मलेरिया एवं डेंगू से बचाव के लिए लगातार किये जा रहे हैं प्रयास,राष्ट्रीय डेंगू दिवस आज
रीवा विशाल समाचार: स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में डेंगू, मलेरिया की रोकथाम हेतु लगातार प्रयास किये जा रहे है। इस संबंध में सीएमएचओं डॉ. संजीव शुक्ला ने बताया कि आज 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है। सामुदायिक सहभागिता एवं जागरूकता से डेंगू की रोकथाम एवं नियंत्रण संभव है। डेंगू की बीमारी डेन नामक वायरस के कारण होती है। एव एडीज मच्छर के कारण भी बीमारी फैलती है। इस प्रकार संक्रमित मच्छर से मनुष्य में एवं रोगी व्यक्ति से एडीज मच्छर में बीमारी का संक्रमण होता रहता है। यह बीमारी किसी भी व्यक्ति हो सकती है। एडीज मच्छर के काटने से बचाव कर एवं एडीज मच्छर की पैदाइस अपने आस पास के स्थानों मे एवं घरो मे रोककर इस बीमारी से बचा जा सकता है। डेंगू होने पर समय से सही उपचार लेकर रोगी ठीक हो सकता है।’
डेंगू होने पर 2 से 7 दिन बुखार, सिरदर्द, मांसपेसियों में दर्द, आखो के आसपास दर्द खसरा के जैसे चक्ते / दाने छाती व दोनो हाथो में हो सकते है। गंभीर अवस्था में नाक, मसूडों, पेट/आंत, से खून का रिसाव होता है। मल काला होना, ओठ का नीला होना, और हिमेटोकीट 20 प्रतिशत या उससे अधिक बढा हो, प्लेटलेटस 50,000 क्यूबिक मि.मी या इससे कम हो। बुखार आने एवं इन लक्षणों के पहले ही दिन चिकित्सालय में डाक्टरी सलाह लेकर उपचार प्रारंभ कर देना चाहिए। बिलंब से उपचार के कारण डेंगू शॉक सिंड्रोम एवं डेंगू हेमरेजिक फीवर हो सकता है। डेंगू बुखार के इलाज की कोई विशिष्ट दवा नही है। मरीज के बीमारी के जो-जो लक्षण दिलाई देते है उसी के अनुसार मरीज का उपचार किया जाता है। बुखार होने पर मरीज को केवल पैरासिटामाल गोली का सेवन कराना चाहिए। मरीज को सेलिसिलेट, एस्प्रिन अथवा अन्य दर्द निवारक गोली का सेवन नहीं कराना चाहिए। मरीज को अधिक पसीना, उल्टी अथवा दस्त होने से शरीर में पानी की कमी होती है। डिहाइड्रेसन न हो इस हेतु पर्याप्त मात्रा में पेय जैसे- जूस/चावल का पानी/ कंजी/फलों का रस / पानी/ओआरएस का घोल लेना चाहिए तथा मरीज को आराम करना चाहिए।
डेंगू की रोकथाम के लिये घर के आसपास तथा कंटेनरों में पानी 3-5 दिन से ज्यादा जमा न होने दें। कुलर तथा पानी के बडे बर्तनों की सप्ताह में एक बार सफाई अवश्य करे। छत पर एवं घर के पीछे रखे अनुपयोगी सामान टूटे बर्तन, मटके, खुली टंकियों, बेकार फेंके हुए टायर, गमले इत्यादि में बारिश का पानी जमा न होने दें। पानी से भरे कंटेनरों का ढक्कर रखे ताकि मच्छर उसमें अंडे न दे सके। लार्वा विनिष्टीकरण हेतु अनुपयोगी पानी में जला हुआ इंजन आयल / कैरोसीन/खाने का तेल डाला जा सकता है। सोते समय मच्छरदानी लगाए, पूरी बांहे के कपड़े पहने। खिडकी दरवाजों में मच्छररोधी जाली लगाए। बुखार आने पर मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनियां की निःशुल्क जॉच शासकीय अस्पताल में कराये। मलेरिया होने पर पूर्ण उपचार लें ।