शोधकर्ता की प्रशंसा तो दूर , अपमानित करता है भारतीय चुनाव आयोग..होश में आये
चुनाव आयोग शोधकर्ताओं को प्रशंसा प्रमाणपत्र अथवा सम्मान क्यों नहीं देता? क्या नाचने वालों को यह सब..?
विशाल समाचार टीम
दिल्ली /महाराष्ट्र:विधानसभा, लोकसभा आदि चुनावों के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए चार्टर्ड अधिकारियों, रक्षा अधिकारियों, चुनाव अधिकारियों को राज्य और राष्ट्रीय पुरस्कार और प्रमाण पत्र व मानधन दिए जाते हैं। लेकिन चुनाव जैसे अति संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषयों पर शोध करके चुनाव प्रशासन के काम को सुविधाजनक बनाने वाले शोधकर्ताओं को चुनाव आयोग पुरस्कार, सम्मान क्यों नहीं देता है। पुणे के शोधकर्ता डॉ. तुषार निकालजे ने भारत निर्वाचन आयोग को वर्ष 2022, 2023 में चुनाव प्रशासन प्रणाली में बदलाव के संबंध में सात सुझाव और परियोजनाएं भेजी थीं। चुनाव आयोग ने इस वर्ष से “सहकारी आवास संस्थाओं में मतदान केन्द्र” निर्देश लागू कर दिया है। यह अवधारणा परीक्षण रूप में तथा प्रयोगात्मक आधार पर सफल रही है। बुजुर्ग, बीमार, दिव्यांग मतदाताओं ने इस संबंध में संतोष व्यक्त किया है. साथ ही डॉ. तुषार निकालजे द्वारा सुझाए गए इस सुधार से मतदान प्रतिशत में भी वृद्धि हुई है। वर्ष 1952 में भारत में पहला सार्वजनिक चुनाव हुआ। तब से लेकर आज तक भारतीय चुनाव इतिहास की यह पहली घटना है. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण जनक वात , भारत निर्वाचन आयोग , डॉ. तुषार निकालजे पुणे के एक शोधकर्ता हैं। उन्हें अभी तक कोई पुरस्कार तो दूर, प्रशंसा का साधारण प्रमाण पत्र भी नहीं दिया गया है। यदि यह काम किसी चुनाव अधिकारी या चार्टर्ड अधिकारी द्वारा किया गया होता तो उसे दिल्ली में चुनाव आयोग कार्यालय में बुलाकर बैज, मेडल और कुछ धनराशि देकर सम्मानित किया जाता. और उस संबंध में अधिसूचना जारी की गयी होती. डॉ.तुषार निकालजे पिछले बीस वर्षों से भारतीय चुनाव प्रणाली पर शोध पर काम कर रहे हैं। चुनाव आयोग खिलाड़ियों, फिल्म जगत के अभिनेताओं को आइकन के रूप में सम्मानित करता है । चुनाव आयोग की कार्यालियन किताबों में अधिकारियों की तस्वीरें छपवाना नहीं भूल सकते। यह बड़ी विडंबना खेल है।
लेकिन शोधकर्ताओं को जानबूझकर अपमानित करता है भारतीय चुनाव आयोग .. क्या पच्चीस वर्ष से शोधकर्ता का खून पसीना एक कर समस्याओं को सुझाव दिए और वही सुझाव चुनाव आयोग ने लागू किए।
तो शोधकर्ता का अपमान क्यों.. जबाव दे भारतीय चुनाव आयोग दिल्ली
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय शोधकर्ताओं का कुल प्रतिशत कम हुआ है। इसकी भी एक वजह होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.
डॉ तुषार निकालजे जैसे शोधकर्ताओं के योगदान से एशिया निर्वाचन फेडरेशन का अध्यक्ष पद भारत निर्वाचनों को सौंपा दिया गया है और इधर 92 देशों ने भारत निवणूक प्रशासन व्यवस्था के संदर्भ सहमति करार किया है।