एथलेटिक उत्कृष्टता का सम्मान: लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने वर्ल्ड एथलेटिक्स डे के मौके पर भारतीय खिलाडि़यों की उपलब्धियों को सम्मानित किया
पुणे: मानवीय प्रयासों के इस विशाल परिदृश्य में एथलेटिक्स की एक ऐसी दुनिया मौजूद है, जहां एक साधारण व्यक्ति सारी बाधाओं को पार कर रफ्तार का चैम्पियन बन जाता है। अपने विशुद्ध रूप में एथलेटिक्स केवल कुछ खेलों या कार्यक्रमों का संग्रह मात्र नहीं है, बल्कि मानवीय काया के अंदर मौजूद अपार क्षमताओं का प्रमाण भी है। इसमें हैं स्प्रिंटर जोकि हवाओं को मात देते हुए दौड़ लगाते हैं, ऊंची कूद का खिलाड़ी जोकि गुरुत्कार्षण को चुनौती देता है और मैराथन का धावक जोकि ताकत की सारी सीमाओं को चित कर देता है। हरेक एथलीट ही लगन और अनुशासन का जीता-जागता उदाहरण है। उनमें असंभव को चुनौती देने का साहस है और वह मानवीय उपलब्धियों की सीमाओं को पार कर जाने की एक नई इबारत लिखता है। लेकिन प्रतिस्पर्धाओं और पदकों से परे एथलेटिक्स की दुनिया, खुद को तलाशने और खुद पर विजय प्राप्त करने की एक यात्रा है।
वर्ल्ड एथलेटिक्स डे के मौके पर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, खेल के इतिहास के पन्नों पर दर्ज अद्भत एथलीट्स को सम्मानित करता है। अपनी शुरुआत से ही, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, मानवीय आकांक्षाओं व उपलब्धियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। इसमें अद्भत समर्पण व साहस का सार निहित है। इसके पन्नों पर शानदार उपलब्धियों की कहानियां दर्ज हैं, जोकि एथलेटिक क्षेत्र में प्रतिभाओं के समृद्ध इतिहास का बयां करता है।
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में कई सारी बेमिसाल उपलब्धियां दर्ज हैं। एथलेटिक उत्कृष्टता की मिसाल पेश करने वाले कुछ उदाहण यहां दिए गए हैं:
· साल 2023 में, नीरज चोपड़ा, वर्ल्ड एथेलिटिक्स चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता के रूप में अपना नाम दर्ज करवाने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी रहे हैं। पुरुषों के, भाला फेंक फाइनल में उन्होंने 88.17 मीटर का शानदार थ्रो किया था।
· ज्योति याराजी ने जुलाई 2023 में बैंकॉक में एशियन एथलेटिक्स चैम्पिनशिप में महिलाओं की 100 मीटर की रेस में पहली बार स्वर्ण पदक जीतकर, इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। उनका यह कमाल का प्रदर्शन, 13.09 सेकंड का रहा, जोकि भारतीय एथलेटिक्स के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है।
· दुती चंद ने भारतीय एथलेटिक्स में सीमाओं को तोड़ा और नियमों को नए सिरे से परिभाषित किया। 2019 में यूनिवर्सिएड में महिलाओं के 100 मीटर के राष्ट्रीय चैम्पियनशिप कार्यक्रम में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय स्प्रिंटर बनीं। एलजीबीटीक्यू+ एथलीट के रूप में उनका यह साहसिक कार्य समावेशन और दृढ़ता का एक बेहतरीन उदाहरण पेश करता है।
· 105 वर्ष की उम्र में रामबाई का अद्भुत प्रदर्शन एथलेटिक्स की उम्र से परे उत्साह को दर्शाता है। स्वर्ण पदक जीतने वाली वे सबसे उम्रदराज खिलाड़ी हैं। वडोदरा, गुजरात में आयोजित नेशनल ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने साबित कर दिया कि बड़ी-बड़ी उपलब्धियों को हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती।
· अंजू बॉबी जॉर्ज, अभी भी भारतीय एथलेटिक्स की दुनिया में एक आइकन हैं। आईएएएफ वर्ल्ड चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली वह भारत की एकमात्र खिलाड़ी हैं। वह आज भी कई पीढ़ियों को प्रेरित करने का काम कर रही हैं। उनके शानदार ऊंची कूद ने एथलेटिक कम्युनिटी में रोल मॉडल के रूप में उनके कद को और भी ऊंचा किया है। साल 2014 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के मलयालम एडिशन के लॉन्च के दौरान उपलब्धि हासिल करने वाली अन्य जानी-मानी महिलाओं के बीच उनके योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया गया। उस एडिशन का विषय था, ‘महिलाओं का सशक्तिकरण’।
वत्सला कौल बनर्जी, कंसल्टिंग एडिटर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स एवं प्रकाशक, हैचेट इंडिया ने कहा, “वर्ल्ड एथलेटिक्स डे खिलाड़ियों द्वारा उत्कृष्टता को हासिल करने के इस क्रम में दर्शाए गए अटूट प्रतिबद्धता को याद दिलाने का एक तरीका है। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के लिए यह दुनियाभर के अलग-अलग पृष्ठभूमि तथा क्षेत्र के एथलीट्स की अद्भत उपलब्धियों को सम्मानित करने का एक मौका है।“
रुचिरा भट्टाचार्य, सीनियर डायरेक्टर, कोका कोला इंडिया के साउथ-वेस्ट एशिया यूनिट के हाइड्रेशन, स्पोर्ट्स और टी की मार्केटिंग ने अपनी बात रखते हुए कहा, “कोका-कोला इंडिया में हम लोगों को प्रेरित करने, सशक्त बनाने और एक वास्तविक सकारात्मक बदलाव लाने की परिवर्तनकारी ताकत पर भरोसा करते हैं। भारतीय एथलीट्स की उपलब्धियों को सम्मानित करने और दर्शकों के बीच गर्व का वह अहसास बनाए रखने के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की ओर से उनकी उपलब्धियों को एक सादर भेंट है।’
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के 33वें संस्करण ने अपनी थीम ‘भारत अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में’ को बरकरार रखा है। भारतीय उपलब्धियों को दर्ज करने की अपनी परंपरा को जारी रखते हुए यह अन्य उपलब्धियों, कहानियों और अद्भुत प्रदर्शनों और अनवरत जीत हासिल करने वाले अचीवर्स की जीत का एक व्यापक स्पेक्ट्रम पेश करता है। इसके साथ ही कोका-कोला इंडिया ने #SheTheDifference के तहत हाल ही अंजू बॉबी स्पोर्ट्स फाउंडेशन के साथ भी साझेदारी की है। यह साझेदारी जरूरी मदद और सुविधाएं उपलब्ध कराकर, महिलाओं को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।