हैं, इसलिए आवश्यक है कि रैड क्रॉस सोसायटी उत्तर प्रदेश इस सिम्त में जागरूकता हेतु अभियान चलाए।
8 मई को वर्ल्ड रैड क्रॉस डे में हैनरी डूनेंट को याद करते हुए उनकी श्रीमति हेमांबंदु नायक एवं अन्य गणमान्य व्यक्तिनयों ने हैनरी डूनेंट की मूर्ती पर पुष्प एवं मालाएं अर्पित कीं।
रैड क्रॉस सोसायटी उत्तर प्रदेश ने श्रीमति हेमाबिंदु नायक के नेतृत्व में समाज को बेहतर बनाने हेतु पेंटिंग एवं स्लोगन राईटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया था जिसमें कई स्कूलों के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया था।
रैड क्रॉस सोसाएटी उत्तर प्रदेश परिवार के समस्त क्रमचारियों और उससे जुड़े विभिन्न लोगों ने 8 मई के उपलक्ष्य पर मानवता को जगाए रखने और इंसानी मूल्यों को जिंदा रखने की कोशिश करते रहने का आहवान किया।