श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता से लें शिक्षा : अनूप ठाकुर महाराज
विशाल समाचार हरदोई: जिला हरदोई के ग्राम परचौली में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में असलापुर धाम से पधारें सुप्रसिद्ध कथावाचक अनूप ठाकुर जी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम दिवस पर रूक्मिणी मंगल एवं भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा का मिलन बड़े ही रोचक ढंग से सुनाया ठाकुर जी महाराज ने कहा, रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थीं। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी, तो उन्होंने मन ही मन श्रीकृष्ण को वर मान लिया था। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह राजा शिशुपाल से कराना चाहता था लेकिन भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में देवी रुक्मिणी स्वीकार कर चुकीं थी।
उन्होंने बताया कि जिस दिन शिशुपाल से विवाह होने वाला था, उसी दिन भगवान श्रीकृष्ण मंदिर से रुक्मिणी देवी को रथ से द्वारिका लाए और विवाह किया इसी के साथ अनूप महाराज ने कहा कि संसार में मित्रता भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होनी चाहिए। आज की युवा पीढ़ी श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता से लें शिक्षा, आधुनिक युग में स्वार्थ के लिए लोग एक-दूसरे के साथ मित्रता करते हैं और काम निकल जाने पर एक-दूसरे को भूल जाते हैं। जीवन में प्रत्येक प्राणी को परमात्मा से एक रिश्ता जरूर बनाना चाहिए। परमात्मा से बनाया गया रिश्ता जीव को मोक्ष की ओर ले जाएगा। ठाकुर महाराज ने बताया कि स्वाभिमानी सुदामा ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सखा कृष्ण का चितन और स्मरण नहीं छोड़ा। जिसके फलस्वरूप कृष्ण ने भी सुदामा को परम पद प्रदान किया। मित्रता करनी हैं तो कृष्ण और सुदामा की तरह करों, व्यास जी द्वारा मार्मिक प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गये इस मौके पर परिक्षित सुरेश सिंह सपत्नीक, रामवीर सिंह, महेंद्रपाल सिंह “पप्पू” विजय सिंह, नितिन सिंह, धनंजय सिंह, सत्यवीर सिंह, अजय सिंह अर्पित त्रिपाठी, मंजेश गोलू समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहें!